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    जम्मू में झाड़ फूंक के झांसे में जान गंवा रहे सर्पदंश पीड़ित, ढाई साल में 31 मौतें

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 09:04 PM (IST)

    जम्मू में सर्पदंश के मामले बढ़ रहे हैं और अंधविश्वास के कारण कई लोगों की जान जा रही है। ऊधमपुर में एक बच्चे की मौत झाड़-फूंक के कारण हुई। ढाई साल में 31 मौतें हुई हैं जिनमें जम्मू में 22 शामिल हैं। डॉक्टर कोबरा और वाइपर के काटने के मामलों को देखते हैं। जागरूकता की कमी के कारण लोग अस्पताल जाने की बजाय झाड़-फूंक करवाते हैं।

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    झाड फूंक के झांसे में जान गंवा रहे सर्पदंश पीड़ित (प्रतीकात्मक फोटो)

    रोहित जंडियाल, जम्मू। ऊधमपुर जिले के मांड क्षेत्र के 16 वर्षीय बच्चे को सांप ने काट लिया। परिजन उसे डाक्टर के पास ले जाने के स्थान पर झांड फूंक करवाने के लिए ले गए। जब फर्क नहीं पड़ा तो पहले ऊधमपुर और फिर जीएमसी जम्मू में लाया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

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    इलाज में देरी के कारण उसकी मौत हो गई। इस प्रकार के कई मामले हैं जहां पर लोग सांप के काटने पर अस्पताल जाने के स्थान पर झांड फूंक करने को प्राथमिकता देते हैं। इस कारण कइयों की जान चली जाती है। ढाई वर्ष में अस्पतालों में 31 लोगों की मौत हो चुकी है।

    इनमें से अधिक 22 जम्मू जिले में हुई हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कई बार तो सांप के काटने के बारे में जानकारी नहीं होती। कई लोग इस हालात में आते हैं कि जैसे उन्होंने नशा किया हो। परिजनों को जानकारी नहीं होती कि उसे सांप ने काटा है।

    जीएमसी जम्मू में मेडिसिन विभाग में विशेषज्ञ डॉ. जेबी सिंह का कहना है कि अस्पताल में कोबरा और वाइपर के काटने के मामले आते हैं। समय पर अस्पताल में इलाज के लिए आने वालों की जान बच जाती है। उन्होंने कहा कि खेतीबाड़ी के दौरान काम करने वालों को सांप के काटने के मामले आते हैं।

    किडनी रोग विशेषज्ञ डा. एसके बाली का कहना है कि सांप के काटने के दो प्रकार के मामले आते हैं। न्यूरोटाक्सिक और हेमोटाक्सिक। कोबरा के काटने के मामले न्यूरोटाक्सिक हैं। यह एक ऐसा जहर है जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे कई बार समय पर इलाज न करवाने से जान भी चली जाती है। वहीं घना और वाइपर हेमोटाक्सिक हैं और इनके काटने से खून के क्लाट नहीं होता।

    इससे ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। इसमें किडनी काम करना बंद कर देती है और पीड़ित की जान भी चली जाती है। जम्मू में घना के काटने के सबसे अधिक मामले आते हैं। महामारी विशेषज्ञ डा. हरजीत राय का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में अभी भी कई जगहों पर लोग अंधविश्वास में जीते हैं।

    ऊधमपुर जैसे क्षेत्र में अगर सांप के काटने के बाद लोग इलाज करवाने के स्थान पर झांड फूंक करें तो अनुमान लगाया जा सकता है कि जागरूकता की कमी है। उन्होंने लोगों से सांप के काटने पर तुरंत अस्पताल में जाकर इलाज करवाने की सलाह दी।

    जम्मू-कश्मीर में जम्मू जिले में सबसे अधहक सर्पदंश के मामले आते हैं। बीते ढाई वर्ष में साढ़े छह सौ से अधिक मामले जिले में दर्ज हुए। कठुआ जिले में 518 मामले दर्ज हुए। पुंछ में 326 मामले दर्ज हुए।

    शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस पर कई स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यक्रम हुए जहां पर लोगों को सर्पदंश के बाद इलाज के बारे में जागरूक किया गया। प्राथमिक चिकित्सा केंद्र राया और न्यू टाइप प्रथमिक चिकित्सा केंद्र सरोर में आयोजित कार्यक्रम में डाक्टरों ने सर्पदंश होने पर तुरंत अस्पताल में जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर समय पर इलाज न हो तो कई बार दिव्यांग होने और मरने की आशंका भी रहती है।

    जिला वर्ष 2023 2024 2025 (जुलाई तक)

    अनतंनाग 01 03 01

    बड़गाम 00 00 00

    बांडीपोरा 07 06 02

    बारामुला 02 29 04

    गांदरबल 04 02 00

    कुलगाम 00 00 00

    पुलवामा 03 03 02

    शोपियां 00 00 00

    श्रीनगर: 01 03 01

    डोडा 43 101 41

    जम्मू: 241 275 131

    कठुआ 147 218 153

    किश्तवाड़ 46 40 08

    कुपवाड़ा 03 07 01

    पुंछ: 118 147 51

    राजौरी: 226 98 32

    रामबन 46 99 20

    रियासी 02 79 19

    सांबा 21 68 30

    ऊधमपुर 58 63 32

    सर्पदंश से होने वाली मौतें

    2023 से जुलाई 2025 तक

    1. डोडा: 01

    2. जम्मू: 22

    3. कठुआ: 01

    4. रियासी: 01

    5. राजौरी: 05

    6. सांबा: 01