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    Ganesh Utsav 2021 : शुक्रवार से शुरू होगा श्री गणेशोत्सव, शुभ मुहूर्त में करें श्री गणेश जी का पूजन

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Wed, 08 Sep 2021 08:51 AM (IST)

    भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और संपन्नता आती है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन व्रत भी रखते हैं।भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति को घर पर लाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि श्रीगणेश जी की सूंड बांयी तरफ होना चाहिए।

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    भाद्रपद शुक्ल पक्ष की श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक यह उत्सव मनाना चाहिए।

    जम्मू, जागरण संवाददाता : इस बार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, सिद्धि विनायक का व्रत 10 सितंबर शुक्रवार को है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को कलंक चतुर्थी, पत्थर चौथ एवं अन्य नामो से जाना जाता है।

    शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्र पद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। इसीलिए दोपहर का समय गणेश पूजा के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। शुक्रवार 10 सितंबर सुबह 11 बजकर 09 मिनट से भद्रा शुरू होगी और रात्रि 09 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। कुछ भक्त अगर भद्रा का विचार करते हैं तो वह 10 सितंबर सुबह 11 बजकर 09 मिनट के पहले श्रीगणेश जी की पूजन कर सकते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार जब चंद्रमा कन्या, तुला, धनु, मकर राशि में रहे तो भद्रा पाताल लोक की होती है।

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    भद्रा जब पाताल लोक की होती है तो आप शुभ कार्य कर सकते हैं। 10 सितंबर को भद्रा तुला राशि में है। इस लिए गणेश चतुर्थी पर भद्रा का गणपति की पूजन एवं स्थापना पर कोई प्रभाव नहीं रहेगा। अगर श्रीगणेश जी के भक्त मध्याह्न काल के दौरान श्रीगणेश पूजन करना चाहते हैं, तो वह दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट के मध्य पूजन कर लें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्यान्ह काल में हस्त और चित्रा नक्षत्र, ब्रह्म योग, वणिज करण, तुला राशि के चन्द्रमा, सिंह राशि में सूर्य होंगे। इस दिन चंदर अस्त रात्रि 09 बजे होगा।इस चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करना वर्जित है।

    भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि श्री गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। महंत रोहित शास्त्री ने बताया श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी के दिन तक गणेशोत्सव मनाया जाता है। कुछ श्रीगणेश भक्त 3 दिन या 5 दिन के गणेश जी स्थापित किए जाते हैं। भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार इन दिनों का निर्धारण करते हैं।लेकिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक यह उत्सव मनाना चाहिए।

    श्री गणेशोत्सव के दौरान श्रद्धालु अपने घर, मंदिरों एवं अन्य स्थानों में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन गणेश भगवान की पूजा पाठ करते हैं। कोरोना महामारी के कारण सार्वजनिक स्थानों पर श्री गणपति स्थापना एवं पूजन पर ठीक नहीं होगा। आप अपने घर रहकर भगवान गणेश की मूर्ति स्वयं अथवा पंडित जी से स्थापित करवा कर पूजन करें।

    भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और संपन्नता आती है। श्री गणेश चतुर्थी के दिन व्रत भी रखते हैं।भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति को घर पर लाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि श्रीगणेश जी की सूंड बांयी तरफ होना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस तरह की मूर्ति की उपासना करने पर जल्द मनोकामना पूरी होती है। भगवान श्रीगणेश जी की मूर्ति का मुख दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए। क्योंकि गणेश जी मुख की तरफ समृद्धि, सुख और सौभाग्य होता है। जबकि पीठ वाले हिस्से पर दुख और दरिद्रता का वास होता है।

    श्री गणेश जी को कभी भी उस दीवार पर स्थापित न करें जो टॉयलेट की दीवार से जुड़ी हुई हों। कुछ परिवार घरों में चांदी के भगवान गणेश स्थापित करते हैं। अगर आपके भगवान श्रीगणेश चांदी के हैं। तो इसे उत्तर पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थापित करें।अगर आपके घर में जो उत्तरपूर्व कोना हों। उसमें भगवान श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित करना सबसे शुभ होता है। अगर आपके घर में इस दिशा का कोना न हों तो परेशान न हों। पूर्व या पश्चिम दिशा में ही स्थापित कर लें। कभी भी सीढ़ियों के नीचे भगवान की मूर्ति को स्थापित न करें। 

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