Ladakh Pangong Lake : लद्दाख के पैंगोग झील में मिली ट्रिपलोफाइसा मछलियों पर होगा शोध
Pangong Lake in Ladakh वैज्ञानिकों की टीम पैंगोंग झील में मछलियां मिलने से उत्साहित है। ऐसे में अत्यंत ठंडे द्रास प्रदेश के साथ अब कारगिल में सिंधु जंस्कार श्योक व सुरू नदियों का भी निरीक्षण कर मछलीपालन को बढ़ावा देने की संभावनाएं तलाशी जाएगी।

जम्मू, विवेक सिंह: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में खारे पानी की झील पैंगोंग त्सो में मिली ट्रिपलोफाइसा मछलियों पर शोध से उच्च पर्वतीय इलाकों में मछलीपालन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ी पहल हो सकती है।
पहले लद्दाख में हुए शोध से यही माना जाता था कि पैंगोँग झील में मछलियां नही हैं, अब उत्तराखंड के भीमताल शीतजल मत्सियकी अनुंसधान निदेशालय के वैज्ञानिकों की टीम ने झील में ट्रिपलोफाइसा एसपीपी मछलियों के होने की पुष्टि कर दी है। करीब चौदह हजार फीट की उंचाई पर स्थित पैंगांग झील का खासा हिस्सा चीन के कब्जे वाले तिब्बत इलाके में है। खारा पानी हाेने के बाद यह झील सर्दियों में जम जाती है। अब वैज्ञानिकों के इस झील के निरीक्षण के दौरान यह मछलियां मिलने से खासी संभावना है कि बर्फ से लदे रहने वाले
इलाकों में मछलीपालन को बढ़ावा देना संभव है। इससे पहले लद्दाख के लेह व कारगिल में मछलीपालन को बढ़ावा देने की मुहिम ठंडे साफ पानी में पाई जाने वाली ट्राउट मछली पैदा करने तक ही सीमित थी।
इस समय यह टीम प्रधानमंत्री मत्सय संपदा योजना के तहत लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास में मछलीपालन को बढ़ावा देने के विकल्प तलाश रही है। टीम का नेतृत्व भीमताल शीतजल मत्सियकी अनुंसधान निदेशालय के निदेशक डा प्रमोद कुमार पांडे व केंद्र सरकार के मछलीपालन विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा कर रहे हैं। टीम ने उपराज्यपाल आरके माथुर से भेंट कर उन्हें लद्दाख में पछलीपालन काे बढ़ावा दे ग्रामीणों की तकदीर बदलने की दिशा में जारी कार्रवाई के बारे में जानकारी दी।
वैज्ञानिकों की टीम पैंगोंग झील में मछलियां मिलने से उत्साहित है। ऐसे में अत्यंत ठंडे द्रास प्रदेश के साथ अब कारगिल में सिंधु, जंस्कार, श्योक व सुरू नदियों का भी निरीक्षण कर मछलीपालन को बढ़ावा देने की संभावनाएं तलाशी जाएगी।
टीम के साथ आए वैज्ञानिक राजा आदिल हुसैन का कहना है कि पैंगोंग त्सो में मिली ट्रिपलोफाइसा मछलियों पर शोध कर यह पता किया जाएगा कि ऐसी और कौन से प्रजातियां हैं जो लद्दाख के दुर्गम हालात में जिंदा रह सकती हैं। पहले यह माना जाता रहा है कि इस झील में मछली नही है। लिहाजा यह बड़ी खोज है।
राजा ने बताया कि उत्तराखंड के भीमताल शीतजल मत्सियकी अनुंसधान निदेशालय के वैज्ञानिकों की टीम दस दिन लद्दाख के लेह व कारगिल जिलों में मछलीपालन को बढ़ावा देने संबंधी सभी पहलुओं पर गौर कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। हमारी पूरी कोशिश है कि प्रधानमंत्री मत्सय संपदा योजना से लेह व कारगिल के लोगों के आर्थिक स्तर को बेहतर बनाया जाए। ऐसे में यह टीम तीस अगस्त को अपना दौरा समेटने के बाद जल्द फिर लद्दाख आएगी।
तिब्बत में भी पाई जाती है ट्रिपलोफाइसा मछलियां: ट्रिपलोफाइसा मछलियां चीन के कब्जे वाले तिब्बत की उंचाई पर भी पाई जाती हैं। ट्रिपलोफाइसा स्टालिकाई मछली तिब्बत के पश्चिमी इलाके में लोंगमू झील में सत्रह हजार फीट की उंचाई पर भी मिली हैं। ऐसे में पाई गई इस मछली पर भी शोध किया जा रहा है कि वह अत्यंत दुर्गम इलाके में सत्रह हजार फीट की उंचाई पर किस तरह से जिंदा रह रही हैं।
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