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जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति को 20% आरक्षण के प्रस्‍ताव को मंजूरी, पहाड़ी समुदाय को ST के दर्जे के साथ 10% रिजर्वेशन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय के साथ जो वादा किया था वह पूरा हो गया है। पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद अब उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। वहीं गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के आरक्षण में भी कोई कटौती नहीं होगी और उन्हें भी पहले की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता रहेगा।

By Jagran News Edited By: Prateek Jain Published: Sat, 16 Mar 2024 06:37 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2024 07:15 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत आरक्षण देने पर मंजूरी, पहाड़ी समुदाय को मिला ST का दर्जा

राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय के साथ जो वादा किया था, वह पूरा हो गया है। पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद अब उन्हें 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा।

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वहीं, गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के आरक्षण में भी कोई कटौती नहीं होगी और उन्हें भी पहले की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता रहेगा। यानी अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 20 प्रतिशत आरक्षण हासिल होगा। 

पहाड़ी बनाम गुज्जर-बक्करवाल की सियायत लगा विराम

उप राज्यपाल की अध्यक्षता में प्रदेश प्रशासनिक परिषद (एसएसी) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसी के साथ, पहाड़ी बनाम गुज्जर-बक्करवाल समुदाय की सियायत करने वालों पर विराम लग गया है।

बता दें कि पहाड़ी समुदाय की चार जनजातियों पहाड़ी एथनिक ग्रुप, पाडरी, कोली और गद्दा ब्राह्मण को एसटी में शामिल किया गया है। गुज्जर-बक्करवाल समुदाय को 35 वर्ष पहले एसटी का दर्जा मिला था। तभी से पहाड़ियों ने भी अपने हक के लिए आवाज उठाई, लेकिन पिछली सरकारों से उन्हें मात्र आश्वासन ही मिले। 

अमित शाह ने दिया था आश्वासन

पहाड़ी समुदाय के लोगों ने एसटी के दर्जे को लेकर लंबा संघर्ष किया। अक्टूबर, 2022 को राजौरी के दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनसभा में आश्वासन दिया था कि पहाड़ियों को उनका हक मिलेगा और किसी का हक भी काटा नहीं जाएगा।

इसके बाद जम्मू-कश्मीर में खूब सियासत हुई और भ्रम फैलाया गया कि गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का हक छीनकर पहाड़ियों को दिया जाएगा। गत छह फरवरी को लोकसभा में और नौ फरवरी को राज्यसभा में पहाडि़यों को एसटी का दर्जा देने का बिल पास हुआ।

इसके बाद भी प्रदेश में सियासत जारी रही और कई बार माहौल तनावपूर्ण भी बना। अब प्रदेश प्रशासिनक परिषद की बैठक में 15 दिसंबर 2023 के जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधित कानून 2023, जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जाति संशोधन कानून 2024, जम्मू-कश्मीर जनजाति संशोधन कानून 2024 और जम्मू-कश्मीर सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के तहत जम्मू-कश्मीर आरक्षण कानून 2005 को संशोधित करने के समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।

इससे पहाड़ी और गुज्जरों दोनों को 10-10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू, उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव मनदीप कुमार भंडारी शामिल थे।

ओबीसी को मिलेगा आठ प्रतिशत आरक्षण

परिषद ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में 15 जातियों को शामिल करने और ओबीसी को आठ प्रतिशत आरक्षण देने पर भी मुहर लगा दी। इससे पहले जम्मू-कश्मीर में ओबीसी की जगह अदर्स सोशल कास्ट (ओएससी) थी, जिसे चार प्रतिशत आरक्षण मिलता था।

अब ओएससी की जगह ओबीसी को आठ प्रतिशत आरक्षण हासिल होगा। इस लंबित मांग के पूरा होने पर बड़े वर्ग को लाभ मिलेगा। अब एसटी की तरह ओबीसी को भी सरकारी नौकरियों और प्रोफेशनल कोर्स में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा। परिषद ने शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को दिव्यांग कहने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

किन-किन क्षेत्रों में रहते हैं पहाड़ी?

जम्मू संभाग के राजौरी व पुंछ जिलों में पहाडि़यों की संख्या सबसे अधिक है। कश्मीर के उड़ी, केरन, करनाह, कुपवाड़ा, बारामुला में भी पहाड़ी समुदाय के लोग रहते हैं। समुदाय के लोग दावा करते हैं कि राजौरी व पुंछ में करीब 65 प्रतिशत और प्रदेश के अन्य हिस्सों में 10 प्रतिशत पहाड़ी समुदाय के लोग रहते हैं।

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