जम्मू शहर में सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक, अति संवेदनशील इमारतों के आसपास रेहड़ी-फहड़ी वाले बन सकते हैं खतरा
जम्मू शहर में सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक सामने आई है। अति संवेदनशील इमारतों के आसपास रेहड़ी-फहड़ी वालों की मौजूदगी को खतरे के रूप में देखा जा रहा ह ...और पढ़ें

जम्मू में यह स्थिति सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती बन सकती है।
दिनेश महाजन, जम्मू। जम्मू शहर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ी और चिंताजनक चूक सामने आ रही है। पुलिस मुख्यालय, जिला पुलिस लाइंस, सैन्य छावनी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की अति संवेदनशील इमारतों के आसपास बेधड़क घूम रहे रेहड़ी-फहड़ी लगाने वाले लोग कभी भी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
पुराने वस्त्र, कश्मीरी हस्तशिल्प, शाल, जैकेट और अन्य सामान बेचने की आड़ में ये लोग दिनभर संवेदनशील इलाकों में आवाजाही करते रहते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिस के पास इनका कोई ठोस ब्योरा तक मौजूद नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, इन रेहड़ी-फहड़ी वालों में अधिकतर कश्मीर या दूसरे राज्यों से आए हुए हैं, इनकी पहचान और पृष्ठभूमि को लेकर पुलिस के पास कोई रिकार्ड नहीं है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की अनियंत्रित आवाजाही आतंकियों या उनके मददगारों के लिए आसान कवर साबित हो सकती है।
आतंकी घटनाओं के बदलते स्वरूप ने बढ़ाई सुरक्षा एजेंसियों की चिंता
भीड़भाड़ और रोजमर्रा की गतिविधियों के बीच ऐसे लोग संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने, रेकी करने या संवेदनशील सूचनाएं जुटाने में सक्षम हो सकते हैं। हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के बदले हुए स्वरूप ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है।
वहीं, शहर में खुलेआम घूम रहे इन संदिग्ध रेहड़ी-फहड़ी वालों पर अपेक्षित निगरानी का अभाव साफ दिखाई देता है। सवाल यह उठता है कि जब किराये पर रहने वालों का पूरा विवरण पुलिस के पास अनिवार्य है, तो फिर संवेदनशील इलाकों के आसपास घूमने वालों का रिकार्ड क्यों नहीं?
सुरक्षा में चूक आतंकी वारदात का बन सकता है सबब
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार ये रेहड़ी-फहड़ी वाले घंटों तक पुलिस और सैन्य ठिकानों के आसपास खड़े रहते हैं। कुछ लोग फोटो खींचते या मोबाइल पर लंबी बातचीत करते भी देखे गए हैं, जिससे संदेह और गहरा जाता है। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस नीति या अभियान इन लोगों की पहचान और सत्यापन को लेकर सामने नहीं आया है।
सुरक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि छोटे से छोटे पहलू को नजरअंदाज करना भी बड़ी घटना को न्योता दे सकता है। अति संवेदनशील इलाकों में रेहड़ी-फहड़ी की अनुमति, पहचान पत्र, स्थानीय थाने में पंजीकरण और नियमित जांच जैसे कदम अब समय की मांग बन चुके हैं।
किरायेदारों का सत्यापन सख्त, रेहड़ी वालों का कोई रिकार्ड नहीं
जम्मू पुलिस द्वारा किरायेदारों के सत्यापन को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। मकान मालिकों को किरायेदारों की पूरी जानकारी थाने में देना अनिवार्य किया गया है। इसके विपरीत शहर और संवेदनशील इमारतों के आसपास घूम रहे रेहड़ी-फहड़ी लगाने वालों का पुलिस के पास कोई समुचित ब्यौरा नहीं है।
न पहचान पत्र, न पते का सत्यापन और न ही पृष्ठभूमि की जांच यही सुरक्षा व्यवस्था की सबसे बड़ी कमजोरी बनती जा रही है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किरायेदारों के सत्यापन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रेहड़ी-फहड़ी लगाने वालों के संबंध में भी समीक्षा की जा रही है और जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।

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