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    DDC Election: कश्मीर के द्रगमुला से डीडीसी चुनाव लड़ रही गुलाम कश्मीर की सुमैया दे रही शांति का संदेश

    By lokesh.mishraEdited By:
    Updated: Mon, 07 Dec 2020 08:39 PM (IST)

    सरकार के पुनर्वास नीति का परिणाम ही है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की रहने वाली महिला सुमैया सदाफ आज कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के द्रगमुला निवार्चन क्षेत्र से जिला विकास परिषद यानी डीडीसी का चुनाव लड़ रही है।

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    पीओके की महिला सुमैया सदाफ कुपवाड़ा से जिला विकास परिषद यानी डीडीसी का चुनाव लड़ रही है

    श्रीनगर, जेएनएन: एक दशक पहले जब सुमैया सदाफ PoK के मुजफ्फराबाद से कुपवाड़ा का सफर तय कर रही थी तो उसने सोचा नहीं था कि वह कश्मीर आकर मुख्यधारा में सम्मान से जी सकेंगी। क्योंकि उसने एक आतंकी से शादी की थी। सरकार के पुनर्वास नीति के तहत कई आतंकी आतंक की राह को तौबा कर अपने घर कश्मीर घाटी लौट रहे थे तो सुमैया भी कुपवाड़ा के बतरगाम के रहने वाले आतंकी पति के साथ घाटी आ गई थी।

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    सरकार के पुनर्वास नीति का परिणाम ही है कि गुलाम कश्मीर (पीओके) की रहने वाली महिला सुमैया सदाफ आज कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के द्रगमुला निवार्चन क्षेत्र से जिला विकास परिषद यानी डीडीसी का चुनाव लड़ रही है। पूर्व आतंकी की पत्नी आज आतंकियों के गढ़ कुपवाड़ा में शांति का पैगाम दे रही हैं। सुमैया कहती हैं कि सरकार हर व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती है, लेकिन हर हाथ स्वरोजगार से आजीविका कमा सकता है।

    डीडीसी के चुनावी मैदान में उतरी सुमैया ने कहा कि यदि वह जीतती है तो स्वरोजगार स्थापित करने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगी। खासकर महिलाओं को आगे बढ़ाने का विशेष रूप से प्रयास करेंगी। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का हिस्सा रह चुकी सुमैया ने कहा कि उन्‍होंने फिल्ड में काफी काम किया है।  लोगों के दुख-दर्द को करीब से समझा है। लोगों ने ही उन्हें डीसीसी चुनाव लड़ने को प्ररित किया। इसलिए वह लोगों की भलाई के लिए ही चुनावी मैदान में उतरी हैं।

    सात दिसंबर को चौथे चरण में कुपवाड़ा में मतदान हो गया। सुमैया का चुनाव चिह्न लैपटॉप था। मतदान के दौरान वह काफी उत्साहित थीं। उन्हें भरोसा था कि लोगों ने जब चुनाव लड़ने के लिए प्ररित किया तो लोगों का वोट के रूप में प्यार भी उसे जरूर मिलेगा।

    शांति के लिए विकास महत्वपूर्ण है, मिलकर काम करना चाहिए

    सुमिया सदाफ ने कहा कि कुपवाड़ा के बतरगाम गांव का रहने वाला आतंकी सीमा पार कर पीओके हथियारों की ट्रेनिंग के लिए चला गया था। उसी दौरान उसकी शादी इस आतंकी से हो गई थी। कुछ समय बाद आतंक की राह उसके पति को कठिन लगने लगा। उसे एहसास हुआ कि वह गुमराह हो गया है। जब यहां की सरकार ने पुनर्वास नीति के तहत गुमराह होकर आतंकी बने युवाओं को मुख्यधारा में लौट आने का अवसर दिया तो 2010 में सुमैया के पति ने कश्मीर घाटी लौट जाने का फैसला किया। सुमैया ने भी अपने पति के साथ भारत आने को तैयार हो गई। वह हमेशा शांति पसंद रही है। डीडीसी उम्मीदवार सुमैया ने बताया कि उसे जम्हूरियत पर हमेशा से भरोसा रहा है। इसलिए वह शांति का पैगाम लेकर चुनावी मैदान में उतरी हैं। वह कहती हैं कि विकास समाज में शांति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस दिशा में मिलकर काम करना चाहिए।

    कश्मीर के दोनों हिस्सों से प्यार है

    सुमैया सदाफ का गुमाल कश्मीर मायके है और कश्मीर घाटी ससुराल। जाहिर है उसका भावनात्मक लगाव दोनों तरफ होगा। सुमैया खुद कहती है- कश्मीर के दोनों हिस्सों में शांति और समृद्धि चाहती हूं। क्योंकि पाकिस्तान में पड़ने वाला कश्मीर मेरा जन्म स्थान है और भारतीय कश्मीर मेरे पति का जन्मस्थान। इसलिए मैं दोनों हिस्सों से प्यार करती हूं। दोनों ओर शांति और विकास की दुआ करती हूं।

     दो पूर्व की आतंकियों की पत्नी जीत चुकी हैं पंचायत चुनाव

     पूर्व आतंकियों की पत्नियों को समाज में प्यार मिलता रहा है। आज सुमैया सदाफ को लोगों ने चुनावी मैदान में स्वीकार किया और इससे पूर्व 2018 में कश्मीर घाटी में दो आतंकियों की पत्नी आरिफा और दिलशादा ने पंचायत चुनाव लड़ा था और दोनों ने जीत भी हासिल की थी। ये दोनों भी उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले से ही पंचायत चुनाव के मैदान में उतरी थीं। जम्हूरियत के दुश्मनों के मुंह पर यह एक तमाचा है और समाज के लिए सकारात्मक संदेश है।