कौन सी 'साइलेंट बीमारी' महिलाओं की हड्डियों को कर रही कमजोर, भूलकर भी अनदेखा न करें ये लक्षण
महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी एक 'साइलेंट बीमारी' है, जिसमें ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों को कमजोर कर देती है। शुरुआती लक्षण स्पष्ट नहीं होते, इसलिए नियमि ...और पढ़ें

डॉक्टरों का कहना है कि जल्दी पता लगने से इसका प्रबंधन आसान है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। ऑस्टियोपोरोसिस (अर्थात कमजोर हड्डियां) एक हड्डी की बीमारी है जिसमें हड्डी का नुकसान होता है। हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और टूटने की संभावना अधिक हो जाती है। यह कई सालों में धीरे-धीरे विकसित होता है और अक्सर इसका पता तब चलता है जब मामूली गिरने से या अचानक धक्का लगने से हड्डी फ्रैक्चर हो जाती है।डाक्टरों ने इससे बचाव के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वास्थ्य जांच की सलाह दी है।
जीएमसी जम्मू के प्रिंसिपल डा. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस बढ़ती उम्र वाली आबादी के बीच एक बहुत ही सामान्य अवस्था है। अकेले भारत में ही लगभग 36 मिलियन लोग इससे ग्रस्त हैं। आस्टियोपोरोसिस के कारण हर साल 1.5 मिलियन से अधिक फ्रैक्चर होते हैं।
जम्मू-कश्मीर में भी कई लोग इससे पीड़ित हैं। हालांकि इस पर यहां कोई अध्ययन नहीं हुआ है। आंकड़ों से पता चलता है कि पचास वर्ष से अधिक महिलाओं में दो में से एक में ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर और 75 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में तीन में से एक में फ्रैक्चर होता है।
महिलाओं में इसीलिए होती है समस्या
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव विशेष रूप से मेनोपाज के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ा सकते हैं।उम्र बढ़ने के साथ-साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। इसके जेनेटिक कारण भी है। यदि परिवार में ऑस्टियोपोरोसिस का इतिहास है, तो महिलाओं में इसका खतरा अधिक हो सकता है। पोषण की कमी से कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होने से हड्डियों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
व्यायाम की कमी और निष्क्रिय जीवनशैली ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा सकती है। धूम्रपान हड्डियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ज्यादा शराब पीने से भी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। कुछ दवाओं का लंबे समय तक सेवन भी हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
क्यों कहते हैं साइलेंट बीमारी (खामोश बीमारी)
ऑस्टियोपोरोसिस को खामोश बीमारी कहा जाता है क्योंकि आम तौर पर हड्डी टूटने तक कोई लक्षण नहीं दिखते। रीढ़ फैक्चर के लक्षणों में गंभीर पीठ दर्द, ऊंचाई में कमी, या रीढ़ की हड्डी में विकृतियां जैसे कि झुकी हुई या झुकी हुई मुद्रा (काइफोसिस) शामिल हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने महिलाओं को इन कारणों से बचाव के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वास्थ्य जांच की सलाह दी हैं।
उन्होंने डाइट में दूध, पनीर और सब्जियों को शामिल करने, सप्ताह में दो से तीन बार पंद्रह मिनट के लिए सुबह की धूप में बैठने, हर दिन कम से कम एक घंटे तक पैदल चलने और एक ही पोजीशन में अधिक देर के लिए न बैठने की भी सलाह दी है।

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