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रोशनी का सच : सत्ता में बैठे हुक्मरान-नौकरशाहों ने यूं निगल ली जंगलात, नदी और नालों की जमीन

सत्ता में बैठे हुक्मरान और नौकरशाह ने पदों का दुरुपयोग कर जंगलात नदी और नालों की जमीन पर कब्जा करके इसे कानूनी रूप से निजी जमीन की शक्ल दे दी। सत्ता के खिलाडिय़ों के निशाने पर वन विभाग की अधिक जमीन थी जिसकी निशानदेही तक नहीं हो पाई थी।

By lokesh.mishraEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:01 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 07:40 AM (IST)
रोशनी का सच : सत्ता में बैठे हुक्मरान-नौकरशाहों ने यूं निगल ली जंगलात, नदी और नालों की जमीन
सत्‍ता में बैठे लोगों ने जंगलात, नदी और नालों की सरकारी जमीन पर कब्जा जमा लिया।

अवधेश चौहान, जम्मू : 'रोशनी' घोटाला इन दिनों सुर्खियों में है। इसके अतीत पर जाएं तो इसकी नींव जम्मू कश्मीर की उन्नति के लिए भरी थी, पर कुछ वर्षों में इस नींव में भ्रष्‍टाचार का दीमक लग गया। इसके साथ शुरू हुआ रोशनी के साथ खेल। इसमें सबसे बड़े खिलाड़ी थे सत्ता में बैठे हुक्मरान और नौकरशाह।

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सभी ने पदों का खुलकर दुरुपयोग कर जंगलात, नदी और नालों की सरकारी जमीन पर कब्जा करके इसे कानूनी रूप से निजी जमीन की शक्ल दे दी। तत्कालीन सत्ता के 'खिलाडिय़ों' के निशाने पर वन विभाग की सबसे अधिक जमीन थी जिसकी निशानदेही तक नहीं हो पाई थी। लिहाजा जम्मू के आसपास के जंगलों की हरियाली इन वीआइपी की भेंट चढ़ गई।

रोशनी एक्ट का मकसद प्रदेश में बिजली परियोजनाओं का निर्माण कर जम्मू कश्मीर को बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना था। बिजली के चलते एक्ट को नाम दिया था 'रोशनी'। रोशनी एक्ट पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला सरकार द्वारा 2001 में लाया था। इसके बाद मुफ्ती सईद और गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में सरकार ने समय के साथ इस कानून को इतना लचर बना दिया ताकि कोई भी सरकारी जंगलात की जमीन से लूटखसोट कर सके।

वर्ष 2002 से वर्ष 2008 तक सत्ता में रही नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी के नेताओं के अलावा नौकरशाहों ने सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, जेडीए, नगर निगम, कृषि विभाग की जमीनों का पता तक नहीं चलने दिया। खड्ड जिनका सरकार के पास रिकॉर्ड नहीं है, उसपर कब्जा कर लिया गया। जम्मू संभाग के जंगलात की भूमि पर चौआदी, सुंजवां बाहू, कालीधार में कई हजार हेक्टेयर जमीन नेताओं, नौकरशाहों ने अपने नाम कर ली।

एक लाख हेक्‍टयेर भूमि पर है कब्‍जा

सरकार के आंकड़े के अनुसार जम्मू कश्मीर में एक लाख हेक्टेयर जमीन पर कब्जा है। इसमें 65 फीसद जमीन जम्मू संभाग में है। जम्मू में कब्जाई जमीन में 500 हेक्टयर वन विभाग की है। हाल ही में राजस्व विभाग की पहली सूची में 500 हेक्टेयर जंगलात की भूमि पर कब्जे पाए। मौजूदा समय में इन जमीनों पर आलीशान बंगले, फार्म बन गए हैं। एडवोकेट अकुंर शर्मा का कहना है कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू के भठिंडी इलाके में सात कनाल भूमि हथिया ली। उनके मुख्य सचिव रहे विजय बकाया ने जम्मू के बजालता में तवी किनारे फार्म हाउस बना लिया।

उनका आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 14 फरवरी  वर्ष 2018 में जम्मू के आसपास क्षेत्रों में विशेष समुदाय को बसाने के लिए योजना बनाई। इसमें सरकारी अधिकारियों को आदेश तक जारी हुआ कि जिन इलाकों में समुदाय के लोग बैठे हैं उन्हें वहां से न हटाया जाए। इसकी आड़ में वन विभाग की जमीन सत्ता में बैठे वीआइपी निगल गए।

मामले को दबाने तक हुए प्रयास : रोशनी घोटाले को सामने लाने वाले एडवोकेट अंकुर शर्मा कहते हैं कि रोशनी एक्ट साजिश से भरा था। इस मामले को कई बार दबाने का हर प्रयास हुए। इसकी क्लोजर रिपोर्ट जारी की गई थी। जम्मू संभाग के जंगलात और राजस्व भूमि की जो इबारत लिखी दरअसल उसका एक ही मकसद था जम्मू की जनसांख्यिक स्वरूप को बदल दिया जाए।


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