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    Teachers' Day 2021 Jammu Kashmir: कभी पैदल-कभी थामी घोड़े की लगाम, पर नहीं बुझने दी शिक्षा की लौ

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Sun, 05 Sep 2021 07:17 AM (IST)

    सीमावर्ती राजौरी जिले के मिडिल स्कूल पदर में कार्यरत अध्यापक हरनाम सिंह ने विद्या दान महा दान के संकल्प को अपने जीवन का मिशन बनाया है। हरनाम सिंह बताते हैं कि स्कूल में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने अपनी जेब से 30 हजार रुपये खर्च किए।

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    अध्यापक का फर्ज शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है। विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बनाना है।- हरनाम सिंह, अध्यापक

    जम्मू, सतनाम सिंह : कोरोना की चुनौतियों के बीच जब सभी स्कूल बंद थे और बच्चे घरों में कैद, तो शिक्षा की लौ जलाए रखने के लिए अध्यापक हरनाम सिंह जम्वाल घर से निकले। पहाड़ी इलाकों में कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर तो कभी घोड़े पर सवार होकर दूरदराज इलाकों में पहुंचे और सामुदायिक तौर पर तथा घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाया।

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    इन क्षेत्रों में आनलाइन की सुविधा नहीं थी। कई बच्चों के पास मोबाइल फोन तक नहीं थे। बावजूद इसके हरनाम ने हिम्मत नहीं हारी। यही नहीं, उन्होंने अपनी दो कनाल भूमि भी स्कूल को दान कर दी। विलेज लेवल शिक्षा कमेटी और स्थानीय लोगों के सहयोग से बच्चों के लिए खेल मैदान तैयार करवाया। सामाजिक सरोकार में भी हरनाम सिंह पीछे नहीं रहे और कोरोना काल में अपनी निजी कार एंबुलेंस के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रशासन को सौंप दी। हरनाम सिंह अपनी निष्ठा और लगन के कारण पंचायत से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड जीत चुके हैं।

    सीमावर्ती राजौरी जिले के मिडिल स्कूल पदर में कार्यरत अध्यापक हरनाम सिंह ने विद्या दान महा दान के संकल्प को अपने जीवन का मिशन बनाया है। हरनाम सिंह बताते हैं कि स्कूल में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने अपनी जेब से 30 हजार रुपये खर्च किए। लाकडाउन के दौरान स्कूल में किचन गार्डन तैयार किया। फलों के पौधे लगाए। मिड डे मील योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले खाने में देसी घी का इस्तेमाल करवाते हैं।

    बच्चों को स्कूल न छुड़वाने के लिए किया जागरूक :

    स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होने पर हरनाम सिंह ने घोड़े की लगाम थामी। राजौरी के दूरदराज व पहाड़ी इलाकों में जहां गाड़ी नहीं जाती थी, वहां वह घोड़े पर सवार होकर पहुंचे। उन्होंने लोगों को जागरूक किया वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें, पढ़ाई न छुड़वाएं।

    पढ़ाने के साथ बच्चों को मास्क व सैनिटाइजर बांटे :

    पंद्रह वर्षों से बच्चों को निशुल्क पढ़ा रहे हरनाम सिंह कहते हैं कि उनका मकसद कोरोना के बीच भी बच्चों की पढ़ाई जारी रखना था और इस बीमारी से बचाव भी। ऐसे में उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के साथ मास्क व सैनिटाइजर बांटे। साथ में शारीरिक दूरी बनाए रखने को लेकर भी जागरूक किया।

    यह भी किया :

    -दूरदराज के इलाकों में समर कैंप लगाकर बच्चों को योग सिखाते हैं।

    -स्कूल में पढ़ाने के बाद अपने घर में बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं।

    -जल संरक्षण के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक किया।

    -बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बारे में भी जागरूकता फैलाई।

    हरनाम सिंह की योग्यता :

    एमएससी ईवीएस, एमए राजनीति विज्ञान, एमए पब्लिक एडमनिस्ट्रेशन, एमए टूरिज्म एंड मैनेजमेंट, बीएड, एलएलबी एमए साईकालोजी कर रहे हैं। रहबर-ए-तालीम अध्यापक के रूप में 14 नवंबर 2001 को नियुक्ति हुई थी।

    अब तक मिले सम्मान :

    -बेस्ट टीचर इनोवेशन अवार्ड 2019

    -स्कूल शिक्षा विभाग जम्मू से बेस्ट टीचर अवार्ड 2018