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    जम्मू-कश्मीर में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाया जाएगा सेवा पर्व, उपराज्यपाल सिन्हा ने की तैयारियों की समीक्षा

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:23 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक सेवा पर्व मनाया जाएगा। उपराज्यपाल ने लोक सेवा सामुदायिक भागीदारी और समावेशी शासन को बढ़ावा देने के लिए तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने विकसित भारत और विकसित जम्मू-कश्मीर के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने पर जोर दिया। नशा मुक्ति आपदा प्रबंधन जागरुकता और शिकायत निवारण शिविर भी आयोजित किए जाएंगे।

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    जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक सेवा पर्व मनाया जाएगा। उपराज्यपाल ने वीरवार को इसकी तैयारियों की समीक्षा करते हुए लोक सेवा, सामुदायिक भागीदारी और समावेशी शासन को बढ़ावा देने के लिए विभागों और जिला प्रशासन द्वारा नियोजित गतिविधियों के बारे में जानकारी ली।

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    उन्होंने कहा कि सेवा पर्व के उत्सव में विकसित भारत और विकसित जम्मू-कश्मीर के प्रति प्रतिबद्धता झलकनी चाहिए। हमारा ध्यान प्रतीकात्मक गतिविधियों पर नहीं, बल्कि परिणामों पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गतिविधियां विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप हों।

    उपराज्यपाल ने विभागों को प्रमुख योजनाओं के कवरेज में कमियों की पहचान करने और उन्हें पूर्ण करने के लिए समर्पित प्रयास करने का निर्देश दिया। उन्होंने जिला, संभाग और विभाग स्तर पर दैनिक निगरानी के लिए एक समीक्षा तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया।

    नशा मुक्ति, आपदा प्रबंधन जागरूकता अभियान और शिकायत निवारण के लिए विशेष शिविरों को सेवा पर्व गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए।

    उन्होंने विभागों को निर्धारित गतिविधियों के लिए यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने और डिजिटल पोर्टल के माध्यम से उनकी निगरानी करने का निर्देश दिया। हमें युवा संसद जैसे मंचों के माध्यम से छात्रों को नागरिक जिम्मेदारियों और प्रमुख राष्ट्रीय एवं सामाजिक मुद्दों के बारे में शिक्षित करना चाहिए।

    उपराज्यपाल ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की राहत और उनकी चिंताओं का समाधान, लोगों के बीच स्वच्छता को बढ़ावा देना, एकल उपयोग प्लास्टिक पर अंकुश लगाना, वृद्धों, गरीबों और विशेष रूप से सक्षम लोगों का कल्याण भी हमारी नियोजित गतिविधियों का हिस्सा होना चाहिए।

    उन्होंने महात्मा गांधी पर वाद-विवाद और निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सेवा पर्व के मार्गदर्शक सिद्धांत जनसेवा, सामुदायिक भागीदारी और समावेशी शासन हैं।