महबूबा मुफ्ती का उमर अब्दुल्ला पर हमला, कहा- 'अपनी नाकामियों का ठीकरा पीडीपी-भाजपा पर फोड़ रहे हैं सीएम'
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला पर हमला बोलते हुए कहा कि वह अपनी सरकार की नाकामियों का ठीकरा पीडीपी-भाजपा गठबंधन पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला को अपनी सरकार के दौरान किए गए कार्यों का जवाब देना चाहिए।

महबूबा ने पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के फैसलों का बचाव किया।
डिजिटल डेस्क, जागरण, जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करने में अपनी नाकामियों का ठीकरा उनकी पार्टी पर फोड़ने का आरोप लगाया।
जम्मू स्थित पीडीपी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा ने कहा कि राज्य का दर्जा हासिल करने में मिली असफलता के लिए भी अगर मुख्यमंत्री पीडीपी को दोषी ठहरा रहे हैं, तो वह इसलिए क्योंकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि पीडीपी ही एकमात्र राजनीतिक पार्टी है जो एनसी से बेहतर विकल्प है और पीडीपी ने यह साबित भी कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर भी निशाना साधा, जिन्होंने उन्हें और उनकी पार्टी को अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
इस संदर्भ में, उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण से एक-दो दिन पहले नई दिल्ली में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बहुचर्चित बैठक को याद किया। उन्होंने कहा कि हताशा में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हर मोर्चे पर अपनी नाकामी छिपाने के लिए पीडीपी का इस्तेमाल एक ढकोसले के तौर पर कर रहे हैं।
जनादेश मिलने पर भी लोगाें से किए वादे नहीं हुए पूरे
महबूबा ने कहा, "मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को 50 सीटों का इतना बड़ा जनादेश मिलने के बावजूद, मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के घोषणापत्र में किए गए एक भी वादे को पूरा नहीं कर पाए। उनके पास सांसद हैं और अब राज्यसभा में भी उनके तीन सांसद हैं। लेकिन इस सरकार ने कुछ नहीं किया।"
उन्होंने कहा, "बड़गाम के लोग उनसे पूछ रहे थे कि पिछले एक साल में वह कहां थे? वह सिर्फ़ एक विधायक (बड़गाम के) ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री भी थे। जब लोग, जैसा कि हाल ही में बडगाम में हुआ, उनसे पूछते हैं कि वह मुफ़्त बिजली, 12 मुफ़्त रसोई गैस सिलेंडर, मुफ़्त राशन, 1 लाख नौकरियां देने या एक साल तक स्मार्ट मीटर न लगाने के अपने वादे को पूरा करने में क्यों विफल रहे, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता, इसलिए वह हर बात के लिए पीडीपी-भाजपा (गठबंधन सरकार) को ज़िम्मेदार ठहराना शुरू कर देते हैं।"
उमर ने पीडीपी-भाजपा का मुद्दा उठाकर वोट मांगे
पीडीपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि सीएम उमर ने संसदीय चुनावों, फिर विधानसभा चुनावों और अब उपचुनावों में सिर्फ़ पीडीपी-भाजपा (गठबंधन सरकार) का मुद्दा उठाकर वोट मांगे।
उन्होंने कहा, "एक साल के कार्यकाल के बाद, उन्हें लोगों को बताना चाहिए कि उन्होंने और उनकी सरकार ने क्या किया है, फिर भी उनके (मुख्यमंत्री) पास पीडीपी-बीजेपी की रट लगाने के अलावा और कुछ नहीं था... और हर नाकामी का ठीकरा पीडीपी पर फोड़ते रहे। स्मार्ट मीटर के मामले में, सीएम ने इसे और 200 यूनिट मुफ़्त बिजली देने के अपने वादे को सोलर पैनल लगाने से जोड़कर यू-टर्न ले लिया है।"
कब तक उमर लोगों को बेवकूफ बनाते रहेंगे?
"हताशा में, सीएम अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए बेकार की बातें (पीडीपी-भाजपा गठबंधन) कर रहे हैं। अब जब गठबंधन सरकार नहीं रही, तब से कई साल बीत चुके हैं। तो, कब तक, वह इस मुद्दे को उठाकर लोगों को बेवकूफ बनाते रहेंगे?" उन्होंने आगे कहा कि सीएम और उनकी पार्टी पीडीपी और उसके तीन विधायकों से डरी हुई है।
"पीडीपी, जिसके सिर्फ़ तीन विधायक हैं, दिहाड़ी मज़दूरों, विचाराधीन कैदियों और वक्फ अधिनियम से संबंधित विधेयक लेकर आई, जबकि उनके पास कोई शक्ति नहीं थी और उनके विधेयक या तो स्वीकार नहीं किए गए या खारिज कर दिए गए।" "सिर्फ़ तीन विधायकों के साथ हम यह कर सकते थे। नेशनल कॉन्फ्रेंस को डर है कि अगर पीडीपी का कोई और सदस्य विधायक बनकर विधानसभा में आ गया तो क्या होगा।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा अपने वादों को पूरा न करने के कारण, जिसमें जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों के मुकदमे लड़ने का वादा भी शामिल है, पीडीपी को न्याय पाने और उनके पीड़ित परिवारों को राहत दिलाने के लिए अदालत का रुख़ करना पड़ा।
नेकां ने पीडीपी विधेयकों का समर्थन नहीं किया
महबूबा ने कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राज्य की जमीन पर वर्षों और दशकों से रह रहे गरीब लोगों को मालिकाना हक देने का वादा किया था। हमने इन मुद्दों पर राज्य विधानसभा में विधेयक भी पेश किए थे, क्योंकि उन्होंने पीडीपी के वोट मांगते हुए जनहितैषी विधेयकों, चाहे वे दिहाड़ी मज़दूरों से जुड़े हों, का समर्थन करने का आश्वासन दिया था। हमने उनके लिए वोट भी दिया, फिर भी हमारे विधेयकों का समर्थन नहीं किया गया और मुख्यमंत्री ने विधानसभा में ग़रीब लोगों को ज़मीन हड़पने वाला करार दिया।"
उन्होंने एनसी नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए कहा, "अगर उमर साहब को वास्तव में भूमि हड़पना देखना है, तो उन्हें भटिंडी में वन भूमि हड़पने वाले लोगों, राज्य की भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों की सूची की जांच करनी चाहिए।"

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