Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kashmir Situation: शंकराचार्य मंदिर में हुई महाशिवरात्रि की मुख्य पूजा में पहुंचे कश्मीरी पंडित

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 21 Feb 2020 01:14 PM (IST)

    हिंदू वेलफेयर सोसायटी के चुन्नी लाल कौल ने बताया कि महाशिवरात्रि और कश्मीरी पंडित एक दूसरे के पर्याय कहे जाते हैं। यह हमारी समृद्ध परंपरा का हिस्सा है।

    Hero Image
    Kashmir Situation: शंकराचार्य मंदिर में हुई महाशिवरात्रि की मुख्य पूजा में पहुंचे कश्मीरी पंडित

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : गोपाद्री पर्वत के शिखर पर स्थित शंकराचार्य मंदिर में शुक्रवार की तड़के हर हर महादेव, बम-बम भोले के जयघोष और घंटियाें की आवाज गूंजने के साथ ही पूरा वातावरण शिवमय हो गया। सिर्फ शंकराचार्य मंदिर में ही नहीं लालचौक से कुछ ही दूरी पर झेलम किनारे स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर और सूर्ययार स्थित पौराणिक काल के शिवमंदिर में भी तड़के ही श्रद्धालुओं ने भगवान शंकर की पूजा करते हुए उनका जलाभिषेक किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कश्मीरी पंडितों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा धार्मिक त्यौहार है। इस त्यौहार के लिए कश्मीर में विशेषकर कश्मीरी पंडितों के घरों में महीना पहले ही तैयारियां शुरु हो जाती हैं और तीन से चार दिन पूजा का क्रम चलता है। घाटी में महाशिवरात्रि के पर्व पर सबसे बड़ा धार्मिक समागम शंकराचार्य मंदिर में ही होता है।

    डल झील किनारे गोपाद्री पर्वत पर स्थित शंकराचार्य मंदिर के कपाट आज सुबह चार बजे ही आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। हालांकि गत वीरवार को वादी के नीचले इलाकों में बारिश और उच्च पर्वतीय इलाकों में हिमपात हुआ था,लेकिन आज मौसम भी पूरी तरह सुधर गया। धर्माथ ट्रस्ट ने प्रशासन के के साथ समन्वय में श्रीनगर के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धालुओं को शंकराचार्य मंदिर तक पहुंचाने के लिए बसों का भी प्रबंध किया था,लेकिन अधिकांश श्रद्धालु अपने वाहनों में या फिर पैदल ही महादेव के जलाभिषेक के लिए पहुंचे। मंदिर में भगवान शंकर की पूजा हुई। सेना और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा नागरिक प्रशासन के आलाधिकारी भी शंकराचार्य मंदिर में भगवान शंकर का आशिर्वाद प्राप्त करने आए थे।

    पूजा के लिए आए श्रद्धालुओं में कश्मीरी पंडितों के अलावा कश्मीर में रहने वाले हिंदु समुदाय के लोग और पर्यटक भी शामिल थे। मंदिर के प्रांगण में अपने दोस्तों संग प्रसाद ग्रहण कर प्रशांत ने कहा कि हम पांच दिनों से कश्मीर में हैं। हमने आज गुलमर्ग घूमने जाना है,लेकन हमन तय किया था कि पहले शंकराचार्य मंदिर में महाशिवरात्रि की पूजा में शामिल होंगे और उसके बाद ही गुलमर्ग जाएंगे। हम यहां सुबह पांच बजे ही पहुंच गए थे।

    मंदिर में अपने बेटे संग भगवान शंकर का जलाभिषेक करने आए कश्मीरी पंडित विजय सस ने कहा कि मैं हर साल महाशिवरात्रि के दिन यहां शंकराचर्य में भगवान शिव की पूजा करने आता हूं। पहले यहां कश्मीरी पंडितों की तादाद ही सबसे ज्यादा होती थी,अब नहीं। कश्मीर में विशेषकर श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में रहने वाले बाहरी श्रमिक, निजी कंपनियों में काम करने वाले लोग, गैर मुस्लिम व्यापारी ही अब यहां ज्यादा नजर आते हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि जल्द ही यहां सबकुछ ठीक हो जाए और हमारे कश्मीरी पंडित भाई-बहन जो यहां से गए हैं, लौट आएं। बस भगवान शंकर का आशिर्वाद चाहिए।

    धर्माथ ट्रस्ट श्रीनगर के सचिव संदीप खुस्सु ने कहा कि शंकराचार्य मंदिर में ही महाशिवरात्रि का सबसे बड़ा आयोजन होताहै। हमने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर यहां सभी प्रबंध किए हैं। साफ-सफाई और सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है। मेडिकल कैंप भी स्थापित कराया है। इसके अलावा मंदिर में पूजा अर्चना के लिए जो भी जरुरी सामान है, श्रद्धालुओं को उपलब्ध रहे इसे भी सुनिश्चित किया गया है। इस बार यहां बीते साल से ज्यादा रश है। यह भोले की कृपा है।