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    कितने सुरक्षित हैं हमारे स्कूल: छत से गिर रहा प्लास्टर, बारिश में टपकता है पानी; कुछ ऐसी है मिडिल स्कूल तला नगारा की तस्वीर

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 04:35 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के दावों के बावजूद सुंदरबनी के तला नगारा स्थित मिडिल स्कूल की हालत चिंताजनक है। स्कूल के कमरों की छत से प्लास्टर गिरता रहता है और बारिश में पानी टपकता है जिससे छात्रों की किताबें और अन्य सामान भीग जाते हैं। स्कूल में शौचालयों की भी उचित व्यवस्था नहीं है।

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    अधिकारियों से कई बार अनुरोध करने के बावजूद अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

    अंकुश शर्मा, जागरण, सुंदरबनी। शिक्षा के क्षेत्र में भले ही अधिकारी जम्मू-कश्मीर को अव्वल बनाने के दावे करें पर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कभी भी राजस्थान जैसा हादसा होने की आशंका बनी हुई है।

    क्षेत्र के तला नगारा के मिडिल स्कूल की हालत इसका उदाहरण है। स्कूल के कई कमरों में छत से प्लास्टर गिरता रहता है और स्थिति यह है कि वर्षा में लगातार छत टपकती रहती है। ऐसे में बच्चों की किताबें ही नहीं अन्य सामान भी भग जाता है।

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    जागरण की टीम स्कूल के भवन का आडिट करने पहुंची तो स्थिति बहुत ही कमजोर दिखी। तीन कमरों की हालत बहुत गड़बड़ है और उन्हें तुरंत मरम्मत की आवश्यकता महसूस की जा रही है। स्कूल की बाउंउ्री वाल न होने से सुरक्षा की चिंता बनी रहती है अलग से। शौचालयों की स्थिति भी कुछ ऐसी है कि अध्यापकों व बच्चों को खुले में लघुशंका के लिए जाना पड़ रहा है।

    अभिभावक के साथ पंचायत के पूर्व सदस्यों के अनुसार वह कई बार इस संबंध में अधिकारियों से अनुरोध कर चुके हैं पर ठोस कार्रवाई का अभी इंतजार है। उधर अधिकारियों ने तुरंत मरम्मत के लिए आश्वस्त किया है।

    स्कूल में छह कमरे, आधे बैठने लायक नहीं 

    तला नगारा स्थित मिडिल स्कूल के पांच कमरे हैं। इनमें से आधे की स्थिति यह है कि वहां बैठना भी संभव नहीं है। छत के साथ आशंका है कि यहां दीवारें भी गिरने की आशंका बनी रहती है। स्कूल में तला के अलावा मतवाल और चेड़नारा के विद्यार्थी शिक्षा के लिए पहुंचते हैं पर अभिभावकों को अनहोनी की आशंका बनी रहती है। अभिभावकों के अनुसार स्कूल में शिक्षक हैं। पढ़ाई भी ठीक चली है, लेकिन बैठने की सुविधा नहीं है।

    स्थानीय ग्रामीण एवं समाजसेवी राकेश कुमार का कहना है कि स्कूल के भवन का ढांचा सुधारने के संदर्भ में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। अभी तक जमीनी स्तर पर कुछ खास नहीं हुआ है। स्थिति जैसी की वैसी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि 2004 में स्कूल भवन के निर्माण शुरू करवाया था। प्रति वर्ष एक -एक कमरा बनता रहा और अब फिर से स्कूल के भवन के पुनर्निर्माण की अपेक्षा की जा रही है।

    अगर बुनियादी सुविधाएं नहीं, तो बेहतर शिक्षा कैसे

    पूर्व पंच सुनील कुमार, अंकुश शर्मा, सुरेंद्र कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग को हालात की पूरी जानकारी है, लेकिन न तो मरम्मत हुई, न कोई निरीक्षण। बच्चों की पढ़ाई, सेहत और सुरक्षा सब भगवान भरोसे है। उन्होंने कहा कि अब सवाल यह है, क्या बड़ा हादसा होने के बाद जागेगा शिक्षा विभाग? क्या गांव के बच्चे दोयम दर्जे की शिक्षा और सुविधाएं पाने को मजबूर रहेंगे? अब समय आ गया है कि प्रशासन और शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाए।

    स्कूल में कुल पांच कमरे हैं, तीन कमरों की हालत बिल्कुल जर्जर है। छत से प्लास्टर गिर रहा है, फर्श उखड़ चुका है। मरम्मत की बहुत सख्त जरूरत है। शौचालय तो बने हैं, लेकिन पानी नहीं होने के कारण उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा। जोगिंदर कुमार, स्कूल हेडमास्टर

    स्कूल के खराब कमरों की लिस्ट लिखित में उच्च अधिकारियों को भेजी गई है। मैंने दो दिन पहले ही उस क्षेत्र का दौरा कर स्कूल की इमारत का भी निरीक्षण किया था। दो-तीन कमरों की हालत खराब है। जल्द जीर्णोद्धार करवाया जाएगा। राकेश वर्मा, जोनल शिक्षा अधिकारी, सुंदरबनी