Jammu Kashmir News: एनआईए कोर्ट ने मियां कयूम को न्यायिक हिरासत में भेजा, एडवोकेट बाबर कादरी हत्याकांड का है आरोपी
मियां अब्दुल कयूम की 25 जून को एडवोकेट बाबर कादरी की हत्या में शामिल होने के आरोप में हुई गिरफ्तारी थी। प्रदेश जांच एजेंसी ने उसे एक बार फिर एनआईए अदालल में पेश किया। एनआईए अदालत ने मियां अब्दुल कयूम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मियां अब्दुल कयूम कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुका है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। एडवोकेट बाबर कादरी की हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कश्मीर बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मियां अब्दुल कयूम को एनआईए अदालत जम्मू ने शनिवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
एडवोकेट बाबर कादरी कश्मीर के कई मामलों को लेकर कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां कयूम और कई हुर्रियत नेताओं के मुखर विरोधी थे। उन्हें सितंबर 2020 में आतंकियों ने श्रीनगर स्थित उनके घर में मौत के घाट उतार दिया था। इससे पूर्व वह 2018 में एक आतंकी हमले में बाल बाल बचे थे।
SIA ने 25 जून को किया था गिरफ्तार
एडवोकेट बाबर कादरी की हत्या के मामले की जांच कर रही प्रदेश जांच एजेंसी (एसआईए) ने 25 जून को मियां अब्दुल कयूम को गिरफ्तार किया था और उन्हें उसी दिन जम्मू लाया गया था। अगले दिन फास्ट ट्रैक कोर्ट में पेश किया गया।
अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया, जिसे बाद में विशेष अदालत ने छह दिन और बढ़ा दिया।। उस समय मियां कयूम ने खुद अपने मामले की पैरवी करते हुए पुलिस रिमांड का विरोध किया था।
उन्होंने कहा था कि वह जांच में सहयोग करते आए हैं और इस मामले में पुलिस की जांच भी काफी हद तक पूरी हो चुकी है। इसलिए उन्हें गिरफ्तार करने का भी कोई औचित्य नहीं है।
20 जुलाई तक न्यायित हिरासत में भेजा गया
एसआईए ने आज मियां कयूम को एक बार विशेष अदालत एनआईए में पेश किया। विशेष न्यायाधीश जतिंदर सिंह जम्वाल ने सभी पक्षों को सुनने और अभियोजन पक्ष की ओर से पेश दस्तावेजों का संज्ञान लेने के बाद मियां कयूम को 20 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
श्रीनगर से जम्मू अदालत में स्थानांतरित किया गया मामला
एडवोकेट बाबर कादरी की हत्या के मामले की सुनवाई पहले श्रीनगर में ही हो रही थी। इसी वर्ष जनवरी में यह मामला जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने श्रीनगर से जम्मू की अदालत में स्थानांतरित किया था।
उच्च न्यायालय के मुताबिक किसी आपराधिक मामले की निष्पक्ष सुनवाई के लिए यह जरूरी है कि गवाह ऐसे माहौल में गवाही देने की स्थिति में हों, जो स्वतंत्र और शत्रुतापूर्ण न हो।
उच्च न्यायालय ने यह आदेश एसआईए द्वारा दायर एक आवेदन पर दिया था, जिसमें कहा गया था कि कश्मीर के कुछ प्रभावशाली वकीलों की संलिप्तता के कारण श्रीनगर का कोई भी वकील कानूनी सहायता देने को तैयार नहीं है।
इससे पहले श्रीनगर पुलिस कर रही थी जांच
एसआईए ने एडवोकेट बाबर कादरी की हत्या के मामले की जांच जिम्मा बीते वर्ष ही संभाला है। इससे पहले इस मामले की जांच श्रीनगर पुलिस कर रही थी। श्रीनगर पुलिस ने इस मामले में 2021 में श्रीनगर की विशेष यूएपीए अदालत में छह आरोपितों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था।
पुलिस ने दावा किया था कि कादरी की हत्या में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर साकिब मंजूर शामिल था। मंजूर और एक अन्य आतंकी कमांडर 2022 में श्रीनगर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे।
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तलाशी में मिलीं थी ये चीजें
अगस्त 2022 में, पुलिस ने अपनी जांच के तहत कयूम के आवास और श्रीनगर में दो अन्य वकीलों के आवासों पर तलाशी ली, जिसमें डिजिटल डिवाइस, बैंक स्टेटमेंट और दस्तावेज जब्त किए गए थे।
सितंबर 2023 में एसआइए ने कादरी की हत्या के मामले को सुलझाने में मदद करने वाली किसी भी जानकारी के लिए 10 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी।
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