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    बलिदानी सुदेश कुमार शर्मा के नाम से जाना जाएगा मिडिल स्कूल बट्टल का नाम

    By Lokesh Chandra MishraEdited By:
    Updated: Mon, 27 Dec 2021 06:42 PM (IST)

    उन्होंने युवा से कहा कि हमें भारतीय सेना के जवानों का मान सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह जवान दूसरी राज्यों से अपना घर छोड़ कर हमारी रक्षा के लिए बार्डर पर तैनात रहते हैं तभी हम रात को चैन की नींद सो पाते हैं।

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    बलिदानी सुदेश कुमार शर्मा वर्ष 1996 में 13 डोगरा रेजिमेंट में वह सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए थे।

    खौड़, संवाद सहयोगी : मिडिल स्कूल बट्टल अब बलिदानी सुदेश कुमार शर्मा के नाम से जाना जाएगा। बट्टल गांव के ग्रामीणों को बलिदानी सुदेश कुमार शर्मा पर गर्व है। बलिदानी ने अपनी शिक्षा इसी स्कूल से शुरू की थी। उनका जन्म 10 मार्च, 1978 को सत्या देवी और कृष्ण लाल के घर हुआ था। वर्ष 1996 में 13 डोगरा रेजिमेंट में वह सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए थे। कारगिल युद्ध में भी सुदेश कुमार शर्मा ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे, जिसके लिए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया।

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    वर्ष 2002 में वैष्णो देवी के साथ उनका विवाह हुआ और चार नवंबर, 2003 में सुरनकोट पुंछ में आतंकियों के साथ लोहा लेते हुए देश के लिए शहीद हो गए। पत्नी वैष्णो देवी ने कहा कि उन्हें अपने पति पर गर्व है। वही एसडीएम खौड़ अनिल ठाकुर ने कहा कि सरकार शहीदों के नाम पर स्कूलों का नामकरण कर रही है। इससे भारतीय सेना के जवानों के लिए आने वाली पीढ़ी में मान सम्मान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि शहीद मरते नहीं, बल्कि अमर होते हैं।

    उन्होंने युवा से कहा कि हमें भारतीय सेना के जवानों का मान सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यह जवान दूसरी राज्यों से अपना घर छोड़ कर हमारी रक्षा के लिए बार्डर पर तैनात रहते हैं तभी हम रात को चैन की नींद सो पाते हैं। वही डीडीसी सदस्य भूषण बराल ने कहा कि ब्लाक भलवाल ब्राह्मणा शहीदों की धरती है और मुझे गर्व है कि मेरा जन्म भी इसी धरती पर हुआ है। इस मौके पर सुरेश शर्मा, यश पाल शर्मा, अनिल शर्मा सहित सेना के अधिकारियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और शहीद सुदेश कुमार शर्मा अमर के जयघोष लगाए।

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