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    रीढ़ की हड्डी की चोटों के प्रति सुरक्षा उपाय स्वस्थ भविष्य की ओर कदम, डॉ. ब्यास ने बताए प्रभाव और बचाव के उपाय

    By Rohit Jandiyal Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 01:43 PM (IST)

    डॉ. ब्यास के अनुसार, रीढ़ की हड्डी की चोटें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हैं जो लकवा और सांस लेने में कठिनाई जैसी जटिलताएँ पैदा कर सकती हैं। इन चोटों से बचाव के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक है, जैसे सीट बेल्ट पहनना और उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना। 

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    जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से, हम स्वस्थ भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में हड्डी रोग विभाग में एसोसिएट प्राेफेसर डॉ. ब्यास देव का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोटों को रोकने के लिए समाज को प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि रीढ़ की हड्डी की चोटें न केवल व्यक्तिगत समस्या हैं बल्कि यह एक सामाजिक समस्या है जिससे हमें निपटना होगा। 

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    विश्व स्पाइन दिवस पर जीएमसी जम्मू में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए डॉ. ब्यास देव ने कहा कि वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों का पालन करने, गति सीमा का पालन करने और सड़कों पर यातायात नियमों का पालन करने से रीढ़ की हड्डी की चोटों को काफी हद तक रोका जा सकता है। 

    उन्होंने कहा कि हमें जागरूकता फैलाने और लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी से काम लें। उन्होंने कहा कि हर वर्ष देश में सड़क हादसों में एक लाख से अधिक लोगों की मौत होती है और कई लाख घायल होते हैं। लेकिन अभी भी इसे गंभीरता के साथ नहीं लिया जाता है। 

    हर महीने 30-40 मरीजों को होती है स्पाइन सर्जरी की जरूरत

    उन्होंने कहा कि रीढ़ की हड्डी की चोटें एक बड़ी समस्या बनती जा रही हैं और हर महीने 30-40 मरीजों को स्पाइन सर्जरी की आवश्यकता होती है।उन्होंने कहा कि रीढ़ की हड्डी की चोटें न केवल मरीजों के लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी आर्थिक बोझ बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि इन चोटों को रोकने के लिए हमें जागरूकता फैलाने और सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। 

    मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए

    कार्यक्रम में कुछ मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए जिन्होंने जीएमसी जम्मू में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी करवाई थी। उन्होंने अस्पताल और डाक्टरों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हादसों के बाद उन्होंने जिंदगी की उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन यहां पर डाक्टरों ने उन्हें नई जिंदगी दी।कार्यक्रम में एनस्थीसिया विभाग की प्रमुख डॉ. अनिता कोहली ने भी अपने विचार रखे। 

    जीएमसी सुविधाओं को अपग्रेड कर रहा

    उन्होंने रीढ़ की हड्डी की चोटों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना की। जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल डा. आशुतोष गुप्ता ने हड्डी रोग विभाग के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि आज वे सभी प्रक्रियाएं यहां पर हो रही हैं जो कि अन्य प्रतिष्ठित अस्पतालों में होती थी। समय-समय पर विभाग में सुविधाओं को अपग्रेड किया जा रहा है।

    जागरूकता फैलाने की जरूरत

    डॉ. अखिल गुप्ता ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि रीढ़ की हड्डी की चोटों के बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन चोटों को रोकने के लिए हमें सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों का पालन करने की आवश्यकता है। डॉ. स्पर्श डागोरिया, डॉ. टडील, डॉ. इरफान पोसपाल, डॉ. नरेंद्र थापा, डॉ. अभिमन्यु कैथ ने भी अपने विचार रखे। चिकित्सा अधीक्षक हड्डी और जोड़ अस्पताल डॉ. संजय अरोड़ा, डॉ. मोहम्मद फारूक भट, डॉ. फरीद मलिक, डॉ. नीरज महाजन, डॉ. जमील भी कार्यक्रम में मौजूद थे।