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    Jammu Kashmir में उभरते नए क्षेत्रीय राजनीतिक दल लोकतंत्र मजबूत होने का संकेत, जानें क्या देखा जा रहा बदलाव!

    By naveen sharmaEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 22 Nov 2022 09:48 AM (IST)

    पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने भी कहा कि नए राजनीतिक दलों के पीछे के गणित को आसानी से समझा जा सकता है लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कश्मीर की राजनीति में कोई प्रभाव छोड़ पाएंगे या इनका कोई वैचारिक जनाधार है।

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    कश्मीर में किसी को बहुमत न मिले और नई दिल्ली अपनी मर्जी से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाए।(File Photo)

    श्रीनगर, नवीन नवाज : जम्मू कश्मीर में तेजी से सुधर रहे हालात के बीच सियासत में भी खासा बदलाव महसूस किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर में पिछले तीन वर्ष के दौरान लगभग एक दर्जन नए क्षेत्रीय राजनीतिक दल उभर कर सामने आए हैं। इन सभी दलों ने चुनाव आयोग में अपना पंजीकरण भी करवा लिया है, ताकि समय आने पर विधानसभा और संसदीय चुनाव भी लड़ सकें।

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    इन दलों का गठन जहां आम लोगों में भारतीय संविधान और लोकतंत्र में मजबूत होती आस्था को दर्शाता है, वहीं परिवारवाद की सियासत करने वाली पुरानी क्षेत्रीय पार्टियों का विकल्प भी प्रदान कर रहा है। यही वजह है कि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसी पार्टियां उभरते नए दलों से खिन्न नजर आ रही हैं और वह इसे कश्मीरियों को राजनीतिक रूप से बांटने की साजिश बता रही हैं।

    पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय दलों में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जम्मू कश्मीर पैंथर्स पार्टी, डोगरा स्वभाविमान संगठन के अलावा पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, पीपुल्स कांफ्रेंस और अवामी लीग के साथ अवामी नेशनल कांफ्रेंस ही चुनावी सियासत में नजर आते थे। इनमें से नेकां और पीडीपी के अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस को अगर छोड़ दिया जाए तो अन्य दल सिर्फ कागजों में या फिर पार्टी कार्यालय तक सिमट चुके हैं।

    ये उभरे हैं नए सियासी दल : पिछले तीन वर्ष के दौरान उभरे नए सियासी दलों में नेशनल अवामी यूनाइटेड पार्टी, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, अमन और शांति तहरीके जम्मू कश्मीर, वायस आफ लेबर पार्टी, हक इंसाफ पार्टी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के अलावा जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी, इक्कजुट जम्मू और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी भी शामिल है। प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने भी चुनाव आयोग के समक्ष पंजीकरण के लिए बीते सप्ताह ही आवेदन किया है। गरीब डेमोक्रेटिक पार्टी और जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट भी शामिल है। उपरोक्त दलों में डोगरा स्वभाविमान संगठन और इक्कजुट जम्मू ही जम्मू केंद्रित है, अन्य सभी कश्मीर केंद्रित ही कहे जाएंगे।

    नेकां ने केंद्र की साजिश बताया : नेकां के प्रवक्ता इफ्रा जान नए राजनीतिक दलों को केंद्र की साजिश बता रहे हैं। जान ने कहा कि यह दल सिर्फ कश्मीर में ही क्यों सामने आ रहे हैं, जम्मू में क्यों नहीं। यह नए दल प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से नई दिल्ली (केंद्र सरकार) द्वारा ही गठित कराए जा रहे हैं, ताकि वह कश्मीरियों को राजनीतिक आधार पर बांट सकें। कश्मीर में किसी को बहुमत न मिले और नई दिल्ली अपनी मर्जी से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाए।

    पीडीपी को नहीं लगता नए दलों में प्रभाव : पीडीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नईम अख्तर ने भी कहा कि नए राजनीतिक दलों के पीछे के गणित को आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कश्मीर की राजनीति में कोई प्रभाव छोड़ पाएंगे या इनका कोई वैचारिक जनाधार है।

    पहले नया दल बनाने वाले को कहने थे कश्मीर दुश्मन :शेख मुजफ्फर - जम्मू कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट के अध्यक्ष शेख मुजफ्फर ने कहा कि यहां लोकतंत्र है और हरेक को राजनीतिक दल बनाने का हक है। पहले यहां जो व्यवस्था थी, उसमें मुख्यधारा की राजनीति में ज्यादा संभावना नहीं थी, क्योंकि उन्हें दिल्ली का एजेंट, कश्मीरियों का दुश्मन बताकर कई पुराने क्षेत्रीय दल अपना स्वार्थ सिद्ध करते थे। इसलिए लोगों का मुख्यधारा की सियासत से किसी हद तक मोहभंग नजर आता था। अब ऐसा नहीं है, अब आम लोग खुलकर मुख्यधारा की सियासत में दिलचस्पी ले रहे हैं।

    बदले हालात, अब रैलियों में नजर आती है भीड़ : कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि पहले यहां अगर कोई नया राजनीतिक दल सामने आता था तो उस पर दो तरफा हमला होता था। नेकां, पीडीपी जैसे दलों के नेता उसके खिलाफ दुष्प्रचार में जुट जाते और कहते कि यह कश्मीरियों को कमजोर करने के लिए दिल्ली द्वारा खड़े किए गए हैं। अलगाववादी और आतंकी संगठन भी इनके खिलाफ रहते थे और इन्हें इस्लाम व जिहाद का दुश्मन बताते थे। इसलिए कश्मीर में चाहकर भी कोई नया राजनीतिक दल प्रभावी रूप से आगे नहीं बढ़ पाया था। अब हालात बदल गए हैं और यही कारण है कि आज आपको जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी की रैलियों में भीड़ नजर आ रही है। लोगों को अब नेकां, पीडीपी, कांग्रेस, अवामी नेशनल कांफ्रेंस के विकल्प मिल रहे हैं और कई राजनीतिक कार्यकर्ता इसे देखते हुए अपने राजनीतिक दल बना रहे हैं।