मकर सक्रांति पर श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा के कपाट
मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा की पूजा-अर्चना रोजाना सुबह-शाम दिव्य आरती के समय पुजारियों द्वारा की जाती है। पर प्राचीन गुफा की विशेष पूजा-अर्चना मकर सक्रांति के दिन की जाती है। इसी दिन श्रद्धालुओं के लिए इस पवित्र गुफा के कपाट खोल दिए जाते रहे हैं।

कटड़ा, राकेश शर्मा : मकर सक्रांति यानी 14 जनवरी को श्री माता वैष्णो देवी के प्राकृतिक गुफा के कपाट खोल दिए जाएंगे। श्राइन बोर्ड के मुख्य पुजारी और अन्य पंडितों द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना कर इस गुफा को श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा। इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। हर साल यह परंपरा निभाई जाती है। लेकिन कोरोना संक्रमण के हालत को देखते हुए अभी यह कहना मुश्किल है कि श्रद्धालुओं को इस गुफा से वैष्णा माता का दर्शन करने की अनुमति होगी या नहीं।
मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा की पूजा-अर्चना रोजाना सुबह-शाम दिव्य आरती के समय पुजारियों द्वारा की जाती है। पर प्राचीन गुफा की विशेष पूजा-अर्चना मकर सक्रांति के दिन की जाती है। इसी दिन श्रद्धालुओं के लिए इस पवित्र गुफा के कपाट खोल दिए जाते रहे हैं। अमूमन इस समय दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 हजार के आसपास ही रहता है। लेकिन इस बार कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और दूसरी ओर श्रद्धालुओं की संख्या भी अच्छी खासी है। इसलिए प्राचीन गुफा से दर्शन पर असमंजस है।
सन 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड बनने के बाद मां वैष्णो देवी यात्रा में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी होने लगी, जिसको लेकर कृत्रिम गुफाओं का निर्माण हुआ और वर्तमान में साल भर में अधिकांश समय श्रद्धालु कृत्रिम गुफाओं से ही मां वैष्णो देवी के लगातार अलौकिक दर्शन कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं की संख्या कम होने पर खोली जाती है प्राकृतिक गुफा : प्राचीन गुफा में प्रतिदिन करीब पांच हजार श्रद्धालु ही दर्शन कर सकते हैं। इसलिए जब रोजाना यात्रा का आंकड़ा दस हजार से नीचे होता है, अभी इस प्राचीन गुफा के कपाट श्रद्धालुओं के लिए श्राइन बोर्ड खोलने की अनुमति देता है। श्रद्धालु इस प्राचीन तथा पवित्र गुफा के भीतर से होकर मां वैष्णो देवी के अलौकिक दर्शन करते हैं।
प्राचीन गुफा का है विशेष महत्व : पौरोणिक कथा के अनुसार जब इस प्राचीन गुफा के प्रवेश द्वार पर मां वैष्णो देवी तथा भैरव के बीच युद्ध हुआ था, तो मां वैष्णो देवी ने भैरवनाथ का वध किया था। जहां मां वैष्णो देवी ने भैरो नाथ का वध किया था। तब भैरवनाथ का शीश भैरव घाटी में जाकर गिरा था और धड़ गुफा के प्रवेश द्वार पर ही चट्टान के रूप में परिवर्तित हो गया। मां वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को वरदान दिया था कि जो भी श्रद्धालु मेरे दर्शन को आएगा और जब तक श्रद्धालु तुम्हारे धड़ से होकर मेरे अलौकिक दर्शन करने के उपरांत तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा, तब तक उसकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी।
दूसरी ओर इस गुफा के भीतर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास माना जाता है। इस गुफा के भीतर चरण गंगा 24 घंटे बहती रहती है एक और जहां गर्मी के मौसम में इस गुफा के भीतर बहने वाली चरण गंगा का पानी शीतल होता है तो वहीं सर्दी के दिनों में यह चरण गंगा गर्मी का एहसास दिलाती है जो अपने आप में अलौकिक है। प्राचीन गुफा के भीतर प्रवेश को लेकर श्रद्धालु का रहता है सपना। हालांकि करीब पांच दशक पूर्व केवल प्राचीन एकमात्र ही गुफा हुआ करती थी, जब श्रद्धालु मां वैष्णो देवी के अलौकिक दर्शन किया करते थे। परंतु समय के साथ धीरे-धीरे मां वैष्णो देवी यात्रा में बढ़ोतरी होने लगे तो वर्ष 1970 के करीब धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा प्राचीन गुफा का निर्माण किया गया। वर्ष 1986 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के बनने के बाद वर्ष 2000 में कुत्रिम गुफाओं का निर्माण किया गया और वर्तमान में श्रद्धालु लगातार इन कृत्रिम गुफाओं से ही मां वैष्णो देवी के अलौकिक दर्शन कर रहे हैं।
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