J&K News: मुथैया मुरलीधरन की कंपनी को फ्री में दी गई जमीन? विधानसभा में गूंजा मुद्दा; मंत्री बोले- जानकारी नहीं
श्रीलंका के क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन की कंपनी ने जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए आवंटित जमीन को सरेंडर कर दिया है। कंपनी को केंद्र सरकार की ओर से घोषित न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम (एनसीएसएस) का लाभ नहीं मिल पा रहा था। मुरलीधरन की कंपनी ने कठुआ जिले में 1642 करोड़ रुपये के निवेश के साथ साफ्ट ड्रिंक्स बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित कराई थी।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए घोषित नीति में मिलने वाली रियायतों से आकर्षित होकर श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) ने भी जिला कठुआ में उद्योग लगाने के लिए जमीन अलॉट कराई थी, लेकिन योजना में शामिल न हो पाने के कारण मुरलीधरन की कंपनी ने यहां उद्योग न लगाने का फैसला लेते हुए जमीन सरेंडर करने का आवेदन दायर कर दिया है।
इस बीच, शनिवार को विधानसभा में मुरलीधरन को जमीन अलॉट करने का मुद्दा गूंजा। माकपा विधायक मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने मुरलीधरन का नाम लिए बिना कहा कि श्रीलंका के एक क्रिकेटर को जमीन दी गई है, उन्हें किस आधार पर भूमि दी गई, उससे कोई पैसा नहीं लिया गया, इसकी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस सहित अन्य विधायकों ने भी यह मुद्दा उठाया।
25.75 एकड़ जमीन के लिए किया था आवेदन
केंद्र सरकार की ओर से पहली अप्रैल 2021 को न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम (एनसीएसएस) घोषित की गई थी। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने वालों को दस साल तक 300 प्रतिशत तक जीएसटी लिंक इनसेंटिव मिलना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 28,400 करोड़ रुपये का पैकेज दिया था। यह पैकेज अगस्त 2024 में पूरी तरह से आवंटित हो गया।
मुरलीधरन की कंपनी सेलान बेवरेजिस ने वर्ष 2023 में कठुआ जिला में 1642 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव के साथ साफ्ट ड्रिंक्स बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए 205 कनाल (25.75 एकड़) जमीन के लिए आवेदन किया था। जनवरी 2024 में उन्हें कठुआ में जमीन अलॉट हुई। इस बीच, केंद्र सरकार की ओर से दिया गया 28,400 करोड़ रुपये का पैकेज पूरी तरह से आवंटित हो गया।
(कठुआ में गत वर्ष उद्योग लगाने पहुंचे क्रिकेटर मुरलीधरण उद्योग विभाग के तत्कालीन महाप्रबंधक प्रेम सिंह के साथl जागरण आर्काइव)
मुरलीधरन के अलावा भी बहुत से उद्योगपति योजना में शामिल नहीं हो पाए। जम्मू-कश्मीर सरकार ने भी एनसीएसएस के तहत दिए गए 28,400 करोड़ के पैकेज को बढ़ाकर 75 हजार करोड़ करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन इस पर केंद्रीय बजट में कोई घोषणा नहीं हुई।
जमीन अलॉटमेंट की प्रकिया
- जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए आठ लाख रुपये प्रति कनाल के हिसाब से जमीन अलॉट की जाती है। मुरलीधरन को भी इसी दर से जमीन अलॉट हुई।
- उद्योग लगाने के लिए सरकार के सिंगल विंडो सिस्टम पर आवेदन दायर करना पड़ता है।
- उद्योगपति कितना निवेश कर रहा है, कितनी जमीन की आवश्कता है, कितने लोगों को रोजगार मिलेगा और औद्याेगिक इकाई के चलने से प्रदूषण किस तरह का होगा, इस आधार पर मेरिट तैयार किया जाता है।
- मेरिट के आधार पर पहले निदेशक स्तर पर प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है। उसके बाद प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एपेक्स कमेटी के पास प्रस्ताव जाता है और वहां से मंजूरी मिलने के बाद जमीन अलॉट होती है।
एनसीएसएस के तहत 9606.46 करोड़ का हुआ निवेश
-पिछले चार सालों में जम्मू-कश्मीर में 9606.46 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 1984 औद्याेगिक इकाईयों ने उत्पादन शुरू किया जिससे 63,710 लोगों को रोजगार मिला। दिसंबर 2024 तक सरकार के पास 1.63 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव और आ चुके थे और इन इकाईयों के शुरू होने से प्रदेश के 5.90 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
अब ये उद्योगपति केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार की ओर से कोई आर्थिक पैकेज घोषित होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सीमित संसाधनों के कारण औद्योगिक उत्पादन पड़ोसी राज्यों की तुलना में महंगा है। ऐसे में सरकारी रियायतों के दम पर ही प्रदेश में आज तक उद्योग चल रहा है।
तारीगामी ने विधानसभा में उठाया मुद्दा
माकपा विधायक एमवाई तारीगामी ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मुथैया मुरलीधरन का नाम लिए बिना विदेशी क्रिकेटर को जमीन अलॉट किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि किन शर्तो व किस रेट पर यह जमीन अलॉट की गई, सरकार उस पर स्थिति स्पष्ट करें।
तारीगामी के इस मुद्दे को उठाने के बाद कांग्रेस विधायक जीए मीर भी बहस में कूद पड़े और उन्होंने इसे गंभीर मुद्दा करार देते हुए जवाब मांगा। इसके बाद कई अन्य विधायकों ने भी जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को जमीन अलॉट करने का मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि कई लोगों को उनकी जमीनों से बेदखल करके उनसे उनकी जमीनें ली गई और बाहरी राज्यों के उद्योगपतियों को अलॉट की गई है। ऐसे लोगों को जमीनों का मुआवजा भी नहीं मिला।
मुथैया मुरलीधरन हो या कोई अन्य निवेशक सरकार ने एनसीएसएस के तहत दिए गए दिशानिर्देशों के अनुसार ही सबको जमीन अलॉट की है और सरकार की ओर से जो रेट तय किए गए थे, उन्हीं रेट के आधार पर जमीनें अलॉट हुई है। जमीन अलॉटमेंट की पूरी प्रक्रिया है जिसका पालन किया जाता है। जहां तक मुरलीधरन की बात है तो दो दिन पहले उन्होंने जमीन सरेंडर करने का आवेदन दिया है क्योंकि उन्हें एनसीएसएस का लाभ नहीं मिल रहा था। अब जमीन नियमानुसार 20 प्रतिशत पैसे काट कर उन्हें बाकी पैसा लौटाया जाएगा।
अरूण मन्हास, निदेशक उद्योग एवं वाणिज्य विभाग जम्मू
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