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Jammu Kashmir : ई-कामर्स नियम लागू करने के लिए डीसी के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

प्रधानमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में कैट ने मांग की है कि सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ेगा कि क्या विदेशी कंपनियों को देश के कानून व नियमों के उल्लंघन की इजाजत दी जा सकती है या सरकार देश के नियम एवं कानूनों की सर्वोच्चता को कायम रखती है।

By Edited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 07:38 AM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 07:52 AM (IST)
Jammu Kashmir : ई-कामर्स नियम लागू करने के लिए डीसी के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
देश के व्यापारी बेसब्री से सरकार के निर्णय का इंतजार करेंगे।

जागरण संवाददाता, जम्मू : ई-कामर्स व्यापार में विदेशी कंपनियों की ओर से देश के कानूनों का खुला उल्लंघन किए जाने की शिकायत व ई-कामर्स नियमों को तुरंत लागू करने की मांग को लेकर कंफेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की प्रदेश इकाई ने वीरवार को जम्मू के डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा।

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कैट के प्रदेशाध्यक्ष नीरज आनंद ने डिप्टी कमिश्नर अंशुल गर्ग को ज्ञापन सौंपा। कैट की ओर से आज देश भर में जिला स्तर पर ऐसे ज्ञापन सौंपे गए। कैट ने ई-कामर्स व्यापार में मची धांधली को लेकर 15 सितंबर 15 अक्तूबर तक एक महीने का ई-कामर्स पर हल्ला बोल राष्ट्रीय अभियान चलाया है जिसे लेकर जम्मू में भी इकाई सक्रिय भूमिका निभा रही है।

प्रधानमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन में कैट ने यह मांग की है कि सरकार को यह स्पष्ट करना पड़ेगा कि क्या विदेशी कंपनियों को देश के कानून व नियमों के उल्लंघन की इजाजत दी जा सकती है या सरकार देश के नियम एवं कानूनों की सर्वोच्चता को कायम रखती है। निर्णय सरकार को लेना है। देश के व्यापारी बेसब्री से सरकार के निर्णय का इंतजार करेंगे।

ज्ञापन में मांग भी की गई है कि अमेजन के वकीलों के जरिये भारत के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने वाले मुद्दे पर ऐमजान के वित्तीय दस्तावेज, जो पिछले वर्षों में सरकारी विभागों को दिए गए हैं, उनका फोरेंसिक ऑडिट कराया जाए ताकि जल्द से जल्द यह पता लग सके कि क्या ऐमजान के वकीलों के जरिये वास्तव में भारतीय अधिकारियों एवं अन्य लोगों को रिश्वत दी गई थी या नहीं।

ज्ञापन में कहा गया कि जिस बड़े पैमाने पर ऐमजान ने ई-कामर्स व्यापार में कानूनों और नियमों का उल्लंघन किया है और धांधली की है, उसको देखते हुए ऐमजान की समग्र जांच जरूरी है और इसके लिए आयकर विभाग, केंद्र एवं राज्यों के जीएसटी विभाग, सीसीआइ, प्रवर्तन निदेशालय, सेबी तथा मिनिस्ट्री आफ कारपोरेट अफेयर्स को एक साथ जांच करनी चाहिए जिससे कि सारा मामला साफ हो।


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