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    अब रामबन में चिनाब पर बनेगी जल विद्युत परियोजना, NHPC ने जारी की निविदाएं; करीब 200 मीटर ऊंचा बनेगा बांध

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 10:17 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के रामबन में चिनाब नदी पर प्रस्तावित 1856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को शुरू करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। 65 वर्ष पुरानी इस परियोजना पर पाकिस्तान की आपत्तियों के कारण काम रुका हुआ था लेकिन अब सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के बाद इसके जल्द पूरा होने की उम्मीद है।

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    अब रामबन में चिनाब पर बनेगी जल विद्युत परियोजना। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू संभाग के रामबन में चिनाब नदी पर प्रस्तावित 1856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को गति देते निविदाएं आमंत्रित कर दी गई हैं। यह 65 वर्ष पुरानी परिकल्पना के साकार होने की दिशा में बड़ा कदम है।

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    सावलकोट परियोजना के लिए गत माह वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वनीय भूमि के प्रयोग की अनुमति दी है। इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले वर्ष 1960 में की गई थी।

    पाकिस्तान की आपत्तियों, स्थानीय भौगोलिक व सुरक्षात्मक परि²श्य के चलते यह परियोजना सिरे नहीं चढ़ पा रही थी। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा ¨सधु जलसंधि को स्थगित किए जाने के बाद चिनाब दरिया पर प्रस्तावित परियोजना के जल्द पूरा होने की उम्मीद बंधी है।

    प्रस्तावित सावलकोट जलविद्युत परियोजना जिला रामबन के अंतर्गत सिडू गांव के पास बनेगी। राष्ट्रीय जल विद्युत निगम एनएचपीसी ने 1856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना के निष्पादन के लिए “लाट-1 पैकेज: योजना, डिजाइन और इंजीनियरिंग (पीडीई) कार्य के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।

    यह निविदाएं 10 सितंबर तक जमा कराई जा सकती हैं और इन्हें 12 सितंबर को खोला जाएगा। निविदा दस्तावेज के अनुसार, यह परियोजना पहले से निर्मित सलाल जलविद्युत परियोजना और बगलिहार परियोजना के बीच जलविद्युत क्षमता का दोहन करेगी। सावलकोट परियोजना के लिए विस्तृत रिपोर्ट आखिरी बार 2018 में तैयार की गई थी।

    निविदा दस्तावेज के अनुसार, इस परियोजना में रोलर काम्पैक्टेड कंक्रीट ग्रेविटी बांध होगा जिसकी नींव से ऊंचाई 192.5 मीटर होगी। तीन घोड़े की नाल के आकार की सुरंगों से नदी का रुख मोड़ना सुनिश्चित होगा। बांध के नीचे चिनाब के बाएं किनारे पर भूमिगत बिजली घर का निर्माण होगा जिसकी स्थापित क्षमता 1,800 मेगावाट होगी और जिसे 225 मेगावाट की आठ इकाइयों में विभाजित किया जाएगा।

    56 मेगावाट का एक विद्युत संयंत्र पर्यावरणीय प्रवाह आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए छोड़े जल का उपयोग करेगा, जिससे संयंत्र की कुल क्षमता 1,856 मेगावाट हो जाएगी।