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    जम्मू-कश्मीर में अब हर सेकेंड हैंड गाड़ी की बिक्री का देना होगा हिसाब, दिल्ली बम धमाके ने खोली सरकार की आंखें

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 12:12 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में अब सेकेंड हैंड गाड़ियों की बिक्री का हिसाब देना अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली में हुए बम धमाके के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। अब गाड़ी बेचने और खरीदने वाले दोनों को पूरी जानकारी देनी होगी, और डीलरों को रिकॉर्ड रखना होगा। नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस जांच में तेजी लाएगी।

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    पुरानी कार खरीदने का बदला नियम (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, जम्मू। दिल्ली बम धमाके में जिस तरह से सेकेंड हैंड में खरीदी गई गाड़ी का इस्तेमाल हुआ था, उसे देखते हुए जम्मू-कश्मीर सरकार भी सतर्क हो गई है। अब प्रदेश में कोई भी सेकेंड हैंड गाड़ी बिना सरकार की जानकारी के न तो बेची और न खरीदी जा सकेगी।

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    जम्मू-कश्मीर परिवहन वाहन ने सेकेंड हैंड गाड़ियों का कारोबार करने वाले सभी डीलरों को 21 दिन के भीतर पंजीकरण करवाने के निर्देश दिए है। इस कारोबार से जुड़े हर डीलर को गाड़ी की खरीद-फरोख्त का हिसाब रखना होगा।

    इसका उद्देश्य सेकेंड हैंड गाड़ियों के गलत इस्तेमाल को रोकना है। दूसरी ओर इस कारोबार से सरकार को जीएसटी के रूप में जो करोड़ों का घाटा पहुंच रहा है, उसकी भरपाई हो पाएगी। जम्मू-कश्मीर में इस समय मारुति व हुंडई समेत कुछ कंपनियों के पास सेकेंड हेंड गाड़ियां बेचने व खरीदने का लाइसेंस है।

    इन प्रमुख कंपनियों को छोड़ प्रदेश के हर शहर, हर इलाके में ऐसे असंख्य डीलर हैं जो सेकेंड हैंड गाड़ियां खरीदते हैं और आगे बेचते हैं लेकिन ऐसी गाड़ियों का आज तक सरकार के पास कोई डाटा नहीं।

    आमतौर पर ऐसे डीलर एक बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं। वे कमीशन लेकर पल्ला झाड़ लेते हैं। कुछ तो सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने वाले को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) ट्रांसफर करवाकर देते हैं तो कुछ यह जिम्मेदारी नहीं निभाते। ऐसे में अगर गाड़ी भविष्य में कहीं दुर्घटनाग्रस्त हो जाए या उसका किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि में इस्तेमाल हो तो मूल मालिक की धरपकड़ होती है।
    इन सबके बीच वास्तविक आरोपित चंगुल में नहीं आता। दिल्ली धमाके ने प्रशासन की आंखें खोल दी हैं। परिवहन विभाग ऐसे असंगठित क्षेत्र में हो रही वाहनों की बिक्री पर नकेल कसने जा रहा है। नई गाड़ियों की तुलना में
    डेढ़ गुणा अधिक है बिक्री

    जम्मू-कश्मीर में हर महीने औसतन 20 से 25 हजार नई गाड़ियों की बिक्री होती है। त्योहारों के सीजन में यह मासिक बिक्री 25 से 30 हजार तक पहुंचती है। इसके विपरीत प्रदेश में सेकेंड हैंड गाड़ियों की बिक्री इनसे डेढ़ गुणा अधिक है। खुले बाजार में एक ही गाड़ी कई बार बिकती है जिसका कहीं रिकार्ड नहीं रहता। जानकारों की मानें तो इस असंगठित सेक्टर में हर महीने करोड़ों का कारोबार होता है।