किश्तवाड़ में मचैल चंडी माता मंदिर के कपाट सावन में नौ दिन के लिए बंद, श्रद्धालु अब इस दिन कर सकेंगे दर्शन
किश्तवाड़ के पाडर इलाके में मचैल चंडी माता मंदिर के कपाट सावन माह में नौ दिनों के लिए बंद रहेंगे। 15 जुलाई को मंदिर बंद होगा और 16 से 24 जुलाई तक दर्शन नहीं होंगे। 25 जुलाई को कपाट खुलेंगे। पाडर के लोग सावन में मंदिर जाना शुभ नहीं मानते इसलिए यह परम्परा है। पहले मंदिर पूरा महीना बंद रहता था।

बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़। सावन माह में नौ दिन तक किश्तवाड़ के पाडर इलाके में स्थित मचैल चंडी माता मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। यानी 15 जुलाई शाम को मंदिर बंद हो जाएगा और 16 जुलाई से लेकर 24 जुलाई तक श्रद्धालु दर्शन नहीं कर पाएंगे।
25 जुलाई को मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। यहां सदियों से परंपरा है कि सावन महीने में पाडर इलाके के सभी मंदिरों के कपाट एक महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि पाडर के लोग सावन में मंदिर में जाना शुभ नहीं मानते।
कब शुरू हुई थी परंपरा
भादों की संक्रांति के दिन मंदिरों के कपाट पूजा अर्चना के बाद खोल दिए जाते हैं। पहले मचैल माता का मंदिर भी पूरा महीना बंद रहता था, लेकिन जब 80 के दशक में मचेल माता के दरबार में ठाकुर कुलबीर सिंह जी ने छड़ी की परंपरा चलाई तब यह परंपरा बनी कि जब छड़ी भद्रवाह से 10 अगस्त को चलती थी और पैदल रास्ता था, तो छड़ी भादो की संक्रांति के दिन 16 अगस्त को मचैल माता के दरबार में पहुंचती थी और उसी दिन मंदिर के कपाट खोले जाते थे।
धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी और 90 के दशक में आतंकवाद चरम पर था और 15 अगस्त के मद्देनजर मचेल यात्रा चलाने वाली सर्वशक्ति संस्था और प्रशासन ने यह फैसला किया की माता की पवित्र छड़ी को 18 अगस्त को भद्रवाह से चलाया जाए और 22 अगस्त को मचेल माता के दरबार में पहुंच जाए। ताकि 15 अगस्त के समय सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी न आए।
इसलिए बंद किए जाते हैं कपाट
'जब यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी तो मचैल माता का दरबार बंद होने की वजह से अचानक भीड़ बढ़ने लगी तो फैसला किया गया मचेल माता का दरबार सिर्फ सावन की संक्रांति से लेकर 24 जुलाई तक नौ दिन बंद रखा जाए।
तब से ही यह परंपरा बन चुकी है। लेकिन पाडर में और कोई भी मंदिर सावन के महीने में नहीं खोला जाता। पिछले वर्ष चशोती गांव में माता महाकाली का मंदिर भी इसी तर्ज पर खोल दिया गया।
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