'लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम तैयार करें', एलजी मनोज सिन्हा ने वैज्ञानिकों से की अपील
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वैज्ञानिकों से नैनो टेक्नोलॉजी द्वारा फ्लैश फ्लड के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम बनाने का आग्रह किया। कश्मीर विश्वविद्यालय में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी का विकास हर क्षेत्र में क्रांति ला रहा है और यह सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से आग्रह किया कि वे नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से अधिक संवेदनशील और सटीक सेंसर विकसित करें, जो फ्लैश फ्लड के लिए एडवांस्ड अर्ली वॉर्निंग सिस्टम तैयार करने में सहायक हो।
उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्रों के लिए विशेष मिट्टी सेंसर विकसित किए जाने चाहिए, जो मिट्टी में नमी की स्थिति को मापकर भूस्खलन की पूर्व चेतावनी देने में सक्षम हों। कश्मीर विश्वविद्यालय में आयोजित नैनो टेक्नोलॉजी फॉर बेटर लिविंग विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि नैनो विज्ञान और नैनो तकनीक में हो रहे विकास का विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रभाव पड़ रहा है।
आज नैनोसाइंस और नैनो टेक्नोलॉजी का विकास उद्योग, स्वास्थ्य और पर्यावरण सहित हर क्षेत्र में बदलाव ला रहा है। आने वाले समय में यह तकनीक वैश्विक चुनौतियों से निपटने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। नैनो टेक्नोलॉजी सामाजिक-आर्थिक विकास के हर पहलू में अपना प्रभाव छोड़ रही है, और आने वाले वर्षों में इसका महत्व और अधिक बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि फ्लैश फ्लड और भूस्खलन के लिए एडवांस्ड चेतावनी प्रणाली की जरूरत है। यह प्रणाली भविष्य में हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोकने में गेम चेंजर साबित हो सकती है। सिन्हा ने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी से जुड़े वैज्ञानिक और विशेषज्ञ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अभियान को भी मजबूत करें।
उन्होंने कहा कि रक्षा उपकरणों के हल्के और मजबूत हिस्सों के निर्माण में नैनो तकनीक बड़ी भूमिका निभा सकती है। शैक्षणिक संस्थानों में नैनो प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की योजना बनाएं। उपराज्यपाल ने कहा कि नैनो टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वाली प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना तैयार की जानी चाहिए, ताकि इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग मानवता के हित में करने पर होना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के बीच हमें ऐसे नवाचार करने होंगे, जिनसे समाज को लाभ हो। भविष्य की जरूरतें ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि और इलेक्ट्रॉनिक्स में नैनो तकनीक का इस्तेमाल हो सकता है। आने वाले वर्षों में नैनो पार्टिकल्स, नैनो मैटीरियल्स, और नैनो-स्केल एडिटिव्स का उपयोग ऊर्जा, पर्यावरण, खाद्य, कृषि और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में बेहद महत्वपूर्ण होगा।उन्होंने उम्मीद जताई कि इन तकनीकों का लाभ आम जनता तक पहुंचेगा।
यह पांच दिवसीय कार्यक्रम कश्मीर विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन में देश-विदेश से प्रमुख वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता और शिक्षाविद एकत्र हुए हैं, जो नैनो टेक्नोलॉजी में हालिया प्रगति और इसके सतत जीवन के लिए उपयोगों को प्रदर्शित करें।
इस अवसर पर उपराज्यपाल ने पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की संक्षिप्त पुस्तिका का भी विमोचन किया। सम्मेलन में कश्मीर विवि की वीसी प्रो. निलोफर खान, प्रो. प्रवीण के. वेमुला, प्रो. अशोक कुमार, प्रो. राबिया हामिद, कश्मीर के डिवीजनल कमिश्नर अंशुल गर्ग, डीआईजी सेंट्रल कश्मीर रेंज राजीव पांडे, श्रीनगर के डीसी अक्षय लाबरू व अन्य उपस्थित थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।