जम्मू में खोजी दवा से होगा पैनक्रियाटिक कैंसर का इलाज
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेग्रेटिव मेडिसन (आइआइआइएम) जम्मू को अपनी कैंसररोधी दवा आइआइआइएम-290 के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है। आइआइआइएम वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की ही इकाई है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेग्रेटिव मेडिसन (आइआइआइएम) जम्मू को अपनी कैंसररोधी दवा आइआइआइएम-290 के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मिल गई है। आइआइआइएम वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की ही इकाई है। दवा के क्लिनिकल प्रयोग की अनुमति केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दी है।
आइआइआइएम जम्मू के निदेशक डॉ. राम विश्वकर्मा ने दिल्ली से दैनिक जागरण को फोन पर बताया कि यह हमारी एक बड़ी उपलब्धि है। हमारे संस्थान के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने पैनक्रियाटिक कैंसर के उपचार की दवा का पता लगाया है। प्री-क्लिनिकल प्रयोग सफल रहा है। अब क्लिनिकल प्रयोग शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दवा का पता लगाने के लिए छह वैज्ञानिक और 10 पीएचडी छात्र बीते 10 सालों से लगातार प्रयास कर रहे हैं। इनमें संदीप भराटे, सोनाली भराटे, दिलीप मोंडे, शशि भूषण और सुमित गांधी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हम जिस दवा को तैयार कर रहे हैं वह पूरी तरह स्वदेशी है और प्राकृतिक है। इस दवा को सीएसआइआर के नेचुरल प्रोडक्ट ड्रग डिस्कवरी कार्यक्रम के तहत तैयार किया है। पश्चिम घाट में पाए जाने वाले एक पेड़ के पत्तों के औषधीय गुणों के आधार पर इस दवा को तैयार किया गया है।
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हर चौथी मौत पैनक्रियाटिक कैंसर से
डॉ. राम विश्वकर्मा ने बताया कि पैनक्रियाटिक कैंसर दुनिया में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले कैंसर की किस्मों में 12वें नंबर पर है। कैंसर के रोगियों की मौत के आंकड़े को अगर देखा जाए तो यह कैंसर से होने वाली हर चौथी मौत का जिम्मेदार है। ----
हम अगले 10 दिनों के भीतर क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेंगे। यह ट्रायल बेंगलुरु के एक अस्पताल में होगा। प्रस्तावित ट्रायल में हम इस दवा की सुरक्षा, मरीजों के शरीर में इससे होने वाले विभिन्न प्रभावों का पता लगाएंगे।
डॉ. राम विश्वकर्मा, निदेशक, आइआइआइएम जम्मू
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