Move to Jagran APP

महाराजा के पसंदीदा हैगाम वेटलैंड को लील रहा अतिक्रमण, कहीं खेती तो कहीं खड़े मकान

जम्मू कश्मीर राज्य में राज्यपाल के सलाहकार रह चुके सेवानिवृत्त नौकरशाह खुर्शीद अहमद गनई ने कहा कि हैगाम वेटलैंड को रामसर कन्वेंशन के तहत रामसर साइट घोषित किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि हैगाम बहुत अहम है। इसकी जैव विविधता को बचाना है।

By naveen sharmaEdited By: Rahul SharmaPublished: Wed, 30 Nov 2022 09:42 AM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 09:42 AM (IST)
महाराजा के पसंदीदा हैगाम वेटलैंड को लील रहा अतिक्रमण, कहीं खेती तो कहीं खड़े मकान
बाढ़ से बचाव के लिए नाले से वेटलैंड की तरफ पानी के बहाव को बंद कर दिया है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कभी महाराजा हरि सिंह का पसंदीदा रहा बारामुला का हैगाम वेटलैंड अतिक्रमण की मार झेलने से सिकुड़ते हुए आधा रह गया है। यह वेटलैंड कभी 28 हजार कनाल क्षेत्रफल में फैला हुआ था। यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और दुनिया भर से आने वाले प्रवासी पक्षियों के कारण हर किसी को आकर्षित करता था। इसीलिए महाराजा ने इसे संरक्षित घोषित किया था। इतना ही नहीं, रामसर साइट में भी इसे शामिल किया गया है, लेकिन अतिक्रमण की मार से अब यह मरने लगा है। प्रवासी पक्षी अब यहां सर्दियां गुजारने नहीं आते। इसके बजाय इसके अधिकतर जगह कहीं मकान खड़ा नजर आता है तो कहीं धान का खेत।

loksabha election banner

ग्रीन सिटीजंस कौंसिल जिसे एन्वायरमेंटल पालिसी ग्रुप (ईपीजी) भी कहते हैं, के संयोजक फैज बख्शी ने कहा कि हैगाम अब खत्म हो रहा है। अब इसे वेटलैंड नहीं कहा जा सकता। हम कुछ दिन पहले हैगाम गए थे, वहां कोई प्रवासी पक्षी नहीं था। हैगाम के निकट रहने वाले नाजिम ने कहा कि आज से 15-20 साल पहले तक यहां इन दिनों हजारों प्रवासी पक्षी होते थे।

सुबह शाम घरों के ऊपर से जब यह उड़ते हुए निकलते थे तो ऐसा लगता था कि इन्होंने आसमान पर कब्जा कर लिया है। अब वैसा कुछ नहीं है। दिसंबर आ गया है, लेकिन यह मेहमान नहीं आए। फैज बख्शी ने कहा कि बाबा रेशी से आने वाला बाला नाला इसी वेटलैंड में पोषक तत्वों और गाद का मुख्य जरिया था। नाले में गंदगी, कुत्तों के शव और गिरे हुए पेड़ नजर आते हैं। अब पानी हैगाम में पहुंच नहीं पाता। वेटलैंड के कई हिस्सों पर कब्जा हो चुका है। कई ने मकान बना लिए हैं और उन्होंने बाढ़ से बचाव के लिए नाले से वेटलैंड की तरफ पानी के बहाव को बंद कर दिया है।

जम्मू कश्मीर राज्य में राज्यपाल के सलाहकार रह चुके सेवानिवृत्त नौकरशाह खुर्शीद अहमद गनई ने कहा कि हैगाम वेटलैंड को रामसर कन्वेंशन के तहत रामसर साइट घोषित किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि हैगाम बहुत अहम है। इसकी जैव विविधता को बचाना है। उन्होंने कहा कि वन्य जीव विभाग को नेशनल कंजर्वेशन आफ एक्वेटिक इकोसिस्टम (एनसीपीए) की राष्ट्रीय योजना के तहत हैगाम के संरक्षण के लिए एक एकीकृत प्रबंधन योजना तैयार कर, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को सौंपनी चाहिए। अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए तो हैगाम को फिर से जीवंत करना असंभव हो जाएगा।

  • ईपीजी के सदस्य के तौर पर मैं बीते दिनों हैगाम वेटलैंड का दौरा करने गया था। वहां अतिक्रमण, गाद का जमाव, सूखी पट्टियां ही नजर आईं। वैज्ञानिक तौर तरीकों और स्थानीय लोगों के सहयोग से ही इसे दोबारा बहाल किया जा सकता है। हम पूरा दिन वहां रहे लेकिन कोई प्रवासी पक्षी नहीं दिखा। -एजाज रसूल, हायड्रोलिक इंजीनियर
  • जिला उपायुक्त अतिक्रमण को चिह्नित कर कार्रवाई करनी चाहिए। वेटलैंड की जमीन पर जिन्होंने सेब के बाग बना लिए, उन्हें भी नहीं छोड़ा जाए। सिल्ट निकालने का काम तेजी से होना चाहिए। मशीनों के बजाय श्रमिकों से काम कराया जाए तो बेहतर है। हैगाम और आसपास के गांवों के लोगों को जागरूक किया जाए। मजहबी नेताओं और छात्रों की भी मदद लेनी चाहिए। -राजा मुजफ्फर, पर्यावरणविद

यह कहना है अधिकारी का : जम्मू कश्मीर के मुख्य वन्य जीव वार्डन सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा कि जो स्थिति बताई जा रही है, वैसी नहीं है। हमने आठ वेटलैंड के संरक्षण की कार्ययोजना तैयार की है। आज होकरसर पहले से ज्यादा जीवंत है। हैगाम की पुनर्बहाली का काम भी तेजी से चल रहा है। इसके कई हिस्सों से पेड़ों को हटाया है। कई जगह कुछ पुराने इमारती ढांचे और मकान हैं, उन्हें हटाने की प्रक्रिया जारी है। अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। हैगाम के कई हिस्सों में जलस्तर बढ़ा है। प्रवासी पक्षियों की आमद भी खूब हो रही है। हैगाम में आने वाले प्रवासी पक्षी दिन के समय दाना चुगने के लिए आसपास के इलाकों में जाते हैं। इसलिए कई बार दोपहर के समय ये नजर नहीं आएंगे। कई प्रवासी पक्षी इस समय प्रजनन की प्रक्रिया में होते हैं और वह झाड़ियों में अपने घोंसलों के बीच रहते हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.