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    Jammu Central Jail: सुरक्षा पर सवाल; आतंकवादियों के कारनामों से बदनाम रही हैं राज्य की जेलें

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 13 Apr 2020 10:25 AM (IST)

    जेल में लगे मोबाइल फोन के जैमर 4जी मोबाइल नेटवर्क को रोक नहीं सकते। उक्त जैमर केवल टूजी नेटवर्क पर अंकुश लगाने में कामयाब होते हैं।

    Jammu Central Jail: सुरक्षा पर सवाल; आतंकवादियों के कारनामों से बदनाम रही हैं राज्य की जेलें

    जम्मू, अवधेश चौहान। आतंकवाद प्रभावित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की जेलें हमेशा से ही विवादों में बदनाम रही हैं। चाहे वह जम्मू की कोट भलवाल जेल हो या फिर श्रीनगर की सेंट्रल जेल। आरोप तो यह भी लगते रहे हैं कि इन जेलों का संचालन जेल प्रबंधन नहीं, बल्कि आंतकवादियों के कश्मीर में बैठे आका करते हैं। यहां तक कि किस आतंकी को जेल से फरार कराना है और किस तरह जेलों में रहकर पाकिस्तानी एजेंडे को कामयाब बनाना है, इस पर भी अंगुली उठती रही है।

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    जानकर हैरानी होगी कि जेलों में बंद पाकिस्तानी या फिर कश्मीर के आतंकी अपने मिजाज के अनुसार खुद ही व्यंजन आदि बनाते हैं। यह भी कहा जाता है कि इन आतंकवादियों को जेलों में खानपान से लेकर दवा-दारू और मोबाइल सेवाओं की तमाम सुविधाएं मिल रही हैं। यहां तक कि हवाला राशि भी उन तक धार्मिक किताबों में छिपाकर भेजी जा रही है। देश की अति संवेदनशील कोट भलवाल जेल रविवार को एक बार फिर सुर्खियों में आ गई, जब पुलिस ने जेल के अंदर जैश के संचार नेटवर्क को ध्वस्त कर मोबाइल, सिम और मेमोरी कार्ड को बरामद किया।

    जेल ब्रेक के लिए बदनाम है कोट भलवाल जेल: कोट भलवाल जेल में आतंकी कई बार भागने की कोशिश कर चुके हैं। वर्ष 1998 में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर इरफान ने 1998 में अपने दो साथियों के साथ जेल फांदने की कोशिश की। इन आतंकियों ने वर्ष 1995 में जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में आयोजित गणतंत्र दिवस पर एक के बाद एक विस्फोट किए थे। इस हमले में तत्कालीन राज्यपाल केवी कृष्णा राव बाल-बाल बच गए थे। हमले में आठ लोग मारे गए थे और 50 घायल हुए थे। जून 1999 में दूसरी बार जेल तोड़कर जैश के ही मौलाना मसूद अजहर और उसके साथियों को भगाने के लिए की कोशिश जैश ने की थी। तब जेल में सुरंग बनाकर आतंकी सनाउल्लाह ने इसे अंजाम दिया। सनाउल्लाह अजहर मसूद को भगाने में सफल नहीं हो पाया और जेल अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया। सुरंग के भीतर दूसरे आतंकी सज्जाद अफगानी को सीआरपीएफ ने मार गिराया। वर्ष 2013 में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी को कोट भलवाल जेल में कैदियों ने उसकी हत्या कर दी थी।

    मसूद अजहर को इसी जेल से ले जाया गया था कंधार: कोट भलवाल जेल में पाकिस्तानी आतंकवादियों का वर्चस्व यहीं खत्म नहीं हुआ। वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइन की फ्लाइट आइसी 814 को हाईजैक कर मसूद अजहर की रिहाई की मांग की थी। 1999 में मसूद अजहर को दो आतंकवादियों मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच कंधार एयरपोर्ट ले जाया गया, जहां उनके बदले यात्रियों को छुड़वाया गया।

    पुरानी तकनीक के जैमर किसी काम के नहीं: राज्य की विभिन्न जेलों में कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के प्रयोग के मामले लगातार प्रकाश में आते रहते हैं। गत वर्ष श्रीनगर सेंट्रल जेल में आतंकी नवीद के भागने के बाद जेल की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगे थे। उस समय जांच में यह बात सामने आई थी कि जेल में लगे मोबाइल फोन के जैमर 4जी मोबाइल नेटवर्क को रोक नहीं सकते। उक्त जैमर केवल टूजी नेटवर्क पर अंकुश लगाने में कामयाब होते हैं। श्रीनगर सेंट्रल जेल से उस समय एनआइए के छापे में करीब 25 मोबाइल और सिम बरामद हुए थे। कैदी धड़ल्ले से थ्रीजी और 4जी नेटवर्क का प्रयोग कर रहे थे। 

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