जम्मू के दूरदराज क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी होगी दूर, स्वास्थ्य निदेशक ने शुरू की नई पहल
जम्मू संभाग के दूरदराज इलाकों में डॉक्टरों की कमी की शिकायतों के बाद स्वास्थ्य निदेशक जम्मू ने दौरा शुरू किया है। उधमपुर डोडा राजौरी और पुंछ के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पाई गई है। स्वास्थ्य निदेशक ने गंदोह और रामनगर में डॉक्टरों की तैनाती की है। अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों के तबादले आसान नहीं हैं।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी की लगातार मिल रही शिकायतों के बीच स्वास्थ्य निदेशक जम्मू डॉ. अब्दुल हामिद जरगर ने जम्मू संभाग के दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे करना शुरू किए हैं। इनमें कई बार स्थानीय विधायकों को भी साथ लिया जाता है। अस्पतालों में कमियों को मौके पर सुनकर उनका समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है।
बीते कुछ दिनों में स्वास्थ्य निदेशक ने उधमपुर और जम्मू जिले के दूरदराज के क्षेत्रों के दौरे किए हैं। इससे पूर्व वह डोडा, राजौरी और पुंछ में गए थे। इन दौरों के दौरान सभी जगह पर उन्हें डॉक्टरों की कमी होने की शिकायतें मिली। विधायकों से लेकर स्थानीय लोगों तक ने डॉक्टरों की कमी की शिकायत की और पर्याप्त संख्या में स्टाफ की नियुक्ति करने की मांग की।
स्वास्थ्य निदेशक ने भी कुछ दिनों में पहले डोडा जिले के दूरदराज के क्षेत्र गंदोह में तीन डॉक्टरों को भेजा। इसके बाद उधमपुर जिले के रामनगर में तीन डॉक्टरों की तैनाती की। इन डॉक्टरों में डॉ. आदित्य कुमार, डॉ. इंद्रपाल सिंह, डॉ. सुनील शर्मा और डॉ. आदित्य चोपड़ा शामिल हैं। एक डॉक्टर को सीएचसी माहौर भेजा गया है।
यह वे क्षेत्र हैं जहां पर डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। इन नियुक्तियों से लोगों को राहत तो मिली है, लेकिन अभी भी अस्पतालों में स्थिति बदतर बनी हुई है। स्वास्थ्य निदेशक स्वयं भी यह मानते हैं कि दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है।
इसीलिए वह स्वयं इन अस्पतालों का दौरा कर वहां पर नियुक्तियां करने में जुटे हुए हैं। एक दिन पहले सीएचसी आरएस पुरा में भी स्थानीय विधायक डॉ. नरिंदर सिंह ने डॉक्टरों की कमी का मुद्दा उठाया था। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस अस्पताल में भी कुछ दिनों में दो से तीन डॉक्टरों की नियुक्ति हो सकती है।
अधिकारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ के तबादले करना आसान नहीं है। स्टाफ की कमी की शिकायत करने वाले विधायक ही कई बार डीओ लेटर देकर स्वास्थ्य कर्मियों को अटैच करने को कहते हैं।
जबकि स्वास्थ्य कर्मियों की अटैचमेंट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है और इसकी जानकारी सभी को है। हालांकि, स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से अब पहल की गई है, लेकिन अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं।
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