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    जम्मू-कश्मीर में मिला एक बिलियन टन चूना पत्थर का भंडार, 1500 करोड़ के राजस्व की उम्मीद

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 10:37 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ने एक बिलियन टन चूना पत्थर के भंडार का अनुमान लगाया है। केंद्रीय खान मंत्रालय के अनुसार, अन्य खनिजों की भी संभावनाएं हैं। सात चूना पत्थर ब्लॉकों की ई-नीलामी शुरू हो चुकी है, जिससे राज्य को राजस्व मिलने की उम्मीद है। अवैध खनन पर निगरानी के लिए सिस्टम अपनाया गया है और लिथियम, नीलम की खोज पर ध्यान दिया जा रहा है।

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    जम्मू-कश्मीर में मिला चूना पत्थर का विशाल भंडार। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में खनिज क्षेत्र को नई गति देते हुए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जीएसआइ) ने अनुमान लगाया है कि केंद्र शासित प्रदेश में लगभग एक बिलियन टन चूना पत्थर ( लाइमस्टोन) का भंडार मौजूद है। यह जानकारी केंद्रीय खान मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव संजय लोहिया ने दी।

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    उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की भी काफी संभावनाएं हैं, जिनकी खोज और दोहन से क्षेत्र के लोगों को लाभ पहुंचाया जा सकेगा। गत सोमवार को अनंतनाग, राजौरी और पुंछ जिलों में फैले 314 हेक्टेयर क्षेत्र के सात चूना पत्थर खनिज ब्लॉकों की ई-नीलामी की शुरुआत केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी की उपस्थिति में की थी।

    लोहिया ने बताया कि 2015 में खनन क्षेत्र में नीलामी नियम लागू होने के बाद देश के सभी राज्यों ने अब तक लगभग 600 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की है, लेकिन जम्मू-कश्मीर इसमें पीछे रह गया था। चूंकि जम्मू कश्मीर को नीलामी का पूर्व अनुभव नहीं था, इसलिए केंद्र सरकार ने पहले सात ब्लॉकों की नीलामी में पूरी सहायता देने का निर्णय लिया।

    उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में सीमेंट की बढ़ती मांग को देखते हुए स्थानीय स्तर पर उत्पादन शुरू होने से परिवहन लागत कम होगी और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। अतिरिक्त सचिव संजय लोहिया ने बताया कि खनन से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, उद्योगों को गति मिलती है और सरकार के राजस्व में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि चुनौतियां इस बात की हैं कि कैसे समयबद्ध और योजनाबद्ध तरीके से अधिक खनिज क्षेत्रों की खोज कर उन्हें नीलामी प्रक्रिया में लाया जाए।

    उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जीएसआइ ने जम्मू-कश्मीर में लिथियम, तांबा, टाइटेनियम, लोहा, कोयला और सोना जैसी खनिजों की मौजूदगी भी चिन्हित की है, हालांकि उनकी आर्थिक व्यवहार्यता का आकलन अभी बाकी है। जम्मू-कश्मीर खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल कुमार सिंह ने कहा कि सात चूना पत्थर ब्लॉकों की ई-नीलामी से प्रदेश को लगभग 500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पारदर्शी ई-नीलामी प्रक्रिया निवेशकों के विश्वास को बढ़ाएगी, उद्यमिता को प्रोत्साहन देगी और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी।

    उन्होंने कहा कि विभाग अगले वर्ष मार्च तक 24 नए खनिज ब्लॉकों को नीलामी के लिए प्रक्रिया में ला रहा है, जिनसे लगभग 1500 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है। सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर ने खनन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम अपनाया है, जिसमें सैटेलाइट इमेजिंग के माध्यम से अवैध खनन पर निगरानी रखी जा सकेगी। यह सिस्टम जनवरी 2026 तक पूरी तरह संचालित हो जाएगा।

    नागरिकों को भी मोबाइल ऐप के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि लिथियम और नीलम की वैज्ञानिक खोज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिन्हें अगले वित्तीय वर्ष में प्री-नीलामी के लिए तैयार किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में खनन क्षेत्र को वैज्ञानिक, पारदर्शी और सतत विकास मॉडल पर आगे बढ़ाने के लिए मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट की स्थापना भी अंतिम चरण में है।

    सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की सिफारिश की है, जिसका उपयोग कमांड और कंट्रोल सेंटर तथा तेज़ प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करने में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से खनन से होने वाली आय सीधे स्थानीय विकास और जनकल्याण कार्यों पर खर्च की जाएगी।