भारत की कार्रवाई के डर से पाक में खलबली, पाक सीमा पर की भारी तैनाती
अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर नियंत्रण रेखा तक सेना और सीमा सुरक्षा बल चौकस है। पाकिस्तान के एक संदेश को इंटरसेंप्ट करने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हाथ यह जानकारी लगी है।
दलजीत सिंह, आरएसपुरा। पुलवामा आत्मघाती हमले के बाद भारत की कार्रवाई के डर से सीमा पार खलबली मची हुई है। पिछले दो दिनों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी सेना की हलचल बढ़ी है। पाकिस्ताी स्नाइपर्स की संख्या में बढ़ा दी है। सुरक्षा एजेसियों का कहना है कि सीमा पर तैनात रेजंर्स को विशेष आदेश हैं कि भारतीय जवानों को सीमा के पास न आने दें। यही नहीं पाक सेना लगातार अपने सीमांत लोगों को सुरक्षित रहने को भी कह रही है।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर नियंत्रण रेखा तक सेना और सीमा सुरक्षा बल चौकस है। पाकिस्तान के एक संदेश को इंटरसेंप्ट करने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हाथ यह जानकारी लगी है। पाक सेना ने सीमा पर तैनात स्नाइपरों को यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे भारतीय सुरक्षा बल के जवानों को देखते ही शूट कर दें। सीमा पर कई बार पहले भी पाकिस्तान की ओर से किए स्नाइपर शॉट हमले में कई भारतीय जवान शहीद व घायल हो चुके हैं। भारतीय सुरक्षाबल चौकसी व सावधानी बरत रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान सीमा पर गोलीबारी शुरू करने को पूरी तरह से तैयार है। पाकिस्तान चाहता है किइससे पहले भारतीय सुरक्षाबल उन पर गोलीबारी शुरू करे वह पहले ही भारतीय सीमा पर गोलाबारी शुरू कर दें। पाकिस्तान की ओर से दो दिनों में काफी संख्या में जवान सीमा पर तैनात किए जा चुके हैं। सीमा पर रहने वाले पाकिस्तानी लोगों को भी लगातार गोलीबारी के लिए तैयार रहने के लिए कहा जा रहा है। दूसरी ओर भारतीय सीमा पर भी सुरक्षा बल पूरी तरह से चौकसी बरत रहे है। भारत पाक सीमा से सटे गांव में रहने वाले ग्रामीणों को भी सीमा सुरक्षा बल के साथ प्रशासन द्वारा भी सावधान रहने के लिए कहा जा रहा है।
दुश्मन से बदला लेने को बेताब, बस इशारे का इंतजार : अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर सीमा सुरक्षा बल और सेना हाई अलर्ट पर है। पुलवामा हमले के बाद बदला लेने का जुनून साफ झलक रहा है। सीमा पर किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी है। राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के पास स्थित इलाकों में भारतीय सेना हेलीकॅाप्टर से हालात पर नजर रख रही है। शनिवार रात को सेना के तीन हेलीकॉप्टर राजौरी शहर पर काफी देर तक उड़ते रहे। सीमांत जिलों राजौरी व पुंछ में भारतीय सेना हर लिहाज से तैयार है। सेना के वरिष्ठ अधिकारी सीमांत क्षेत्रों का दौरा कर जवानों का हौसला बढ़ा रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारी भी सैनिकों की आकांक्षाओं से भली भांति वाकिफ हैं। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जागरण को बताया कि केरिपुब के जवानों की शहादत का दुख पूरे देश को है। वे दुश्मन के मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए इस समय पूरी तरह से तैयार हैं।
जम्मू-कश्मीर में नक्सल क्षेत्रों के मुकाबले आइइडी धमाके बढ़े
जम्मू-कश्मीर में पिछले पांच वर्षो के दौरान आइईडी समेत अन्य बम धमाकों की संख्या लगातार बढ़ी है। 2018 में ऐसी घटनाएं 57 फीसद बढ़ी हैं, जबकि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और उग्रवाद प्रभावित पूवरेत्तर में ऐसी घटनाएं कम हुई हैं। पाकिस्तान और चीन की सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2014 में 37 बम (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस एवं अन्य) धमाके हुए, जिनकी संख्या 2015 में 46, 2016 में 69, 2017 में 70 और 2018 में 117 हो गई। एनएसजी के नेशनल बम डाटा सेंटर (एनबीडीसी) ने यहां हाल ही में हुए दो दिवसीय सम्मेलन में इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश की है। ब्लैक कैट कमांडो बल का एनबीडीसी सभी आइईडी और अन्य बम धमाकों का एक राष्ट्रीय संग्रह केंद्र है। यह पुलवामा विस्फोट समेत सभी ऐसी घटनाओं की जांच भी करता है। इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर और वहां आइईडी एवं अन्य विस्फोटों के बढ़ते खतरे का विशेष उल्लेख किया गया है।
रिपोर्ट ऐसे समय में आई जब 14 फरवरी को पुलवामा में हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो चुके हैं। जांचकर्ताओं को संदेह है कि जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी ने जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर सीआरपीएफ के काफिले की बस में 20 किलोग्राम आरडीएक्स मिश्रित विस्फोटकों से लदी एक कार टकरा दी थी। रिपोर्ट में कहा गया है, च्जम्मू-कश्मीर छोड़कर देश के सभी हिस्सों में आइईडी धमाकों में काफी कमी आई है। यहां आतंकियों ने 2018 में आइईडी धमाकों का अधिक इस्तेमाल किया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 2017 में 98 आइईडी विस्फोट हुए, जबकि 2018 में 77 ऐसी घटनाएं हुईं। इसके उलट जम्मू-कश्मीर में 2017 में 21 आइईडी धमाके हुए और अगले साल यानी 2018 में उससे 57 फीसद बढ़कर इनकी संख्या 33 हो गई। उग्रवाद प्रभावित पूवरेत्तर में 2017 में 66 आइईडी विस्फोट हुए, जबकि 2018 में 32 ऐसे धमाके हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र एवं पूवरेत्तर में ऐसी घटनाओं में हताहतों की संख्या बढ़ गई। वर्ष 2017 में देश भर में कुल 244 आइईडी धमाके हुए, जिनमें 61 जानें गईं। वर्ष 2018 में देश में धमाकों की संख्या तो घटकर 174 हो गई।