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    Jammu News: अब वन्यजीवों को और नजदीकी से देख सकेंगे पर्यटक, संरक्षण विभाग ने तैयार किए 18 ट्रैकिंग रूट

    By Jagran NewsEdited By: Gurpreet Cheema
    Updated: Fri, 02 Jun 2023 10:11 AM (IST)

    लोगों को वन और वन्यजीवों के प्रति आकर्षित करने और उनमें संरक्षण का भाव लाने के लिए वन्यजीव संरक्षण विभाग जम्मू-कश्मीर ने विभिन्न संरक्षित जंगलों में 18 ट्रैकिंग रूट तैयार किए हैं। इनमें 5 ट्रैकिंग रूट कश्मीर में तैयार किए गए हैं जिसमें चश्माशाही-जौरा धारा-महादेवअरु-तरसरार-मरसारअरु-कोल्लाई गलेशियरधारा-हाऐ शामिल है।

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    अब वन्यजीवों को और नजदीकी से देख सकेंगे पर्यटक, संरक्षण विभाग ने तैयार किए 18 ट्रैकिंग रूट (फाइल फोटो)

    जम्मू, जागरण संवाददाता। लोगों को वन और वन्यजीवों के प्रति आकर्षित करने और उनमें संरक्षण का भाव लाने के लिए वन्यजीव संरक्षण विभाग जम्मू-कश्मीर ने विभिन्न संरक्षित जंगलों में 18 ट्रैकिंग रूट तैयार किए हैं। इनके जरिए लोग खासकर युवा वर्ग ट्रैकिंग इस पर रवाना हो रहे हैं और वन और वन्यजीवों के नजारे नजदीक से देख रहे हैं।

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    यह वो जंगल हैं जहां वन्यजीव पलते हैं और आम लोगों को यहां जाने की मनाही रहती है, लेकिन ट्रैकिंग के जरिए बेहतर अवसर लोगों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब तक दर्जन भर ट्रैकिंग टूर भी आयोजित भी कराए जा चुके हैं। 5 ट्रैकिंग रूट कश्मीर में तैयार किए गए हैं, जिसमें चश्माशाही-जौरा, धारा-महादेव,अरु-तरसरार-मरसार,अरु-कोल्लाई गलेशियर,धारा-हाऐ शामिल है। जबकि, जम्मू संभाग में नंदनी-बैल खड्ड, मानतलाई-पत्नीटाप, सेंच्यूरी गेट- गुड़ा- सुरजन, संगून सुरुईंसर-पुरमंडल, जसरोटा, मानसर आदि आदि शामिल हैं।

    25 किलोमीटर का ट्रैकिंग रूट

    अरु-तरसरार-मरसार ट्रैकिंग रूट सबसे लंबा है जोकि, 25 किलोमीटर का है। बाकी के अधिकांश ट्रैकिंग रूट 5:5 किलोमीटर से 13 किलोमीटर लंबे हैं। इन रूट से होकर गुजरने का अवसर लोगों को समय समय पर दिया जा रहा है। इसके लिए वन्यजीव संरक्षण विभाग समय समय पर ट्रैकिंग टूर आयोजित करता है। वन्यजीव संरक्षण विभाग के चीफ वार्डन सुरेश के गुप्ता का कहना है कि ट्रैकिंग रूट के जरिए युवा वन व वन्यजीवों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। ट्रैकिंग के लिए लोगों का अच्छा रुझान भी हमें मिल रहा है।

    ट्रैकिंग रूट तैयार होने से पर्यटक खुश

    वहीं, नंदिनी ट्रैकिंग पर आई मधु शर्मा का कहना है कि इस तरह के ट्रैकिंग कार्यक्रम समय समय पर होते रहने चाहिए। दूसरी ओर वन और वन्यजीवों को नजदीक से देखने और अध्ययन करने वाले लोगों के लिए और आसानी रहेगी क्योंकि जंगलों में वन्यजीव संरक्षण विभाग की बनी हट,विश्रााम घरों को अब आम लोग भ्री बुक करा सकेंगे। अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से इसके किराये तय किए गए हैं।