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    क्षमापना दिवस पर गलतियों के लिए मांगेंगे क्षमा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 22 Aug 2020 08:43 AM (IST)

    जैन समुदाय का आठ दिन तक चलने वाला आत्मा की शुद्धि का पर्व पर्युषण शनिवार को क्षमापना दिवस के साथ संपन्न हो जाएगा। इसके लिए तैयारियों को शुक्रवार को अंतिम रूप दिया गया।

    क्षमापना दिवस पर गलतियों के लिए मांगेंगे क्षमा

    जागरण संवाददाता, जम्मू : जैन समुदाय का आठ दिन तक चलने वाला आत्मा की शुद्धि का पर्व पर्युषण शनिवार को क्षमापना दिवस के साथ संपन्न हो जाएगा। इसके लिए तैयारियों को शुक्रवार को अंतिम रूप दिया गया। हालांकि जैन समुदाय ने पहले ही निर्णय लिया हुआ है कि कोरोना संक्रमण के चलते कोई बड़ा समारोह नहीं होगा।

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    श्री आत्मानंद जैन सभा जम्मू के महासचिव विनोद जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व आध्यात्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मा की शुद्धि का पर्व माना जाता है। इसका उद्देश्य आत्मा के विकारों को दूर करने का होता है। जैन समुदाय इस बात का हमेशा ध्यान रखता है कि किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। इसके बावजूद अगर किसी से जाने-अनजाने अगर कोई पाप हुआ हो तो उसके लिए सभी प्राणियों से क्षमा याचना की जाती है। पर्युषण पर्व का जैन समाज में सबसे अधिक महत्व है। इस पर्व को पर्वो का राजा कहा जाता है। साधारण शब्दों में इसका उद्देश्य होता है किसी भी प्रकार के किए गए पापों का प्रायश्चित करना। यह पर्व 15 अगस्त को शुरू हुआ था और 22 को संपन्न होगा। गलती से यदि किसी के प्रति बुरी भावना पैदा हो गई हो तो उसको शांत करने का यह पर्व है। मंदिर एवं धर्म स्थलों पर ध्यान होता है, जैन पद्धति के अनुसार पूजा पाठ भी किया जाता है। इस वर्ष कोरोना के चलते जैन मंदिरों में कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सका। मैत्री दिवस के रूप में होता है समापन

    पर्युषण महापर्व का समापन मैत्री दिवस के रूप में आयोजित होता है, जिसे 'क्षमापना दिवस' भी कहा जाता है। इस तरह से पर्युषण महापर्व एवं क्षमापना दिवस एक-दूसरे को निकट लाने का पर्व है। यह एक-दूसरे को अपने ही समान समझने का पर्व है। संसार के समस्त प्राणियों से जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा याचना कर सभी के लिए खुशी की कामना की जाती है। भगवान महावीर ने क्षमा यानी समता का जीवन जीया। चाहे कैसी भी परिस्थिति आई हो, भगवान महावीर सभी परिस्थितियों में सम रहे। महान व्यक्ति ही क्षमा ले-दे सकते हैं। पर्युषण पर्व आदान-प्रदान का पर्व है। अत: अंतिम दिन बड़े, छोटे, अमीर, गरीब, श्वेतांबर, दिगंबर एक दूसरे से क्षमा मांगकर एक नए रिश्ते की शुरुआत करते हैं।