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    लाडले बेटे के सिर पर सेहरा सजाने की मां की ख्वाहिश रह गई अधूरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 19 Nov 2020 05:33 AM (IST)

    मातृभूमि की रक्षा में प्राणों का बलिदान देने वाले ऊधमपुर के जाबाज निखिल शर्मा के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

    लाडले बेटे के सिर पर सेहरा सजाने की मां की ख्वाहिश रह गई अधूरी

    जागरण सवाददाता, ऊधमपुर : मातृभूमि की रक्षा में प्राणों का बलिदान देने वाले ऊधमपुर के जाबाज निखिल शर्मा के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मा अपने बेटे निखिल के सिर पर सेहरा सजाना चाहती थी और हर बार उसे विवाह कर परिवार बसाने के लिए कहती थीं, मगर निखिल घर बनाने के बाद विवाह की बात करता था, लेकिन उसकी यह ख्वाहिश अधूरी रह गई। अचानक हुए इस हादसे की खबर से सारा परिवार पथराई आखों से गमगीन हालत में चहेते निखिल के पार्थिव शरीर के पहुंचने का पल-पल इंतजार कर रहा है। निखिल का पार्थिव शरीर वीरवार सुबह दस बजे उनके निवास पर पहुंचने की बात कही जा रही है।

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    उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा के टंगडार सेक्टर में बुधवार को भारी हिमस्खलन हुआ है। इसमें ऊधमपुर जिले के रठियान गांव के 25 वर्षीय निखिल शर्मा शहीद हो गए है। रठियान निवासी शिवचरण शर्मा के मुताबिक आधी रात को उनके बेटे एवं निखिल के छोटे भाई अक्षय को फोन आया, जिसमें हिमस्खलन की चपेट में आने से निखिल शर्मा के शहीद होने की जानकारी दी गई। यह सुनकर अक्षय होश खो बैठा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था किए ऐसा कैसे हो गया। रात को उसे कुछ समझ नहीं आया तो वह 15 मिनट तक घर के मदिर में जड़ अवस्था में बैठा रहा। पिता या परिवार को बताने की हिम्मत वह जुटा नहीं पाया। काफी देर बाद उसने पास ही रहने वाले अपने ताया भगवान दास को फोन पर इसकी जानकारी दी। इससे उसके ताया भी बेचैन हो उठे। अक्षय की ताई और चचेरी बहनें भी जाग गई और वे रोने लगीं। इसके बाद भगवान दास ने अपने भाई और परिवार के अन्य लोगों को इस अनहोनी घटना की सूचना दी। निखिल की मां सुनीता देवी, पिता शिवचरण, भाई अक्षय व अखिल और चचेरी बहनों की करुणामयी चीत्कार सन्नाटे को चीरती हुई पूरे इलाके में गूंजने लगी। इसे सुनकर आसपड़ोस के लोग पहुंच गए। उन्होंने सभी को ढांढ़स बधाया। निखिल अपने मिलनसार और मददगारी स्वभाव के कारण हर किसी के चहेते थे। ताया ने बताया कि निखिल वर्ष 2015 में सेना के 3 जैक लाई में भर्ती में हुआ। प्रशिक्षण व उसके बाद वह घाटी में रहा। बाद में पोस्टिंग वाघा बॉर्डर पर हुई। सात माह उसकी तैनाती राष्ट्रीय राइफल में टंगधार में हुई। वहा जाने से पहले तीन सितबर को घर आया और करीब एक सप्ताह घर पर रहा। सबका था प्रिय, दोस्तों-पड़ोसियों से वीडियो कॉल कर लेता रहता था हालचाल

    निखिल के ताया के मुताबिक निखिल लगभग रोज ही परिवार और दोस्तों, परिचितों व आसपड़ोस वालों से फोन या वीडियो कॉल पर बात करता था। दो दिन पहले पिता से सुबह छह बजे फोन पर बात की और खैर खबर ली। वहीं, अपने एक दोस्त अंकुश, राकेश से बात की और परिवार को सब ठीक होने तथा कोई फिक्र न करने की बात कही। मगर परिवार को क्या पता था कि इसके बाद उनकी निखिल से कभी बात नहीं होगी। ताया ने बाताया कि वह इतना मिलनसार था कि जब भी छुट्टी आता, तब वह अपने स्कूल जाकर बच्चों व शिक्षकों से मिलता और बच्चों को कई काम की बातें बताता। ताया भगवान दास ने कहा कि उनके लिए निखिल की मौत काफी बड़ा सदमा है। वर्ष 2012 में वह एक सड़क हादसे में अपने बेटे को खो चुके हैं। अपने बेटे के चले जाने के बाद निखिल के साथ उनका काफी लगाव था। वह उसे अपना बेटा ही मानते थे। आज एक बार फिर से किस्मत ने उसने उनके बेटे को छीन लिया है। मगलवार रात के बाद से सारा परिवार कभी रोते-बिलखते हुए तो कभी पथराई आखों से अपने लाडले और चहेते निखिल का पार्थिव शरीर पहुंचने का इंतजार कर रहा है। बताया जा रहा है कि निखिल का पार्थिव शरीर वीरवार सुबह दस बजे उनके निवास पर पहुंचेगा। जिसके बाद सैन्य सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।