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    विदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई...सिर्फ मुसीबत पाई और पूंजी भी गंवाई, ईरान-इजरायल युद्ध के बीच भारतीय छात्रों पर संकट

    Updated: Wed, 18 Jun 2025 10:43 AM (IST)

    रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण जम्मू-कश्मीर के मेडिकल छात्रों का भविष्य संकट में है। हर साल हजारों छात्र एमबीबीएस के लिए विदेश जाते हैं लेकिन युद्ध और महंगी शिक्षा के कारण उनका सपना टूट रहा है। सरकार छात्रों को निकालने का प्रयास कर रही है पर कई अभी भी फंसे हैं।

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    विदेश में डाक्टरी की पढ़ाई...सिर्फ मुसीबत पाई और पूंजी भी गंवाई

    रोहित जंडियाल, जम्मू। रूस-युक्रेन युद्ध के बाद इजरायल और ईरान जंग ने फिर से डॉक्टरी की पढ़ाई के सपने को तो ध्वस्त कर दिया, एक बार फिर हजारों छात्रों को संकट में डाल दिया है। ईरान से इन छात्रों को निकालकर भारत सरकार वापस लाने में जुटी है। इनमें से ज्यादातर जम्मू-कश्मीर के हैं।

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    अब विदेश से आसानी से एमबीबीएस की डिग्री पा लेने का सपना तो ध्वस्त हुआ ही लाखों की पूंजी भी गंवा चुके हैं। साथ में जान आफत में फंसी वह अलग से। नीट परीक्षा में विफल रहने वाले बड़ी संख्या में विद्यार्थी पूर्व अन्य देशों से डिग्री लेकर डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने की चाहत रखते हैं।

    हर साल चार हजार छात्र करते हैं एमबीबीएस

    फिर शिक्षा के रैकेट चलाने वाले अभिभावकों को सब्जबाग दिखा भारत के निजी मेडिकल कॉलेजों से सस्ती डिग्री दिलाने का वादा करते हैं। जम्मू-कश्मीर से प्रतिवर्ष औसतन तीन से चार हजार विद्यार्थी एमबीबीएस करने के लिए विदेश जाते हैं। इनमें बांग्लादेश पहली पसंद है।

    मुस्लिम राष्ट्र होने के कारण कश्मीरी छात्रों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प है। यही नहीं, बांग्लादेश में पढ़ाई भी अंग्रेजी में हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या ईरान, तुर्किये, जार्जिया, बेलारूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान में भी एमबीबीएस करने के लिए जाते है।

    आस्ट्रेलिया में है महंगी पढ़ाई

    इनमें से ज्यादातर मुस्लिम बहुल देश हैं। पहले रूस और यूक्रेन में बड़ी संख्या में छात्र जाते थे लेकिन दोनों देश के बीच युद्ध के कारण छात्र अब वहां नहीं जा रहे हैं। चीन में कुछ छात्र शिक्षा के लिए गए हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में महंगी पढ़ाई के कारण इन देशों का रुख कम करते हैं।

    इस समय ईरान में गए छात्रों के अभिभावक परेशानी में हैं। भले ही केंद्र सरकार छात्रों को निकालने का प्रयास कर रही है पर अभी भी बहुत से छात्र वहां अटके हैं। कुछ छात्रों को निकालकर आर्मेनिया पहुंचाया गया है। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2024 में ईरान में 1,020 भारतीय छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे थे। प

    ढ़ाई पूरी करने के बाद भी राह आसान नहीं 

    जीएमसी जम्मू एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार रूस-यूक्रेन में बहुत विद्यार्थी एमबीबीएस करने जाते रहे हैं। इसका एक कारण देश के निजी मेडिकल कॉलेजों से कम फीस है। भले ही सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई सस्ती है पर ज्यादातर छात्र नीट पास नहीं कर पाते और ऐसे में परिवार उनके डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए विदेश भेज देते हैं।

    विदेश से पढ़ कर आने वाले डॉक्टरों को भारत में प्रैक्टिस के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जाम देना पड़ता है। स्थिति यह है कि इस परीक्षा को इन देशों से पढ़कर आए ज्यादातर छात्र पास नहीं कर पाते और इस कारण वह पढ़ाई के बाद लौटते ही नहीं।