शहीद दिवस पर याद आए मेजर मुकुंद वरदराजन
राज्य ब्यूरो जम्मू अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में चुनाव को कामयाब बना रही सेना ने वीरवार को अपने मेजर मुकंद वरदराजन की शहादत से प्रेरणा लेते हुए मतदान में खलल डालने के आतंकियों के मंसूबों को नाकाम बनाने का प्रण किया।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में चुनाव को कामयाब बना रही सेना ने वीरवार को अपने मेजर मुकंद वरदराजन की शहादत से प्रेरणा लेते हुए मतदान में खलल डालने के आतंकियों के मंसूबों को नाकाम बनाने का प्रण किया।
मुकुंद ने 25 अप्रैल 2014 को संसदीय चुनाव में खलल डालने वाले तीन आतंकियों को मौत के घात उतारकर शहादत पाई थी। ठीक पांच साल बाद इस संसदीय क्षेत्र में आतंकवाद ने लोगों को मतदान से दूर रहने की धमकियां दी हैं और सेना उन्हें नाकाम बनाने की मुहिम पर है। इस संसदीय सीट के लिए 29 अप्रैल व छह मई को मतदान होना है। सेना के मेजर मुकुंद वरदराजन ने ठीक पांच साल पहले चुनावी माहौल में अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के शोपियां में तीन आतंकियों को मारने के बाद शहादत दी थी। उन्हें शांतिकाल के सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। वह केरल के रहने वाले व चेन्नई में बसे थे। शहादत के समय उनकी बेटी तीन साल की थी। मुकुंद की शादी रैबेका वर्गीस के साथ 28 अगस्त 2009 को हुई थी।
इन आतंकियों ने 24 अप्रैल को अनंतनाग संसदीय चुनाव के मतदान के बाद ईवीएम, चुनावी सामग्री ला रही पोलिग पार्टी को निशाना बनाया था। इसमें एक पोलिग ऑफिसर की मौत हो गई थी, जबकि तीन सुरक्षा कर्मियों समेत पांच लोग घायल हुए थे। अगले दिन सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर वरदराजन की अगुआई में 25 शोपियां के काजीपथरी गांव में मकान में छिपे आतंकियों को लंबी मुठभेड़ के बाद मार गिराया था। इन आतंकियों ने पहले भी पोलिग स्टाफ पर हमले किए थे। इस मुठभेड़ में मेजर मुकुंद के साथ सिपाही विक्रम वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।
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