Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Jammu News: अब कश्मीरी हिंदुओं को वोट के लिए नहीं लगाने होंगे दफ्तरों के चक्कर, M-Form की अनिवार्यता खत्म

    Updated: Sat, 27 Apr 2024 09:19 PM (IST)

    Jammu News जम्‍मू कश्‍मीर में अब कश्‍मीरी हिंदुओं को वोट के लिए दफ्तरों में चक्‍कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जम्मू कश्मीर समेत देश के अन्य हिस्सों में 1.13 ...और पढ़ें

    Hero Image
    अब कश्मीरी हिंदुओं को वोट के लिए नहीं लगाने होंगे दफ्तरों के चक्कर (फाइल फोटो)

    नवीन नवाज, जगटी (जम्मू)। घाटी से विस्थापित कश्मीरी हिंदू मतदाताओं की आवाज की अब कोई भी प्रत्याशी अनदेखी नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने इन मतदाताओं को वोट के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने से मुक्ति प्रदान कर दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नतीजा कश्मीर के लोकसभा क्षेत्रों में मतदान के दौरान कश्मीरी हिंदुओं की भागेदारी बढ़ेगी और यही वजह है कि प्रत्याशियों के समर्थकों ने अभी से विस्थापित कॉलोनी में पहुंच इन मतदाताओं को लुभाना आरंभ कर दिया है। साथ ही यह मतदाता भी काफी उत्साहित हैं और खुलकर मतदान पर चर्चा में शामिल हो रहे हैं।

    देश के अलग-अलग शहरों में रह रहे कश्‍मीरी हिंदू

    यहां बता दें कि आतंक के दौरान विस्थापित कश्मीरी हिंदू देश के अलग-अलग शहरों में रह रहे हैं। जम्मू कश्मीर समेत देश के अन्य हिस्सों में 1.13 लाख से अधिक विस्थापित कश्मीरी हिंदू अपने-अपने गृह क्षेत्रों में पंजीकृत हैं। इनमें से ज्यादातर जम्मू और ऊधमपुर में बनी विस्थापित कॉलोनियों में ही रहते हैं। अब तक मतदान के लिए उन्हें एम फॉर्म (माइग्रेट फॉर्म) भरना पड़ता था।

    यह भी पढ़ें: Jammu News: रामबन के परनोट गांव के कई मकानों में आई दरारें, सुरक्षित स्थान पर भेजे गए लोग; जांच के लिए पहुंची टीम

    साथ ही इसके तहत यह अपने घर के आसपास बने मतदान केंद्र में कश्मीर के चुनाव में मतदान कर सकते थे। पर समस्या यह थी कि उसके लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे। यही वजह है सामान्य तौर पर इन मतदाताओं में से 10 से 12 प्रतिशत ही मतदान में शामिल रहते थे। अब चुनाव आयोग ने प्रदेश में रह रहे विस्थापितों को एम फॉर्म की भरने से छूट प्रदान कर दी है। प्रदेश के अलावा नई दिल्ली, बेगलुरू, पुणे, चंडीगढ़ में भी बड़ी संख्या में विस्थापित कश्मीरी हिंदू हैं।

    टाउनशिप में दिखने लगी चहल-पहल

    जम्मू में विस्थापितों के लिए बसाई जगटी टाउनशिप में इस बार चहल-पहल दिखने लगी है। 55 वर्ष के रमेश कुमार सूरी कहते हैं कि कश्मीर से उजड़ने के बाद कभी मतदान नहीं कर पाया। इस बार वोट डालूंगा, क्योंकि एम फॉर्म नहीं भरना है। श्रीनगर मे लालचौक के साथ सटे कोर्ट रोड के रहने वाले रमेश कुमार वर्षों से विस्थापित कॉलोनी में रह रहे हैं। वह कहते हैं कि एम फॉर्म की औपचारिकताओं के चक्कर में विस्थापन के बाद कभी मतदान नहीं कर पाए।

    हमें मतदान से दूर रखने की साजिश थी

    विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की समिति के अध्यक्ष शादी लाल पंडिता ने कहा कि एम फॉर्म हम लोगों को मतदान प्रक्रिया से दूर रखने की साजिश ही रही। आयोग को इसे पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए, फिलहाल जम्मू और ऊधमपुर में बसे हम कश्मीरी विस्थापितों को इससे आजादी मिली है पर आने वाले समय में बाहर भी यह शर्त समाप्त हो जाएगी।

    यह भी पढ़ें: Srinagar Boat Accident: झेलम नदी से 12 दिन बाद बरामद हुआ एक नाबालिग बच्‍चे का शव, आठ पहुंची मृतकों की संख्‍या

    पनुन कश्मीर के अध्यक्ष डॉ. अजय च्ररंगु ने कहा कि एम फॉर्म की बाध्यता के कारण विस्थापित कश्मीरी मतदाताों में से अधिकांश मतदान नहीं कर पाते थे। वर्ष 2019 में लगभग 13.5 हजार विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। अब उम्मीद करें कि मतदान बढ़ेगा। जम्मू एंड कश्मीर पीस फोरम के अध्यक्ष सतीश महलदार ने कहा कि एम फॉर्म की बाध्यता को आंशिक रूप से समाप्त किया गया है। यह दिल्ली व अन्य शहरों में बसे विस्थापितों के लिए भी समाप्त होनी चाहिए।

    यह है एम फॉर्म

    एम फॉर्म से विस्थापित परिवारों को अपने मूल निवास और परिवार की जानकारी देनी होती थी और यह भी बताना होता था कि किस मतदानकेंद्र के साथ पंजीकृत थे और मतदाता सूची में अपने क्रमांक क्या है। इसके बाद उन्हें इस फॉर्म को किसी राजपत्रित अधिकारी से सत्यापित करवाकर निर्वाचन क्षेत्र के पीठासीन अधिकारी को जमा कराना होता है। पीठासीन अधिकारी फॉर्म की जांच के बाद मतदाता पर्ची जारी करता था। मतदाता पर्ची प्राप्त करने के बाद ही मतदाता मतदान कर सकता था।