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    जम्मू के सीमांत क्षेत्रों में लंबी व अंडाकार चोंच वाले रेड नेप आइबेस आकर्षण का केंद्र बने

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Sun, 13 Feb 2022 01:37 PM (IST)

    सिर के पिछले भाग में लाल पट्टी वाले यह पक्षी अपनी लंबी व अंडाकार चाेंच के कारण दूर से ही पहचान में आ जाते हैं।यह पक्षी झुंड में रहते हैं और देखने में काले - भूरे रंग के दिखते हैं।

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    बड़े कद के यह पक्षी पिछले कुछ ही दिनों से सीमांत क्षेत्रों में उड़ान भरते हुए दिख रहे हैं

    जम्मू, गुलदेव राज। इन दिनों आरएसपुरा, सुचेतगढ़ बेल्ट में प्रवासी पक्षी रेड नेप आइबेस के नजारे ग्रामीण लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बड़े कद के यह पक्षी पिछले कुछ ही दिनों से सीमांत क्षेत्रों में उड़ान भरते हुए दिख रहे हैं और नम भूमि वाले खेतों में बैठ रहे हैं। इनकी संख्या 18 से 22 है ।

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    सिर के पिछले भाग में लाल पट्टी वाले यह पक्षी अपनी लंबी व अंडाकार चाेंच के कारण दूर से ही पहचान में आ जाते हैं। 60 से 70 सेंटीमीटर कद वाले यह पक्षी झुंड में रहते हैं और देखने में काले - भूरे रंग के दिखते हैं मगर कंधे पर सफेद निशान उड़ते समय या बैठे हुए भी दिखाई पड़ जाता है। दु़ुनिया में यह पक्षी यहां पर कहां से आए हैं, इस पर अभी कोई विशेष अध्ययन नही हुआ है। लेकिन इन पक्षियों का आना इस धरती के लिए बहुत बड़ी बात है। आरएस पुरा सीमांत क्षेत्र के घरानी, घराना, सतराईयां, एग्रीकल्चर फार्म, हरीपुर क्षेत्र इन पक्षियों की पंसदीदा जगह है। सीमा पार पाकिस्तान में भी इन पक्षियों का आना-जाना है। मगर ज्यादातर यह पक्षी भारतीय क्षेत्र में भी ही विचरण करते नजर आ रहे हैं।

    नजदीक से इन पक्षियों की गतिविधियों को देखने से लगता है कि नम भूमि में इनकेे खाने के लिए बहुत कुछ है। संभवता नरम हुई मिट्टी के अंदर से यह कीट आदि ढूंढ लेते हैं जोकि इस क्षेत्र में काफी मात्रा में उपलब्ध है। यहा कारण है कि यह पक्षी धरती के इस टुकड़े पर सर्दियों के समय पहुंचते हैं। पर्यावरणविद् चंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि जम्मू की सीमांत क्षेत्र की निचली धरती में पानी की सेलन अक्सर बनी रहती है जोकि कई प्रकार के कीट व जड़ी-बूटी से भरपूर है। यही प्रवासी पक्षियों के लिए खुराक है और इसकाे लेकर ही पक्षी यहां आते हैं।