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    Amarnath Yatra 2022 : यहां आस्था में डूबे कई श्रद्धालुओं को शेषनाग देते हैं दर्शन, दूर से ही आकर्षित करती शेषनाग झील

    By Lokesh Chandra MishraEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jul 2022 06:06 PM (IST)

    कैंप से एक किलोमीटर पहले ही शेषनाग झील आती है। इस कारण यहां पर विश्राम करने वाले श्रद्धालु झील के दर्शनों के लिए बार-बार आते हैं। अगर किसी को झील के पास से दर्शन करने हो तो इसके लिए उन्हें कैंप अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है।

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    शेषनाग कैंप में पैदल यात्रा करने वाले अधिकांश श्रद्धालु पहले दिन विश्राम करते हैं।

    शेषनाग कैंप, रोहित जंडियाल : श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा में कई पड़ाव आते हैं और हर किसी की अपनी मान्यता है, लेकिन पहलगाम मार्ग पर आने वाला शेषनाग पड़ाव इस मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है। हर कोई शेषनाग झील के दर्शन करने को उत्सुक दिखता है। हालांकि झील के पास जाने की किसी को भी अनुमति नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र में रहने वाले बहुत से लोग यह दावा करते हैं कि उन्हें झील में शेषनाग के दर्शन हुए हैं।

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    पहलगाम मार्ग पर नुनवान बेस कैंप से 24 किलोमीटर दूर स्थित शेषनाग कैंप में पैदल यात्रा करने वाले अधिकांश श्रद्धालु पहले दिन विश्राम करते हैं। इस बार वर्षा के कारण यात्रा को तीन बार स्थगित करना पड़ता है। इस कारण हजारों श्रद्धालु ऐसे थे जो कि इस कैंप में दो-दो दिनों तक रहे हैं। कैंप से एक किलोमीटर पहले ही शेषनाग झील आती है। इस कारण यहां पर विश्राम करने वाले श्रद्धालु झील के दर्शनों के लिए बार-बार आते हैं। अगर किसी को झील के पास से दर्शन करने हो तो इसके लिए उन्हें कैंप अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है।

    मान्यता यह है कि जब भगवान शिव माता पार्वती के साथ पवित्र गुफा की ओर जा रहे थे तो वह अपने साथ शेषनाग को इसी झील में छोड़ गए थे। इसके बाद से ही इस झील में शेषनाग कई को दर्शन देते हैं। झील का करीब तीन किलोमीटर का दायरा है और इसका पानी का रंग भी सबसे अलग है। दूर से ही यह झील श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पहाड़ों के बीच बसी इस झील के पीछे ग्लेशियर हैं। कैंप में इस झील के साथ ही रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। हर कोई नतमस्तक होकर ही यहां से गुजरता है।

    इस झील के पास ही गर्मियों के मौसम में रहने वाले गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के बशीर अहमद बताते हैं कि अचानक झील में रात को रोशनी दिखाई देती है। पानी के बीच कुछ तैरता हुआ आता है और फिर रोशनी हो जाती है। इसे देखना असंभव सा लगता है। उनका कहना है कि कई बार अंग्रेज भी झील के किनारे टेंट लगाकर कई-कई दिनों तक रहते हैं। वहीं शेषनाग कैंप में डयूटी देने वाले कई अधिकारी भी झील में दर्शन होने की बात कहते हैं।

    शेषनाग कैंप के अतिरिक्त कैंप डायरेक्टर सतीश शर्मा का कहना है कि बाबा अमरनाथ की यात्रा में शेषनाग झील एण्क अहम पड़ाव है। इस रास्ते आने वाले सभी श्रद्धालु यहां पर दर्शनों को लेकर उत्सुक रहते हैं। झील में जाने की किसी को अनुमति नहीं है। लेकिन ऊपर से हर कोई दर्शन कर सकता है।

    एसडीआरएफ के जवान तैनात : यात्रा के दौरान झील के पास कोई भी न जाए, इसके लिए स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है। वह झील के पास जाने से हर किसी को रोकते हैं। काफी गहरी होने के कारण वहां पर कोई अनहोनी न हो और झील स्वच्छ रहे, इसके लिए भी यह कदम उठाया गया है।

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