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Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ श्रद्धालुओं की रक्षा करेगा 'त्रिनेत्र' कवच, जानिए इसकी खूबियां और कैसे करेगा यह विघटनकारी तत्वों का संहार

भारतीय सनातन परंपरा और संस्कृति की प्रतीक श्री अमरनाथ तीर्थयात्रा हमेशा आतंकियों के निशाने पर रही है। इस बार आतंकी संगठन लगातार यात्रा पर हमले की धमकियां भी दे रहे हैं। इसीलिए आपरेशन त्रिनेत्र के तहत अभूतपूर्व त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 26 Jun 2022 09:21 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2022 01:34 PM (IST)
Amarnath Yatra 2022: अमरनाथ श्रद्धालुओं की रक्षा करेगा 'त्रिनेत्र' कवच, जानिए इसकी खूबियां और कैसे करेगा यह विघटनकारी तत्वों का संहार
श्री अमरनाथ की वार्षिक यात्रा के लिए अर्धसैनिक बलों के 35 हजार जवान विशेष तौर पर तैनात किए गए हैं।

श्रीनगर, नवीन नवाज : आतंकी लाख साजिशें रच लें पर सुरक्षाबलों ने श्री अमरनाथ यात्रा का सुरक्षित बनाने की बेजोड़ तैयारी कर ली है। जंगल, पहाड़, दरिया और शहर जहां भी श्रद्धालु होंगे, 'आपरेशन त्रिनेत्र' का कवच हर पल उनकी रक्षा करेगा। इसके साथ ही विघटनकारी तत्वों को चिह्नित कर उनका संहार भी करेगा। ड्रोन, सीसीटीवी कैमरे से हर पल यात्रा पर नजर रहेगी ही, आरएफआइडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस) से श्रद्धालु सुरक्षा एजेंसियों की आंख से पल पर भी ओझल नहीं हो पाएंगे। एकीकृत कमान कंट्रोल रूम से सभी पर लगातार नजर बनी रहेगी।

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भारतीय सनातन परंपरा और संस्कृति की प्रतीक श्री अमरनाथ तीर्थयात्रा हमेशा आतंकियों के निशाने पर रही है। इस बार आतंकी संगठन लगातार यात्रा पर हमले की धमकियां भी दे रहे हैं। इसीलिए आपरेशन त्रिनेत्र के तहत अभूतपूर्व त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है। इस घेरे को जमीन ही नहीं आकाश से भी नहीं भेदा जा सकेगा। कोरोना संक्रमण के कारण दो वर्ष बाद आंरभ हो रही श्री अमरनाथ की वार्षिक यात्रा के लिए राज्य पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों के 35 हजार जवान विशेष तौर पर तैनात किए गए हैं। इसके अलावा सेना की राष्ट्रीय राइफल्स का घेरा अलग से है।

जंगलों में सेना की चौकियां, राजमार्ग पर आरओपी :

जम्मू-कश्मीर के प्रवेशद्वार लखनपुर से लेकर यात्रा के आधार शिविर बालटाल तक करीब 490 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग को आतंकी खतरे और ट्रैफिक की स्थिति के आधार पर वर्गीकृत कर सुरक्षा का प्रबंध किया गया है। जम्मू से श्रीनगर और बालटाल तक यात्रा मार्ग के दोनों तरफ पहाडिय़ों और जंगलों में सेना व सीआरपीएफ की अस्थायी चौकियां बनाई गई हैं। राजमार्ग पर 24 घंटे आरओपी (रोड ओपनिंग पार्टी) तैनात रहेगी। जांच के बाद ही तीर्थयात्रियों के काफिले को निकाला जाएगा। प्रत्येक आरओपी के साथ खोजी कुत्ते और जमीन में दबे विस्फोटकों का पता लगाने वाले अत्याधुनिक सेंसर होंगे।

छिपे आतंकियों को बिल से निकाला जाएगा :

यात्रा मार्ग से सटे शहरों और बस्तियों में छिपे आतंकियों और उनके मददगारों की धरपकड़ के लिए निरंतर तलाशी अभियान चलते रहेंगे। किसी भी आतंकी साजिश से निपटने के लिए सेना, पुलिस, सीआरपीएफ के क्यूआरटी और क्यूएटी (त्वरित कार्रवाई दस्ते) तैनात हैं। नदी-नाले के आसपास और सरहद के रास्ते घुसपैठ की साजिशों को विफल बनाने की रणनीति पर अमल किया जा रहा है।

ड्रोन और स्टिकी बम हमलों से निपटने की भी व्यवस्था :

अमरनाथ यात्रा के दौरान ड्रोन और स्टिकी बम हमले से निपटने की पूरी तैयारी है। यात्रा मार्ग पर एंटी ड्रोन प्रणाली स्थापित की गई है। किसी भी मौसम में निगरानी में सक्षम सुरक्षाबल के ड्रोन आसमान से नजर रखेंगे। दक्षिण कश्मीर में काजीगुंड से लेकर पहलगाम-पवित्र गुफा, गांदरबल, श्रीनगर-बालटाल मार्ग पर करीब 50 ड्रोन तैनात किए गए हैं। स्टिकी बम के खतरे से निपटने के लिए एसओपी तय है। सुरक्षाबलों और श्रद्धालुओं के वाहन तय स्थान पर ही खड़े किए जाएंगे। इसके अलावा मार्ग में भी वाहनों की औचक जांच होगी।

सीआरपीएफ के घेरे में निकलेगा काफिला :

जम्मू से लेकर बालटाल और पहलगाम के नुनवन तक श्रद्धालुओं के वाहनों के काफिले की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ संभालेगी। श्रद्धालुओं के काफिले के आगे-पीछे और बीच में भी सीआरपीएफ के जवान अपने वाहनों में सुरक्षा उपकरणों के साथ मौजूद रहेंगे। पूरे यात्रा मार्ग और आधार शिविरों की निगरानी के लिए श्रीनगर में एकीकृत कमान कंट्रोल केंद्र बनाया गया है। इसमें सेना, पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे।

श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए हमने त्रिस्तरीय सुरक्षा प्रबंध किए हैं। आतंकी खतरे की आशंका के आधार पर उससे निपटने की पूरी व्यवस्था की है। हमने एकीकृत कमान केंद्र भी बनाया है। -मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल, जम्मू कश्मीर

तीर्थयात्रा की सुरक्षा के लिए सेना, सीआरपीएफ के साथ जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक विशेष कार्ययोजना लागू की है। आतंकियों और अलगाववादियों व उनके समर्थकों के खिलाफ नियमित अभियान चल रहे हैं। पहली बार एंटी ड्रोन प्रणाली और श्रद्धालुओं के लिए आरएफआइडी बैंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। - विजय कुमार, आइजीपी, कश्मीर रेंज  


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