Jammu and Kashmir News: एडवोकेट बाबर कादरी हत्याकांड मामले में आरोपी को NIA कोर्ट से राहत नहीं, जमानत अर्जी खारिज
एडवोकेट बाबर कादरी हत्याकांड में एनआईए कोर्ट श्रीनगर ने बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मियां अब्दुल क्यूम की जमानत याचिका खारिज कर दी जो वर्तमान में जम्मू जेल में हैं। खराब स्वास्थ्य के आधार पर क्यूम ने जमानत मांगी थी जिसका एनआईए ने विरोध किया। एनआईए के अनुसार क्यूम ने आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर कादरी की हत्या की साजिश रची थी।

जेएनएफ, जम्मू। एडवोकेट बाबर कादरी की हत्या के मामले में एनआइए कोर्ट श्रीनगर ने बार एसोसिएशन श्रीनगर के पूर्व प्रधान मियां अब्दुल क्यूम की जमानत अर्जी खारिज कर दी। क्यूम इस समय जम्मू की जिला जेल में हैं। 77 वर्षीय क्यूम ने खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी थी।
क्यूम ने कहा कि वह मधुमेह, उक्त रक्तचाप समेत कई बीमारियों से ग्रस्त है। वह एक किडनी पर जिंदगी काट रहे हैं। नवंबर 2024 में पेस मेकर भी पड़ चुका है। जेल में उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है, लिहाजा मानवता के आधार पर जमानत पर रिहाई दी जाए।
एनआइए ने क्यूम की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि आरोपित को जेल के भीतर पूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। समय-समय पर अस्पताल ले जाकर भी जांच करवाई जा रही है। एनआइए ने कहा कि क्यूम एक प्रभावशाली व्यक्ति है और जमानत पर रिहा होने के बाद वह गवाहों पर दबाव बना सकता है जिससे केस की सुनवाई प्रभावित होगी। इस आधार पर कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
बता दें कि एनआइए की चार्जशीट के मुताबिक एडवोकेट बाबर कादरी सार्वजनिक रूप से अलगाववाद का विरोध करते थे। उसे मारने के लिए क्यूम ने आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर साजिश रची और सितंबर 2020 में उसकी हत्या करा दी। यह केवल एक हत्या नहीं थी, क्यूम ने कादरी की हत्या करवाकर कश्मीर के पूरे न्यायिक गलियारे को एक संदेश देने का प्रयास किया कि जो भी कश्मीर में अलगाववाद या आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसकी आवाज बंद कर दी जाएगी।
इसके साथ ही एनआइए अधिनियम अधिनियम के तहत नामित पीठासीन अधिकारी तृतीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मदन लाल ने नारको-टेरर फंडिंग मामले में तीन आरोपितों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इस मामले की जांच राज्य जांच एजेंसी जम्मू कर रही है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार सईद अली शाह निवासी चडुरा, बड़गाम, मोहमद रफीक नाजिर निवासी उड़ी, बारामूला और एजाज निवासी लोलाब, कुपवाड़ा साजिश का हिस्सा थे, जिसमें एलओसी पार मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकी फंडिंग नेटवर्क शामिल था। तीनों आरोपित पाक स्थित हिजबुल मुजाहिदीन के हैंडलर तारिक अहमद मल्ला के निर्देशों पर काम कर रहे थे।
जांच में पता चला कि मादक पदार्थों और हवाला चैनलों से एकत्रित करोड़ों रुपये विभिन्न आपरेटरों और बैंक खातों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भेजे थे। विशेष लोक अभियोजक रोहित शर्मा ने आरोपितों की जमानत अर्जी के खिलाफ तर्क दिया जिसमें आरोपितों की आतंकी फंडिंग को प्राप्त करने और उसे वितरित करने में सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डाला। उधर, अदालत ने माना कि आरोपितों के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं। उन्हें जमानत देना मुकदमे को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
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