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    लाईट कैमरा एक्शन से गूंजी चांद की घरती, फिल्मों में जी उठा लद्दाख; पर्यटन और रोजगार के खुले अवसर

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 06:00 AM (IST)

    लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर अब बॉलीवुड की चहल-पहल है। कई बड़ी फिल्में यहां शूट हो रही हैं जिनमें भारतीय सेना के शौर्य को दर्शाया गया है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख फिल्म निर्माताओं के लिए पसंदीदा जगह बन गया है जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है। प्रशासन भी शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव मदद कर रहा है।

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    फिल्मों में जी उठा लद्दाख। फोटो जागरण

    विवेक सिंह, जम्मू। भारतीय सेना की वीरता की पर्याय लद्दाख की उंची बर्फीली चोटियां अब लाईट, कैमरा, एक्शन से गूंज उठा है। मनमोहक सुंदरता, सुकून व भारतीय सेना के शौर्य का प्रतीक लद्दाख, फिल्मनगर मुंबई को अपनी ओर तेजी से खींच रहा है।

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    चांद की घरती कहे जाने वाले लद्दाख अब बदले हालात में फिल्मों की शूटिंग में कश्मीर से आगे निकलने की होड़ में है। सलमान खान, शाहरूख खान, रणबीर सिंह, फरहान अख्तर जैसे नामी गिरामी एक्टर लद्दाख में शूटिंग कर रहे हैं।

    आने वाले समय में लद्दाख में बनी बड़े बैनर की दस फिल्में रिलीज होने जा रही। इनमें से प्रमुख 120 बहादुर, बैटल आफ गलवन हैं जो चीन, पाकिस्तान से सटे लद्दाख में भारतीय सैनिकों की असाधारण वीरता, बलिदान को समर्पित हैं।

    कभी कश्मीर संभाग का हिस्सा रहे लद्दाख को पुरानी सरकारें नजरअंदाज करती आई हैं। कश्मीर केंद्रित सरकारों के कार्यकाल में लद्दाख के पर्यटन को भी प्रोत्साहत नही मिला। पुरानी सरकारों ने पर्यटन, फिल्मों की शूटिंग के लिए कश्मीर को ही पूरा महत्व दिया।

    इस दौरान कश्मीर में हालात खराब होने का खामियाजा लद्दाख को भी भुगतना पड़ा। कई देशों ने अपने पर्यटकों के लिए कश्मीर को नेगेटिव लिस्ट में रखा था।

    वर्ष 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद फिल्मे बनाने वाले को लगातार संदेश दिया जा रहा है कि बुद्ध की घरती में सब शांत है, बिना हिचक आएं। इस निमंत्रण का असर दिख रहा है।

    लद्दाख में बन रही फिल्मों में तड़क, भड़क नही, अपितु देशभक्ति की वह भावना है जो भारतीयों को प्रेरणा देती हैं कि वे सेना में भर्ती होकर दुश्मन को मिट्टी में मिला दें।

    पूर्वी लद्दाख में परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह व उनके सैनिकों की वीरता को समर्पित 120 बहादुर इस वर्ष नवंबर में रिलीज होने जा रही है। मेजर शैतान सिंह की भूमिका फरहान अख्तर ने निभाई है।

    वहीं सलमान खान ने 15 जून 2020 के गलवन के हिसंक संघर्ष को समर्पित बैटल आफ गलवन की शूटिंंग शुरू कर दी है। यह फिल्म सेना की सोलह बिहार के कर्नल संतोष बाबू समेत उन बीस वीरों को समर्पित है जो लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को नाकाम बनाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

    यह फिल्म वर्ष 2026 में जून महीने तक रिलीज हाे सकती है। ये दोनों फिल्में लद्दाख के साथ भारतीय सैनिकों के देश पर मर मिटने के जज्बे को बल देंगी।

    शूटिंग के लिए एक के बाद एक बालीबुड से नई टीमाें का लद्दाख आना, क्षेत्र के पर्यटन पर आश्रित निवासियों में एक नई आस जगा रहा है। लेह के स्टेंजिन की गाड़ियां इस समय बैटल आफ गलवन की शूटिंग टीम के साथ लगी है।

    शूटिंग के लिए आई 200 के करीब सदस्यों की टीम इस समय लेह के कई होटलों में ठहरी है। शूटिंग स्थल पर लद्दाखियों को रोजगार मिल रहा है। आल लद्दाख टूर एंड ट्रेवल संगठन के पदाधिकारी डेलेक्स नाम्गयाल का कहना है कि फिल्म शूटिंंग से लद्दाख में पर्यटन पर आश्रित लोगों को काम मिलना सही है।

    थ्री इडियट फिल्म ने लद्दाख को पहचान दी थी। अब बडी बैनर की फिल्मों के साथ वेब सीरिज के लिए भी लद्दाख में शूटिंग हो रही है। उन्होंने बताया कि लद्दाख में नेट सीरिज की शूटिंग करने के लिए इस साल

    बॉबी देओल, अक्षय खन्ना व आर माधवन भी आए थे

    इस समय लद्दाख में बैटल आफ गलवन फिल्म की शूटिंग हो रही है। इससे पहले लद्दाख में धुरंधर फिल्म की शूटिंग हुई थी। हम लद्दाख में शूटिंग करने के लिए आने वाली टीमों को पूरा प्रोत्साहन दे रहे हैं। यह कहना है लद्दाख के लेह जिले के डिप्टी कमिश्नर रोमिल सिंह डोंक का।

    उन्होंने बताया कि हमने फिल्म शूटिंग को अनुमति देने की प्रक्रिया को सरल बनाया है। फिल्म शूटिंग के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के साथ पेपर वर्क पूरा करने में भी प्रशासन की ओर से सहयोग दिया जा रहा है।

    यह कारण है कि फिल्म निर्माताओं के लिए लद्दाख फिल्म शूटिंग के लिए तेजी से एक बेहतर गंतव्य के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। लद्दाख की खूबसूरती बेजोड़ है, इसके साथ क्षेत्र का शांत माहौल व प्रशासन का सहयोग भी फिल्म शूटिंग के लिए बहुत सही है।

    लद्दाख को फिल्म शूटिंग का हब बनाने के लिए कर रहे काम: उपराज्यपाल

    लद्दाख के उपराज्यपाल कविन्द गुप्ता का कहना है कि प्रदेश प्रशासन फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। इसके लिए बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि लद्दाख के निर्मल व सुंदर प्राकृतिक दृश्य फिल्म निर्माताओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।

    लद्दाख में भारतीय सेना ने देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। क्षेत्र की स्मृद्ध संस्कृति व धरोहर विश्व भर के पर्यटकों को लद्दाख आने के लिए प्रेरित करती है। बालीबुड लद्दाख को एक बड़े स्तर पर प्रमोट कर सकता है।

    इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय प्रतिभाओं को भी अधिक अवसर मिलेंगे। लद्दाख की प्राकृतिक सुंदरता दुनिया में बेमिसाल है। प्रशासन यहां शूटिंग को प्रोत्साहित कर रहा है ताकि इस क्षेत्र की खूबसूरती को वैश्विक स्तर पर दिखाया जा सके।

    इसके साथ स्थानीय युवाओं को फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने का मौका भी मिल रहा है। उनका कहना है कि लद्दाख प्रशासन ने फिल्म गतिविधियों को समर्थन देने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। हमने शूटिंग की अनुमति देने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। इसमें शूटिंग स्थलों की पहचान व बुनियादी सुविधाओं का विकास शामिल है। लद्दाख में फिल्मों की शूटिंग की अपार संभावनाएं हैं। हमनें बार्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सीमा से सटे कई स्थानों को भी लोगों के लिए खोला है।

    कैसे मिलती हें अनुमति

    लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह व कारगिल के साथ दोनों जिलों में डिप्टी कमिश्नर कार्यालय लद्दाख में फिल्मों की शूटिंग के लिए अनुमति देते हैं। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा व नियंत्रण रेखा के करीब स्थित इलाकों में शूटिंग करने के लिए विशेष अनुमति की जरूरत होती है।

    इसके लिए रक्षा मंत्रालय व सेना मुख्यालय से अनुमति लेना भी अनिवार्य है। वहीं किसी संरक्षित जंगल, झील या वन्यजीव अभ्यारण्य में शूटिंग करने के लिए वन विभाग की अनुमति भी ज़रूरी है। शूटिंग टीमों को जिला प्रशासन के निर्देशों का गंभीरता से पालन करना होता है।

    शूटिंग के लिए बरतनी पड़ती है सावधानी

    लद्दाख में फिल्म निर्माताओं को शूटिंग करने के लिए कई सावधानियां बरतनी पड़ती है। लद्दाख में पर्यावरण संरक्षण को बहुत महत्व दिया जाता है। ऐसे में शूटिंग करने आई टीमों को गंभीरता से पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारियां का निर्वाह करना पड़ता है।

    उन्हें स्पष्ट निर्देश हैं कि क्रू के सदस्य अपने पीछे कचरा न छोड़ें, वे प्लास्टिक का प्रयोग न करने के साथ साफ सफाई बनाए रखें। इसके साथ शूटिंंग टीमों को स्थानीय संस्कृति, बौद्घ मठों का सम्मान करने के साथ धार्मिक स्थलों पर शांति बनाए रखने के लिए पूरा सहयोग देने के भी निर्देश होते हैं।

    लद्दाख में आक्सीजन की कमी है। ऐसे में टीम को हाई-एल्टीट्यूड सिकनेस हो सकता है। उनके लिए खुद को लद्दाख के मौसम में ढालना जरूरी हाेता है। पंजीकृत ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए सिविल एविएशन व स्थानीय प्रशासन, सेन की परमीशन होना अनिवार्य है।