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    Jammu Kashmir: मदनी, नईम अख्तर की रिहाई और परा की श्रीनगर वापसी ने खड़े किए सवाल

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 21 Jun 2021 10:39 AM (IST)

    यह सब महज संयोग नहीं है यह एक तरह से महबूबा मुफ्ती की 24 जून को होने वाली बैठक में उपस्थिति को सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र सरकार का प्रयास कहा जा सकता है। सभी जानते हैं कि महबूबा मुफती फिलहाल अढ़ियल रवैया अपनाए हुए हैं।

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    एनआईए और जम्मू कश्मीर पुलिस काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने परा के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र भी दायर किए हैं।

    श्रीनगर, नवीन नवाज: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी की शनिवार को अचानक रिहाई, उसके बाद रविवार को पूर्व शिक्षामंत्री नईम अख्तर की नजरबंदी को समाप्त करने और आतंकी-राजनीतिक गठजोड़ में लिप्त वहीद उर रहमान परा को कोटभलवाल ,जम्मू से कथित तौर पर श्रीनगर की जेल में स्थानांतरित किए जाने ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी इसे एक विधिसम्मत सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं,लेकिन कश्मीर मामलों के जानकार इसे 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवास पर होने वाली बैठक से जोड़कर देख रहे हें।

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    जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर सरताज मदनी को 21 दिसंबर 2020 को जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार पुलिस ने एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया था। इससे पूर्व उन्हें पांच अगस्त 2019 को हिरासत मे लिया गया था और जून 2020 में रिहा किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के सगे मामा सरताज मदनी पर समय समय भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहे हैं। उन पर भी तथाकथित तौर पर अलगाववादियों और हवाला कारोबारियों के साथ संबध रखने का आरोप है। पूर्व शिक्षा मंत्री नईम अख्तर को भी 21 दिसंबर 2020 को एहतियातन हिरासत मे लिया गया था और करीब एक माह पहले उन्हें उनके स्वास्थ्य आधार पर जेल से रिहा कर घर में नजरबंद किया गया था। आज देर शाम गए उनकी नजरबंदी भी समाप्त कर दी गई। वहीद उर रहमान परा को करीब तीन दिन पहले श्रीनगर जेल से कोटभलवाल जम्मू ,जेल ले जाया गया था जहां से उन्हें आज शाम को अचानक श्रीनगर लाए जाने की सूचना है।

    वहीद उर रहमान परा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बीते साल नवंबर में आतंकी-पुलिस-राजनीतिक गठजोड़ से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था। उनका नाम बीते साल जनवरी में पकड़े गए आतंकी कमांडर नवीद बाबू और पुलिस सेवा से बर्खास्त किए जा चुके डीएसपी देवेंद्र सिंह की पूछताछ में आया था। इसी साल जनवरी में उन्हें अदालत ने जमानत भी दी, लेकिन जम्मू कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने उन्हें दाेबारा गिरफ्तार कर लिया।

    एनआईए और जम्मू कश्मीर पुलिस काउंटर इंटेलीजेंस विंग ने परा के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र भी दायर किए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि वहीद उर रहमान परा पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का एक खास व कीमती मोहरा था जो जम्मू कश्मीर की मुख्यधारा की सियासत में घुसपैठ करने के बाद प्रशासनिक तंत्र में अलगाववादी खेमें की पहुंच को आगे बढ़ा रहा था। वह धीरे धीरे प्रशासनिक तंत्र और जम्मू कश्मीर के विभिन्न वर्गाे में कश्मीर मुददे पर पाकिस्तान के पक्ष में हवा तैयार कर रहा था। उसने आतंकियों के लिए हथियार भी कूरियर किए। इसके अलावा उसने पाकिस्तानी आतंकी अबु दुजाना की एक स्थानीय लड़की से शादी कराने में अहम भूमिका निभाने के अलावा कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के दामाद को भी करीब पांच करोड़ रुपये कश्मीर में हालात बिगाड़ने के लिए दिए हैं। गिलानी के इस दामाद

    का नाम अल्ताफ शाह उर्फ फंतोश है और इस समय वह टेरर फंडिंग के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। परा को 18 जून को ही श्रीनगर से कोट भलवाल जेल ले जाया गया था।

    वहीद उर रहमान परा को आज शाम को श्रीनगर जेल लाने के संदर्भ में जब उनके परिचितो से बातचीत की गई तो उन्होंने भी इस पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि उसे वापस श्रीनगर लाया गया है।

    पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अक्सर अपने पार्टी नेताओं की रिहाई की मांग करते हुए उन्हें राजनीतिक दुराग्रह के कारण फंसाए जाने का आरोप लगाती रही हैं। उन्होंने कई बार वहीद उर रहमान परा पर लगाए गए आरोपों को नकारा है। वह अक्सर कहती आयी है कि वह पांच अगस्त 2019 को लागू जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का विरोध करती हैं, इसलिए उनके रिश्तेदारों और पार्टीजनों को विभिन्न मामलों में फंसाया जा रहा है। बीते दिनों अनंतनाग में उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था कि केंद्र सरकार को यहां हालात अगर सामान्य बनाने हैं तो सभी कश्मीरी कैदियों को बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए। महबूबा के निवास पर बीते दिनों हुई पीएजीडी की बैठक में भी राजनीतिक कैदियों की रिहाई पर बात हुई है।

    कश्मीर मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि जिन परिस्थितियों में सरताज मदनी को अचानक रिहा किया गया है और फिर आज वहीद उर रहमान परा काे वापस श्रीनगर लया जाता है, उससे सवाल पैदा होना लाजिमी ही हैं। पूर्व शिक्षामंत्री नईम अख्तर को भी नजरबंदी से मुक्त कर दिया जाता है। पहले यह लोग कानून व्यवस्था के लिए संकट बताए जा रहे थे। वहीद उर रहमान परा को अगर श्रीनगर जेल में रखना जरुरी था तो फिर उसे दो दिन पहले कोट भलवाल क्यों ले जाया गया।

    यह सब महज संयोग नहीं है, यह एक तरह से महबूबा मुफ्ती की 24 जून को होने वाली बैठक में उपस्थिति को सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र सरकार का प्रयास कहा जा सकता है। सभी जानते हैं कि महबूबा मुफती फिलहाल अढ़ियल रवैया अपनाए हुए हैं। आज भी पीडीपी की बैठक में 24 जून को प्रधानमंत्री क निवास पर होने वाली वार्ता में शामिल होने के मुददे पर पीडीपी में आम राय नहीं बन रही थी और फिर सभी ने फैसला महबूबा मुफ्ती पर टाल दिया। पीडीपी की बैठक में महबूबा मुफ्ती के कई सहयोगी जेल में बंद अपने साथियों की रिहाई का मुददा भी उठा रहे थे।