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    'श्रद्धालुओं की आस्था का ध्यान रखा जाए...', वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में MBBS सीटों के बंटवारे को लेकर विरोध जारी

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 03:34 PM (IST)

    कटड़ा के श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस की 50 सीटों के आवंटन को लेकर सुंदरबनी के युवाओं ने नाराजगी जताई है। उन्होंने सीटों के वितरण में कथित असंतुलन पर सवाल उठाते हुए श्राइन बोर्ड से पारदर्शिता की मांग की है। युवाओं ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही कोई उचित कदम नहीं उठाया गया तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। उनका कहना है कि सीट आवंटन की प्रक्रिया में श्रद्धालुओं की आस्था का ध्यान रखा जाना चाहिए।

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    संवाद सहयोगी, जम्मू। कटड़ा स्थित श्री माता वैष्णो देवी इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस की 50 सीटों के हालिया आवंटन को लेकर सुंदरबनी के युवाओं ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से दखल करने की मांग उठाई है। क्षेत्र की महिलाओं व युवाओं ने सीटों के वितरण में कथित असंतुलन पर सवाल उठाते हुए श्राइन बोर्ड की कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताई।

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    उन्होंने कहा इस बार 50 में से 42 सीटें मुस्लिम समुदाय के छात्रों को मिली हैं, जबकि एक सीट सिख समुदाय और कुछ सीटें अन्य वर्गों को आवंटित की गईं। आरोप लगाया कि सीटों के वितरण का यह पैटर्न धार्मिक आधार पर विभाजन की भावना को जन्म देता है, जिसे लेकर उन्होंने गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि श्राइन बोर्ड एक धार्मिक संस्था है, जो वैष्णो देवी यात्रा से प्राप्त होने वाले चढ़ावे और श्रद्धालुओं के योगदान से संचालित होती है, ऐसे में सीट आवंटन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और संतुलन जरूरी है ताकि किसी समुदाय में उपेक्षा की भावना न पनपे।

    इस मुद्दे पर स्थानीय युवा अमित कुमार, सौरभ कुमार और मानिक शर्मा ने कहा कि जब मेडिकल कॉलेज एक धार्मिक बोर्ड के अधीन संचालित होता है, तो कॉलेज में प्रवेश देते समय हिंदू छात्रों के हितों को भी उचित महत्व मिलना चाहिए।

    युवाओं ने कहा कि देशभर से लाखों श्रद्धालु माता के दरबार में चढ़ावा चढ़ाते हैं और उनकी भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। उनका कहना था कि सीटों के आवंटन में इस तरह का असंतुलन लोगों के मन में कई सवाल खड़े करता है। युवाओं ने यह भी कहा कि देशभर में कई ऐसे शैक्षणिक संस्थान हैं, जहां विशेष समुदायों को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसे में श्राइन बोर्ड के संस्थान में सीट वितरण संतुलित और पारदर्शी होना आवश्यक है ताकि किसी भी समुदाय में असंतोष न फैले।

    हालांकि, युवाओं ने यह स्पष्ट किया कि उनकी नाराज़गी किसी समुदाय विशेष के छात्रों से नहीं, बल्कि सीट आवंटन की प्रक्रिया से है। उनका कहना था कि प्रवेश प्रक्रिया को इस तरह रखा जाना चाहिए कि सभी समुदायों के योग्य छात्रों को समान अवसर मिले और किसी को भी धार्मिक पहचान के आधार पर प्राथमिकता या उपेक्षा महसूस न हो।

    युवाओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि श्राइन बोर्ड और जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस मुद्दे पर जल्द कोई स्पष्ट जवाब या उचित कदम नहीं उठाता, तो क्षेत्र के लोग आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर हो सकते हैं। उन्होंने मांग की कि सीट आवंटन की पूरी प्रक्रिया माता वैष्णो देवी आने वाले लाखों श्रद्धालुओं व हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए किया जाए। लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए तथ्यात्मक जानकारी और आधिकारिक स्पष्टीकरण जल्द से जल्द जारी किया जाए, ताकि अफवाहें और गलतफहमियां न फैलें और सभी समुदायों में सौहार्द बना रहे।

    युवा अजय कुमार ने कहा कि श्राइन बोर्ड को पता है कि जिस संस्थान को हिंदू श्रद्धालुओं के चढ़ावे से चलाया जा रहा है, वहां प्रवेश प्रक्रिया को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। हमारी भावना है कि ऐसे धार्मिक संस्थानों में नीति निर्धारण का तरीका श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर होना चाहिए। -अजय कुमार

    अमित कुमार ने कहा कि एक अन्य युवा ने कहा कि ऐसे संस्थान धार्मिक आस्था से जुड़े होते हैं और उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। जब पूरा प्रबंधन श्रद्धालु चढ़ावे से संचालित है, तो बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और न्यायसंगत हो।


    वहीं, पवन शर्मा ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता पंकज शर्मा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि धार्मिक संस्थाओं में भी अब राजनीति हावी होती दिख रही है। श्राइन बोर्ड के कुछ फैसलों को देखकर लगता है कि हालात संवेदनशील दिशा में बढ़ रहे हैं, जिन्हें समय रहते संभालना बेहद जरूरी है।श्राइन बोर्ड जैसे धार्मिक संस्थान श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास पर आधारित होते हैं। अगर इनके कामकाज पर सवाल उठने लगें, या लोगों की भावनाएं आहत हों, तो सरकार को तुरंत कदम उठाकर स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए।