Train to Kashmir: जमीन-पुल और सुरंग में बना है यह रेलवे स्टेशन, यात्रियों को हैरान कर देंगी इसकी खूबियां
Kashmir Vande Bharat Express जम्मू-कश्मीर में रियासी रेलवे स्टेशन कटड़ा से 16.5 किमी दूर इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है। यह स्टेशन पहाड़ को काटकर बनाई गई समतल जमीन सुरंग और पुल पर बना है। ट्रेन का कुछ भाग जमीन कुछ पुल और कुछ सुरंग के अंदर होगा जो यात्रियों को रोमांचक अनुभव देगा। टनल नंबर 36 का निर्माण चुनौतीपूर्ण था पर मैक्स इंफ्रा ने इसे पूरा किया।

जागरण संवाददाता, जम्मू। कश्मीर का रेल सफर सचमुच अद्भुत है। यहां जाते समय यात्रियों को इंजीनियरिंग के कई अविष्कार देखने को मिलेंगे। इस ट्रैक पर ऐसा ही एक रेलवे स्टेशन है रियासी।
श्री माता वैष्णो देवी रेलवे स्टेशन कटड़ा से 16.5 किलोमीटर दूर यह ऐसा रेलवे स्टेशन है, जो पहाड़ को काटकर समतल की गई जमीन, सुरंग और पुल पर बना है।
रियासी रेलवे स्टेशन पर जब ट्रेन आकर रुकेगी तो ट्रेन का एक हिस्सा जमीन, कुछ भाग पुल और कुछ हिस्सा सुरंग के भीतर होगा। एक ही स्टेशन पर तीनों अलग-अलग अनुभव यात्रियों के रोमांच को चरम पर पहुंचा देंगे।
ये हैं रेलवे स्टेशन की खासियत
रियासी का रेलवे स्टेशन ग्रां मोड़ क्षेत्र में पहाड़ी पर स्थित है, जो पहली नजर में देखने वाले को हैरत में डाल देता है। यह स्टेशन टनल नंबर 35 और टनल नंबर 36 के बीच बना है। इन दोनों टनलों को आपस में जोड़ता है पुल नंबर 39 (जिसका नंबर अब बदला जा रहा है)।
यह पुल देश के पांच सबसे ऊंचे पुलों में शामिल है। पहाड़ को काटकर बनाई गई समतल जगह के उत्तर की तरफ टनल नंबर 36 और दक्षिण की तरफ पुल नंबर 39 है।
इस रेलवे स्टेशन की खासियत यह भी है कि जब यहां ट्रेन खड़ी होगी तो उसका कुछ हिस्सा पुल नंबर 39 पर, कुछ हिस्सा पहाड़ को काटकर बनाई गई समतल जगह पर तो कुछ हिस्सा टनल नंबर 36 के भीतर होगा।
बेहद चुनौतीपूर्ण था काम, करने पड़े कई बदलाव
इस रेलवे स्टेशन को बनाने के लिए इंजीनियरों को काफी दिमाग लड़ाना पड़ा और कुछ बदलाव भी करने पड़े। टनल नंबर 36 का काम इतना चुनौतीपूर्ण था कि एक के बाद एक कर दो कंपनियां काम बीच में छोड़कर चली गई थी।
तीसरी बार मैक्स इंफ्रा केयर को टनल के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई। मैक्स इंफ्रा ने लगभग छह किलोमीटर लंबी इस टनल का काम पूरा कर दिखाया, लेकिन कई चुनौतियां भी आईं।
मुख्य चुनौती टनल की खुदाई के दौरान निकलने वाला कीचड़ और पानी का तेज बहाव था, जिसपर कंपनी ने पार पा लिया है। निर्माण पूरा होने के बाद स्टेशन के डिजाइन में कुछ बदलाव के कारण टनल के छोर एक से 300 मीटर भीतर तक टनल को और चौड़ा किया गया, क्योंकि ट्रेन का कुछ हिस्सा इसी टनल में रहेगा।
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