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    देशभक्ति को बल देने को सरहदों के रक्षकों ने दी शहीदों को जम्मू के बलिदान स्तंभ में संगीतमय श्रद्धांजलि

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:00 PM (IST)

    सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में हुए कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल के बैंड ने दोपहर तीन बजे से शाम चार बजे तक कई धुनें बजाकर समा बांधा। बैंड ने दुश्मन से युद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों का हौंसला बढ़ाने वाली धुनें भी पेश की।

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    जम्मू के बलिदान स्तंभ में वीरवार को देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुति देकर देशभक्ति की भावना को बल दिया।

    जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में सरहदों की रक्षक सीमा सुरक्षा बल के बैंड ने शहीदों को समर्पित जम्मू के बलिदान स्तंभ में वीरवार को देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुति देकर देशभक्ति की भावना को बल दिया।

    सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में हुए कार्यक्रम में सीमा सुरक्षा बल के बैंड ने दोपहर तीन बजे से शाम चार बजे तक कई धुनें बजाकर समा बांधा। बैंड ने दुश्मन से युद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों का हौंसला बढ़ाने वाली धुनों के साथ शहीदों को सलामी देते समय बजाई जाने वाले कई धुनें भी पेश की।

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    बीएसएफ के बैंड की एक घंटे की प्रस्तुति के दौरान बलिदान स्तंभ में डीआइजी हरि लाल मुख्यअतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस मौके पर उनके साथ सीमा सुरक्षाबल, नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई गणमान्य लोग भी मौजूद थे। दोपहर तीन बजे के करीब बीएसएफ बैंड की संगीतमय श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम बलिदान स्तंभ में सेना के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुआ।

    इस मौके पर विचार व्यक्त करते हुए डीआइजी हरि लाल ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल सरहद को सुरक्षित बनाने की अपनी जिम्मेवारी को पूरी जिम्मेवारी के साथ निभा रही है। सीमा प्रहरी इस समय अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सभी चुनौतियों का सामना करते हुए दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बना रहे हैं। डीआईजी ने कहा कि देश सदैव उन वीरों का आभारी है जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस मौके पर उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के कार्यक्रम में आने के लिए सबका आभार भी जताया।

    सेना ने जम्मू में बलिदान स्तंभ उन शहीदों की याद मे बनाया है जो जम्मू कश्मीर व लद्दाख में चीन, पाकिस्तान से लड़े गए युद्धों में बहाुदरी का परिचय देते हुए देश के लिए कुर्बान हो गए। बलिदान स्तंभ में सेना के उन सभी शहीदों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखे गए हैं लड़ते लड़ते शहीद हो गए।