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    Shahpur Kandi Dam Project: शाहपुर कंडी बांध परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मिली हरी झंडी

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Sun, 14 Mar 2021 08:41 AM (IST)

    कठुआ और सांबा जिले के किसानों के लिए सिंचाई के क्षेत्र में वरदान साबित होने वाली निर्माणाधीन शाहपुर कंडी डैम परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्लयूएल) की मंजूरी भी मिल गई। रावी नदी पर बनने वाली परियोजना से जम्मू कश्मीर और पंजाब दोनों ही लाभान्वित होंगे।

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    निर्माणाधीन शाहपुर कंडी डैम परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्लयूएल) की मंजूरी भी मिल गई।

    कठुआ, जागरण संवाददाता : कठुआ और सांबा जिले के किसानों के लिए सिंचाई के क्षेत्र में वरदान साबित होने वाली निर्माणाधीन शाहपुर कंडी डैम परियोजना को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्लयूएल) की मंजूरी भी मिल गई। रावी नदी पर बनने वाली परियोजना से जम्मू कश्मीर और पंजाब दोनों ही लाभान्वित होंगे। यह मंजूरी एनबीडब्लयूएल की 18 फरवरी को हुई बैठक में मिली है।

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    एनबीडब्लयूएल ने थीन कंजर्वेशन रिजर्व के अधीनस्थ 51.08 हेक्टेयर जमीन के इस्तेमाल की अनुमति दी है। एनबीडब्लयूएल ने कहा कि शाहपुर कंडी डैम के लिए प्रस्तावित जगह रावी दरिया पर अत्यंत महत्वपूर्णं है। इस जगह दरिया का हिस्सा तंग इलाके से गुजरता है। परियोजना के कारण वन्य जीव विभाग की जमीन के बड़े हिस्से जलमग्न होने से बचाने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण संरक्षण परियोजना के तहत आरक्षित 51.08 हेक्टेयर जमीन के लिए वन्य जीव विभाग की तरफ से अनुमति दी जाती है।

    बैठक के मिनटस आठ मार्च 2021 को संबंधित विभागों व अधिकारियों के बीच साझा किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि परियोजना को कार्यान्वित करने वाली संस्था वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रविधाना, सर्वाेच्च न्यायलय के सभी निर्देशों, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और जम्मू कश्मीर सरकार के संदर्भ जारी सभी आदेशों व निर्देशों का पालन करेगी। शाहपुर कंडी डैम परियाजना पंजाब राज्य के पठानकोट में हैं। परियोजना के पूरा होने पर 206 मेगावाट बिजली पैदा होगी और पंजाब में पांच हजार व जम्मू कश्मीर में 32173 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी।

    इस परियोजना के लिए 1979 में पंजाब व जम्मू कश्मीर के बीच एक समझौता हुआ था। उसके तहत रंजीत सागर परियोजना और शाहपुर कंडी डैम परियोजना पंजाब सरकार द्वारा तैयार की जानी थी। केंद्र सरकार ने 2008 में इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया। यह परियोजना 2013 में शुरू होनी थी लेकिन जम्मू कश्मीर व पंजाब में विवाद के चलते काम रोक दिया गया। सितंबर 2018 में इस परियोजना को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया।