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    जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत योजना में 8 महीनों से नहीं हुआ भुगतान, निजी अस्पतालों का 250 करोड़ बकाया

    जम्मू-कश्मीर में आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों को भुगतान में देरी हो रही है जिससे लगभग 250 करोड़ रुपये बकाया हैं। इस कारण अस्पतालों को इलाज करने में दिक्कत आ रही है। योजना के तहत बीस लाख से अधिक परिवारों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलना है लेकिन भुगतान में देरी से योजना पर सवाल उठ रहे हैं।

    By rohit jandiyal Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Mon, 25 Aug 2025 04:25 PM (IST)
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    आठ महीनों से नहीं हुआ भुगतान, निजी अस्पतालों का 250 करोड़ बकाया। सांकेतिक तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। लाखों मरीजों का निशुल्क इलाज के लिए सहारा बनी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सेहत में अभी भी योजना चला रहे अस्पतालों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। निजी अस्पतालों और डायलिसेस सेंटरों का करीब 250 करोड़ रुपये भुगतान अभी शेष है।

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    इन अस्पतालों के प्रबंधन का कहना है कि भुगतान समय पर न होने के कारण इलाज करने में भी परेशानी आती है। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के सभी परिवारों (बीस लाख से अधिक) को पांच लाख रुपयों तक के निशुल्क इलाज की सुविधा है। लेकिन अस्पतालों को समय पर भुगतान न होने के कारण योजना पर प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं।

    जम्मू-कश्मीर में 164 प्राइवेट अस्पताल और डायालिसेस सेंटर स्टेट हेल्थ एजेंसी के साथ पंजीकृत हैं। इनमें से अधिकांश को बीते आठ महीनों से भुगतान नहीं हो पाया है। इस कारण निजी अस्पतालों का करीब 250 करोड़ रुपयों का बकाया स्टेट हेल्थ एजेंसी के शेष है।

    इस वर्ष मार्च महीने में निजी अस्पतालों ने भुगतान न होने पर करीब दो सप्ताह तक योजना के तहत इलाज करना बंद कर दिया था। इस कारण कई मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था।

    जम्मू-कश्मीर प्राइवेट अस्पताल और डायलिसेस एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप मैंगी का कहना है कि आठ महीनों से भुगतान नहीं हुआ है। इस कारण इलाज करने में परेशानी होती है। अगर एक नियमित अंतराल के बाद सभी अस्पतालों को रुपये मिलते रहें तो योजना को सुचारू ढंग से चलाने में सहायता मिलती है।

    उनका कहना है कि अभी सभी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। गौरतलब है कि इस वर्ष एक अप्रैल महीने के बाद से निजी अस्पतालों से सेहत योजना के तहत गाल ब्लैडर, अपैंडिक्स, बवासीर और फिशर सर्जरी करने पर प्रतिबंध लगाया है। इस कारण सरकारी अस्पतालों पर बोझ बढ़ गया है।