'पाकिस्तान से मेरे पति का कोई संबंध नहीं', सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर बोलीं पत्नी गीतांजलि
लद्दाख के पर्यावरणविद् की पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने पति पर लगे आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि वांगचुक का हिंसा से कोई संबंध नहीं है। आंग्मो ने लेह में बिगड़ते हालातों के लिए सीआरपीएफ को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वांगचुक शांतिपूर्ण आंदोलन करते रहे हैं जिनका जीवन जलवायु परिवर्तन के प्रयासों को समर्पित है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत में लिए गए लद्दाख के पर्यावरणविद्ध की पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने पति पर पाकिस्तान से संबंध होने के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि वांगचुक का उनका हिंसा, वित्तीय अनियमितता जैसे आरोपों से कुछ लेना देना नही है।
लेह में हालात बिगड़ने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को जिम्मेदार ठहराते हुए आंग्मो ने कहा है कि स्थिति उस समय खराब हुई थी जब युवाओं पर टियर गैस के शैल दागे गए। इसके बाद युवाओं की प्रतिक्रिया के कारण हालात बिगड़ गए।
लेह में पत्रकारों से बात करते हुए आंग्मो ने कहा कि देशभक्ति को बल देने वाले सोनम वांगचुक शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वांगचुक का पूरा जीवन जलवायु परिवर्तन से जुड़े शांतिपूर्ण व वैज्ञानिक प्रयासों को समर्पित रहा है। उन्होंने हमेशा भारत के संविधान व लोकतंत्र में विश्वास रखा है।
आंग्मो ने कहा कि वांगचुक की विदेश यात्राएं संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के निमंत्रण पर हुई थीं। उनका उद्देश्य केवल जलवायु परिवर्तन व वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना था। उन्होंने कहा, हम एक ऐसे सम्मेलन में शामिल हुए थे जिसे संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आयोजित किया था। हिमालय की चोटियों से बहने वाले ग्लेशियर ये नहीं देखते कि वे पाकिस्तान जा रहे हैं या भारत।
फरवरी में पाकिस्तान में आयोजित ब्रीद पाकिस्तान सम्मेलन में वांगचुक की भागीदारी पर उठे सवालों पर अांग्मो ने स्पष्ट किया कि यह एक बहुराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम था। इसे यूएन पाकिस्तान व डान मीडिया ने मिलकर आयोजित किया था। इसका मकसद सिर्फ पर्यावरण संरक्षण और वायु प्रदूषण से निपटने पर चर्चा करना था।
वहीं लद्दाख में हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि उनके पति पूरी तरह से गांधीवादी व शांतिपूर्ण तरीके से" विरोध कर रहे थे। किसी भी गैर-शांतिपूर्ण योजना से उनका कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने कहा, सोनम को किसी भी हिंसक योजना की जानकारी नहीं थी। लेकिन जब केरिपुब ने आंसू गैस के गोले दागे तो युवाओं ने जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद ही हालात बिगड़े।
अंगमो ने सवाल उठाया कि शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की मांग कर रहे लोगों के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई क्यों की जा रही है, जबकि वांगचुक जैसे कार्यकर्ता न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में पर्यावरण के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
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