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आतंकवाद ने बिगाड़ा राज्य में लोगों का मानसिक स्वास्थ्य, सर्वे में निकले कई मानसिक रोगी

जम्मू कश्मीर में मानसिक रोगों के कई कारण है। प्रमुख कारण पिछले तीस साल से आतंकवाद होना है। इससे लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 02:07 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 02:11 PM (IST)
आतंकवाद ने बिगाड़ा राज्य में लोगों का मानसिक स्वास्थ्य,  सर्वे में निकले कई मानसिक रोगी
आतंकवाद ने बिगाड़ा राज्य में लोगों का मानसिक स्वास्थ्य, सर्वे में निकले कई मानसिक रोगी

जम्मू, रोहित जंडियाल। राज्य विशेषकर कश्मीर में पिछले तीन दशक से आतंकवाद के कारण मानसिक तनाव के मामले बहुत बढ़े हैं। इस समय घाटी में हर चौथे घर में कोई न कोई मानसिक तनाव से पीड़ित है। वहीं जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी पाकिस्तान द्वारा किए जाने वाले संघर्ष विराम उल्लंघन से तनाव काफी बढ़ा है। जम्मू और श्रीनगर दोनों ही जगहों के मनोरोग अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या इससे लगातार बढ़ी है।

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कश्मीर में इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज द्वारा एक्शन एड एसोसिएशन के साथ किए सर्वे में घाटी में 11.3 प्रतिशत एडल्ट लोगों में मानसिक रोग पाए। इसका प्रमुख कारण उन्होंने कश्मीर के हालात को बताया। महिलाओं में मानसिक रोग अधिक थे। सर्वे में 12.9 प्रतिशत महिलाएं और 8.4 प्रतिशत पुरुषों में मानसिक रोग पाए गए। सर्वे डा. अरशद हुसैन, डा. मंसूर अहमद डार, डा. माजिद शफी और उनके सहयोगियों ने किया। वहीं साल 2016 में मेडिसन सेन्स फ्रंटियर्स द्वारा किए एक अन्य सर्वे के अनुसार कश्मीर में हर चार घरों में से एक घर में कोई न कोई दिमागी तौर पर स्वस्थ नहीं है। सर्वे के अनुसार 41 प्रतिशत एडल्ट में डिप्रेशन है। विशेषज्ञ डाक्टरों के अनुसार आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं ने घाटी में तनाव के मामले बहुत बढ़ाए। तनाव किस कद्र हावी है, यह इस बात से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि एक साल में कश्मीर के मनोरोग अस्पताल में 70 हजार के करीब लोग ओपीडी में जांच करवाने के लिए आए और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। कश्मीर में काम कर आए मनोरोग विशेषज्ञ डा. अभिषेक चौहान का कहना है कि साल 2005 में जब विनाशकारी भूकंप आया था तो उस समय उन्हें वहां पर काम करने का मौका मिला था। वहां पर तनाव के मामले बहुत अधिक है।

यही स्थिति जम्मू संभाग की भी है। यहां पर भी युवा अन्य अन्य मानसिक रोगों के शिकार हैं। जम्मू संभाग के एकमात्र मनोरोग अस्पताल में कुछ साल पहले तक जहां हर दिन पचास से साठ लोग ही ओपीडी में अपनी जांच करवाने के लिए आते थे। अब यह संख्या दिन में एक सौ के आंकड़े को पार कर गई है। हर महीने तीन से चार हजार मरीज ओपीडी में अपनी जांच करवाने के लिए आते हैं। वहीं एक बहुत बड़ी संख्या उन लोगों की भी है जो कि निजी क्लीनिकों में जांच करवाने के लिए आते हैं।

सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ा तनाव

जम्मू संभाग में पाकिस्तान द्वारा बार-बार होने किए जाने वाले संघर्ष विराम उल्लंघन के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में मानसिक रोग हुए हैं। इन क्षेत्रों के लोग हालांकि अस्पतालों में अब भी कम ही इलाज करवाने के लिए आते हैं। परंतु समय-समय पर इन क्षेत्रों में लगने वाले मेडिकल कैंपों में कई मानसिक रोगी सामने आते हैं। मनोरोग अस्पताल जम्मू के एचओडी डा. जगदीश थापा का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्ष में मानसिक तनाव से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है। उनका कहना है कि लोग अपने मानसिक रोगों को छुपाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत जांच करवानी चाहिए।

मानसिक रोगों के कई कारण

राज्य में मानसिक रोगों के कई कारण है। प्रमुख कारण पिछले तीस साल से आतंकवाद होना है। इससे लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा। हजारों लोगों को अपने परिजनों को गंवाना पड़ा। नब्बे के दशक में विस्थापित पंडितों में सबसे अधिक तनाव देखने को मिला था। मनोरोग विशेषज्ञ डा. जगदीश थापा का कहना है कि आतंकवाद के साथ-साथ बेरोजगारी , निजी क्षेत्र में काम के दबाव ने भी मानसिक रोगों को बढ़ाया है। उनका कहना है कि अब कुछ मरीज ऐसे भी आना शुरू हुए हैं जो कि अधिक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं।


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