Kathua : 5 बक्सों से शहद उत्पादन शुरू करने वाले सुरेश, आज बन चुके हैं प्रख्यात उद्यमी, सालाना आय जान हैरान रह जाएंगे आप
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत योजना को बढ़ावा देकर जम्मू कश्मीर में शहद उत्पादन उद्यम के साथ सैकड़ों के लिए रोजगार पैदा कर रहे है।अपना युनिट लगाकर स ...और पढ़ें

कठुआ, जागरण संवाददाता : अच्छे मुनाफे वाले मधुपालन धंधे को आज भी ज्यादातर लोग बहुत ही मुश्किल झंझट वाला काम मानकर इसे अपनाने से परहेज करते हैं,लेकिन जिले के मढ़ीन सीमांत ब्लॉक के ठंगर गांव के ग्रेजुऐट युवा सुरेश कुमार ने इस धंधे को अपनाकर साबित कर दिया कि कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है, मुश्किल होती है हमारी सोच,अगर सोच को आसान और सकारात्मक बनाकर काम किया जाए तो वहीं काम आसान होकर आपकी सफलता के द्वार खोल देता है।
कुछ ऐसी ही सोच लेकर मात्र 5 बक्सों से मधुमक्खी पालन धंधे को शुरू कर सुरेश कुमार ने उसे आज एक हजार बक्से तक पहुंचा दिया है और तो और इस धंधे में रोजगार और मुनाफे की अपार संभावनाओं को देखते हुए उसे इतनी बुलंदियाें पर पहुंचा दिया कि खुद भी सालाना 12 लाख रुपये के करीब आय बनाए हुए है और 200 के करीब अन्य लोगों को इस धंधे से जोड़ कर उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध कराने में कदम बढ़ाए है।
मार्केट में शहद की बढ़ती मांग को देखते हुए सुरेश ने तीन साल पहले चड़वाल के निकट सेहस्वां में लाखों रुपये का शहद साफ करने वाला यूनिट भी लगाया है।यूनिट को उसने जिला उद्योग केंद्र से पंजीकृत कराकर सरकार से मिलने वाले प्रोत्साहन का भी लाभ लिया है।इस समय सुरेश कठुआ जिला में शहद उत्पादन में रिकार्ड बनाए हुए हैं।

इस समय वो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत योजना को बढ़ावा देकर जम्मू कश्मीर में शहद उत्पादन उद्यम के साथ सैकड़ों के लिए रोजगार पैदा कर रहे है।अपना युनिट लगाकर सुरेश को खुद का उत्पादन स्थापित करने से उन्हें सीधे बाजार में बेचने और रोजगार पैदा करने में मदद मिली। उसके साथ 25 से 30 लोगों की टीम काम कर रही है और उसे खुले बाजार में बेचने से 70 से 80 लाख की आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में शहद की 11 किस्में हैं,जिसमें से वो विभिन्न प्रकार के शहद का उत्पादन कर रहे हैं।
विशेष रूप से अजवाइन, तुलसी और अन्य प्रजातियां जिनकी बाजार में बड़ी मांग है।उन्होंने युवाओं की एक सहकारी समिति भी विकसित की है और इसके साथ 200 लोगों को पंजीकृत किया है और न केवल जम्मू-कश्मीर में बल्कि अन्य राज्यों में भी उनके साथ काम कर रहे हैं।इस धंधे में जुड़कर सीमावर्ती युवा अन्य लोगों के लिए एक प्रतीक बन गए हैं और युवाओं को इस पेशे में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
- जिस तरह से सुरेश कुमार ने सरकार की योजनाओं का लाभ उठकर इस धंधे को उद्यमी के रूप में अपनाया है।इससे अन्य युवाओं को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और ऐसे मुनाफे वाले धंधे को अपनाकर खुद भी आत्मनिर्भर बनकर दूसराें को भी प्रेरित करना चाहिए।केंद्र सरकार इसके लिए काफी प्रोत्साहित कर रही है।सुरेश ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत को अपने धंधे में मूलमंत्र बनाकर कृषि विभाग के रिकॉर्ड में सफल कृषक उद्यमी के रूप में आज जम्मू कश्मीर में अलग पहचान बनाई है। - कृषि विभाग के मुख्य अधिकारी संजीव राय गुप्ता
- मधुमक्खी पालन धंधा छोटे से निवेश के साथ शुरू किया जा सकता है,जैसे मैने 5 बक्से से शुरू किया था,आज मेरे पास एक हजार बक्से हैं,हालांकि मक्खी पालने के लिए उसकी खुराक शहद के स्रोत अपने क्षेत्र में साल में मात्र तीन महीने हैं,उसके बाद इन बक्सों में रखी मक्खियाें को दूसरे राज्यों जैसे हरियाणा और राजस्थान मेंं माइक्रेट करना करना पड़ता है,वहां पर जुलाई से लेकर अक्टूबर तक भेजे जाते हैं,इसके लिए उनका वहां के शहद उत्पादकों का सहयोग रहता है,जिन्हें मैं खुद भी उन्हें जहां पर इस प्रक्रिया के दौरान करता हूं।मुझे इस धंधे को अपनाने के लिए गांव के प्रेम मैनेजर से मिली थी - सुरेश कुमार, शहद उत्पादक उधमी

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